ताजा सुर ताल TST (36)
दोस्तो, ताजा सुर ताल यानी TST पर आपके लिए है एक ख़ास मौका और एक नयी चुनौती भी. TST के हर एपिसोड में आपके लिए होंगें तीन नए गीत. और हर गीत के बाद हम आपको देंगें एक ट्रिविया यानी हर एपिसोड में होंगें ३ ट्रिविया, हर ट्रिविया के सही जवाब देने वाले हर पहले श्रोता की मिलेंगें २ अंक. ये प्रतियोगिता दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह तक चलेगी, यानी 5 अक्टूबर से १४ दिसम्बर तक, यानी TST के ४० वें एपिसोड तक. जिसके समापन पर जिस श्रोता के होंगें सबसे अधिक अंक, वो चुनेगा आवाज़ की वार्षिक गीतमाला के 60 गीतों में से पहली 10 पायदानों पर बजने वाले गीत. इसके अलावा आवाज़ पर उस विजेता का एक ख़ास इंटरव्यू भी होगा जिसमें उनके संगीत और उनकी पसंद आदि पर विस्तार से चर्चा होगी. तो दोस्तों कमर कस लीजिये खेलने के लिए ये नया खेल- "कौन बनेगा TST ट्रिविया का सिकंदर"
TST ट्रिविया प्रतियोगिता में अब तक-
पिछले एपिसोड में, सीमा जी आश्चर्य, आप जवाब लेकर उपस्थित नहीं हुई, ३ में से मात्र एक जवाब सही आया और वो भी विश्व दीपक तन्हा जी का, तन्हा जी का स्कोर हुआ १६...दूसरे सवाल में जिन फिल्मों के नाम दिए गए थे उन सबमें सोनू निगम-श्रेया घोषाल के युगल गीत थे, और तीसरे सवाल का जवाब है विविध भारती इंदोर स्टेशन....तो चलिए अब बढ़ते हैं आज के एपिसोड की तरफ
सुजॉय - सजीव, आज का 'ताज़ा सुर ताल' बहुत ही ख़ास है, है न?
सजीव - बिल्कुल सुजॉय, आज हम उस फ़िल्म के चर्चा करेंगे और उस फ़िल्म के गानें सुनेंगे जो आजकल सब से ज़्यादा चर्चा में है और जिसका लोग बेसबरी से इंतेज़ार कर रहे हैं, और जिसमें अमिताभ बच्चन ने एक अद्भुत भूमिका निभाई है।
सुजॉय - हमारे पाठक भी समझ चुके होंगे कि हम फ़िल्म 'पा' की बात कर रहे हैं। आजकल टीवी पर प्रोमोज़ आ रहे हैं इस फ़िल्म के जिसमें बिग बी को हम एक बड़े ही हैरतंगेज़ लुक्स में दिख रहे हैं। सजीव, क्या आपको पता है कि इस तरह के लुक्स के पीछे आख़िर माजरा क्या है?
सजीव - मैने सुना है कि यह एक तरह की बीमारी है जिसकी वजह से समय से पहले ही आदमी बूढ़ा हो जाता है। यानी कि यह एक जेनेटिक डिसोर्डर है जिसकी वजह से accelerated ageing हो जाती है।
सुजॉय - अच्छा, तभी अमिताभ बच्चन एक छोटे बच्चे की भूमिका में है जो शक्ल से बूढ़ा दिखता है!
सजीव - बिल्कुल! वो एक १३ साल का बच्चा है जो मानसिक तौर से भी १३ साल का ही है, लेकिन शारीरिक रूप से ५ गुणा ज़्यादा आयु का दिखता है। बावजूद इसके वो एक ख़ुशमिज़ाज बच्चा है। इस फ़िल्म में अभिषेक बच्चन बनें हैं उनके पिता और विद्या बालन बनीं हैं बिग बी की मम्मी। बहुत ही इंटरेस्टिंग् है, क्यों?
