गुनगुनाते लम्हे- 2
3 नवम्बर 2009 से हमने आवाज़ पर एक नये कार्यक्रम गीतों भरी कहानी की शुरूआत की है। जिसमें फिल्मी गीतों के माध्यम से एक कहानी को गुनते और बुनते हैं। आज हम इसका दूसरा अंक लेकर हाज़िर हैं। कहानी है रेणु सिन्हा की, स्वर है अपराजिता कल्याणी की और तकनीकी संचालन खुश्बू ने किया है।
इस बार हमने समय का ख्याल रखा है। जल्दी से सुन भी लेंगे और गुन भी लेंगे।
अपनी राय ज़रूर दें।
'गुनगुनाते लम्हे' टीम
आवाज़/एंकरिंग | कहानी | तकनीक |
---|---|---|
अपराजिता कल्याणी | रेणु सिन्हा | खुश्बू |
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8 श्रोताओं का कहना है :
bahut khoobsurati se buni hai kahani.....geet saare hi karnpriy chune hain....aparajita ki aawaaz bahut madhur hai.... khooshboo to takniki men maahir hai....sabko hardik badhai....
गुनगुनाते लम्हों से दिन गुनगुना उठा ...
पूरी टीम को बहुत बहुत Congrats...!
'कली-यमन' की प्यारी सी प्रेम कहानी,प्यारे प्यारे गाने और........ सुनाने वाली ..?
' मिलते hi आँखे ...? ऊँहू ..सुनते hi 'उसको' दिल हुआ दीवाना किसी का ' .....मैं भला होश मे कैसे रहूँ '
पूछो ना आवाज़ का असर हाय ना पूछों ,दमभर मे कोई हो गया नन्ही डोल का ,कौन..?
मैं, हम सब
....................प्यारे से प्रोग्राम के लिए इत्ता सारा प्यार, दोनों को bahino ko
मिसेज़ सिन्हा को बधाई
indu puri goswami
इसबार गीतों का चुनाव और एंकरिंग इतना बढ़िया रहा कि समय कम लगा। बहुत खूब। कार्यक्रम को 30 मिनट तक खींचा जा सकता है।
खैर अगली बार
apraajita ,
jitni pyaari tm ho utni hi pyaari tumhaari aawaj ,waakai bahut achchi rahi tumhaari prastuti .ek baar phir se mubaarakbaad deti hoon aur aisi hi agli rochak prastutiyon ke intjaar me
वाह बहुत सुन्दर बधाई
भाई आप सब की इस महिला टीम ने तो ऐसा रंग जमा रखा है कि क्या कहने...महफ़िल से जाने के मन ही मन ही नहीं कर रहा.....excellent
सुनने सुन पाने का वक्त आज नहीं है और बिना सुने टिप्पणी तो बेइमानी हो जाएगी-पर उपक्रम अच्छा है
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