सुजॉय - सही है! और इस फ़िल्म को लिखा व निर्देशित किया है आर. बालकी ने। अच्छा सजीव, बातें हम जारी रखेंगे, लेकिन उससे पहले यहाँ पर इस फ़िल्म का एक गीत सुन लेते हैं पहले।
गीत - गुमसुम गुम गुमसुम हो क्यों gumsum gumsum ho kyon (paa)
सजीव - गीत तो हमने सुन लिया, अब इस फ़िल्म के संगीत पक्ष की थोड़ी सी चर्चा की जाए। इस फ़िल्म में संगीत है इलय्याराजा का, जिनकी हाल में 'चल चलें' फ़िल्म आई थी। यह फ़िल्म तो नहीं चली, अब देखना यह है कि 'पा' के गानें लोग किस तरह से ग्रहण करते हैं। वैसे यह जो गीत अभी हमने सुना वह दरअसल एक मलयालम गीत है एस.जानकी की आवाज़ में जिसके बोल हैं -"तुम्बी वा...", ये गीत हालाँकि बेहद पुराना है पर आज भी बड़े शौक से सुना जाता है और इसे वहां एक क्लासिक सोंग का दर्जा हासिल है, चूँकि मैं मलयालम समझता हूँ तो बता दूं "तुम्बी" एक उड़ने वाला कीट होता है जिसे उत्तर भारत में बच्चे "हैलीकॉप्टर" कहते हैं, उसके पंख कुछ ऐसे चलते हैं हैं हैलीकॉप्टर का पंखा....वहाँ इस गीत को नायिका बच्चों को मनाने के लिए गा रही है और यहाँ शायद बच्चे बड़ों को मना रहे हैं...:)
सुजॉय - और इस हिंदी संस्करण में भी वही दक्षिणी फ़्लेवर मौजूद है। कर्नाटक शैली और पाश्चात्य जैज़ के फ़्युज़न का प्रयोग इलय्याराजा ने किया है। इसमें पियानो पर बजाया हुआ एक सुंदर जैज़ सोलो सुना जा सकता है, जो बड़ी ही सरलता से वापस शास्त्रीय रंग में रंग जाता है। कुल मिलाकर कुछ नया सुना जा सकता है। अच्छा, इस गीत में आवाज़ें किनकी है, मैं तो पहचान नहीं पाया।
सजीव - इसे दो युवा गायकों ने गाए हैं, ये हैं भवतारिणी और श्रवण। चलो अब एक समूहगीत सुनते हैं इस फ़िल्म से। जैसे कि मैनें कहा समूहगीत, तो दरसल यह एक बच्चों का ग्रूप सॊंग् है। वायलिन ही मुख्य साज़ है और एक प्रार्थना की तरह सुनाई देता है।
गीत - हल्के से बोले कल के नज़ारे...halke se bole..(paa)
सुजॉय - सचमुच it was short and sweet! अच्छा सजीव, इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने भी एक गीत गाया है। क्यों ना उस गीत को अब यहाँ सुन लिया जाए!
सजीव - ज़रूर, यही तो इस फ़िल्म का सब से अनोखा गीत है। इस गीत में बच्चन साहब एक ऐसे छोटे बच्चे की तरह आवाज़ निकालते हैं जो इस तरह की बीमारी से पीड़ित है। बच्चन साहब के क्या कहने, वो जो भी करते हैं पूरे पर्फ़ेक्शन के साथ करते हैं, जिसके उपर कुछ भी समालोचना फीकी ही लगती है।
सुजॉय - वाक़ई, इस गीत में उन्होने कुछ ऐसे एक्स्प्रेशन्स और जज़्बात भरे हैं कि सुनने वाला हैरान रह जाता है। यह फ़िल्म का शीर्षक गीत है और इस गीत की चर्चा में इसके संगीत या संगीत संयोजन के बारे में चर्चा निरर्थक है। यह गीत पूरी तरह से बिग बी का गीत है। दिल को छू लेने वाला यह गीत एक नेरेशन की तरह आगे बढ़ता जाता है।
सजीव - और गीतकार स्वानंद किरकिरे के बोल भी उतने ही असरदार! चलो सुनते हैं, हमारे श्रोता भी इसे सुनने के लिए अब बेताब हो रहे होंगे!
गीत - मेरे पा...mere paa (paa)
सुजॉय - वाह! सचमुच क्या गाया है बच्चन साहब ने!
सजीव - और अब आगे बढ़ते हुए हम आते हैं इस फ़िल्म के सब से महत्वपूर्ण गीत की तरफ़। यह है शिल्पा राव की आवाज़ में 'उड़ी उड़ी हाँ उड़ी मैं फिर उड़ी इत्तीफ़ाक़ से"।
सुजॉय - यही गीत शान की आवाज़ में भी है जिसमें है "गली मुड़ी"। शिल्पा राव वाला गीत ग्लैमरस है और रीदम भी तेज़ है, जब कि शान वाला वर्ज़न कोमल है और रीदम भी स्लो है। शान ने इस तरह का गीत शायद पहले नहीं गाया होगा। कुल मिलाकर अच्छी धुन है।
सजीव - तो फिर चलो, आज सुनिता राव वाला वर्ज़न सुनते हैं।
गीत - उड़ी उड़ी हाँ उड़ी मैं इत्तीफ़ाक़ से... udi udi main udi (paa)
सजीव - वैसे मुझे ये फिल्म के बाकी गीतों से मूड और मिजाज़ में बहुत अलग सा लगा....कुछ बहुत मज़ा मज़ा नहीं आया... खैर अब आज का आख़िरी गीत। इस फ़िल्म में सुनिधि चौहान ने एक गीत गाया है "हिचकी हिचकी"। इलय्याराजा की धुनें हमेशा ही कुछ अलग हट के होता आया है। और इस गीत को पूरा का पूरा उन्होने रूपक ताल पर बनाया है।
सुजॉय - सिर्फ़ संगीत ही नहीं, इसके बोलों में भी काफ़ी कारीगरी की है स्वानंद किरकिरे ने। और सुनिधि की आवाज़ का बहुत ही अलग इस्तेमाल इलय्याराजा साहब ने किया है। सुनिधि ने अपनी आवाज़ को बहुत दबाकर गाया है। आमतौर पर हम उनकी जिस तरह की बुलंद आवाज़ से वाक़िफ़ हैं, उससे बिल्कुल ही अलग आवाज़ इस गीत में सुनाई देता है। कुल मिलाकर एक अच्छा गीत है। लेकिन सजीव, एक बात भी है, क्योंकि इस फ़िल्म की कहानी बिल्कुल ही अलग है, यानी कि ग़ैर-पारंपरिक है, इसलिए इस तरह के फ़िल्मों में जो गानें होते हैं वो बहुत ज़्यादा हिट नहीं होते हैं, लेकिन फ़िल्म बहुत कामयाब रहती है। फ़िल्म की कहानी इतनी ज़्यादा मज़बूत होती है कि लोगों का ध्यान फ़िल्म के गीतों से ज़्यादा फ़िल्म पर ही टिकी रहती है।
सजीव - चलो यह तो वक़्त ही बताएगा कि यह फ़िल्म ज़्यादा चली या कि इसके गानें। अब हम सुन लेते हैं इस फ़िल्म का पाँचवाँ और इस पेशकश का अंतिम गाना।
गीत - हिचकी हिचकी...hichki hichki (paa)
और अब समय है ट्रिविया का ....
TST ट्रिविया # 31- 'पा' के अतिरिक्त आर. बालकी ने अमिताभ बच्चन को और किस फ़िल्म में डिरेक्ट किया था?
TST ट्रिविया # 32- फ़िल्म 'पा' के निर्देशक आर. बालकी का पूरा नाम क्या है?
TST ट्रिविया # 33- इलय्याराजा उनका असली नाम नहीं है। उनके नाम के साथ 'राजा' शब्द उनके एक संगीत शिक्षक ने जोड़ा था तथा बाद में 'इलय्याराजा' नाम तमिल के एक फ़िल्म निर्देशक ने रखा था। बताइए उस संगीत शिक्षक और उस तमिल फ़िल्म निर्देशक के नाम।
"पा" अल्बम को आवाज़ रेटिंग ***
अल्बम का मुख्य आकर्षण अमिताभ की आवाज़ में "मेरे पा" गीत ही है, "गुमसुम गुमसुम" एक सुरीली मेलोडी है....पर बोल उतने प्रभावी नहीं है....कुल मिला कर अल्बम औसत ही है....और फिल्म की सफलता पर ही संगीत की सफलता निर्भर है.
आवाज़ की टीम ने इस अल्बम को दी है अपनी रेटिंग. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसे लगे? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत अल्बम को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.
शुभकामनाएँ....
अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.
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5 श्रोताओं का कहना है :
1) Cheeni Kum
regards
2) R. Balakrishnan
regards
3) Mr.G.K.Venkatesh
regards
3) music teacher Dhanraj
regards
अब अमिताभ अपना ग्लैमर खो रहे हैं यानी बुझते दीपक की आखिरी लौ भभक रही है
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