रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


ComScore
प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, November 29, 2009

जाणा जोगी दे नाल मैं... कैलाश खेर के गैर फ़िल्मी संगीत का सफरनामा कैलाश "यात्रा" में



ताजा सुर ताल TST (37)

दोस्तो, ताजा सुर ताल यानी TST पर आपके लिए है एक ख़ास मौका और एक नयी चुनौती भी. TST के हर एपिसोड में आपके लिए होंगें तीन नए गीत. और हर गीत के बाद हम आपको देंगें एक ट्रिविया यानी हर एपिसोड में होंगें ३ ट्रिविया, हर ट्रिविया के सही जवाब देने वाले हर पहले श्रोता की मिलेंगें २ अंक. ये प्रतियोगिता दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह तक चलेगी, यानी 5 अक्टूबर से १४ दिसम्बर तक, यानी TST के ४० वें एपिसोड तक. जिसके समापन पर जिस श्रोता के होंगें सबसे अधिक अंक, वो चुनेगा आवाज़ की वार्षिक गीतमाला के 60 गीतों में से पहली 10 पायदानों पर बजने वाले गीत. इसके अलावा आवाज़ पर उस विजेता का एक ख़ास इंटरव्यू भी होगा जिसमें उनके संगीत और उनकी पसंद आदि पर विस्तार से चर्चा होगी. तो दोस्तों कमर कस लीजिये खेलने के लिए ये नया खेल- "कौन बनेगा TST ट्रिविया का सिकंदर"

TST ट्रिविया प्रतियोगिता में अब तक-

पिछले एपिसोड में, सीमा जी back with a bang....बहुत बढ़िया...आप विजेता हैं, बिना शक... बधाई


सुजॉय - गुड मॊर्निंग् सजीव! और बताइए वीकेंड कैसा रहा?

सजीव - वेरी गुड मॊर्निंग् सुजॉय, और अपने सभी पाठकों को भी गुड मॊर्निंग्! वीकेंड अच्छा ही रहा और आजकल सर्दियाँ भी पड़ने लगी है दिल्ली में, तो मौसम बड़ा गुलबी गुलाबी सा हो गया है।

सुजॉय - आज एक नए सप्ताह की शुरुआत हो रही है, तो बताइए कि क्या सोचा है आज के 'ताज़ा सुर ताल' के लिए?

सजीव - आज हम फिर से रुख़ करेंगे ग़ैर फ़िल्म संगीत की तरफ़। शायद तुम्हे मालूम होगा कि कैलाश खेर की नई ऐल्बम आई है 'यात्रा'। तो क्यों ना आज इसी ऐल्बम की चर्चा की जाए और इस ऐल्बम से कुछ गानें सुना जाए!

सुजॉय - ज़रूर! वैसे मैने भी सुना तो है इसके बारे में, लेकिन मैने यह भी सुना है कि दरअसल यह ऐल्बम अंतर्राष्ट्रीय श्रोताओं के लिए बनाया गया है जिसमें कुछ नए गीतों के साथ साथ कैलाश खेर के पुराने हिट गीतों को भी शामिल किया गया है जिनका शायद पहले अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़्यादा प्रचार प्रसार नहीं हुआ था।

सजीव - कैलाश खेर उन गायकों में से हैं जो फ़िल्म और ग़ैर फ़िल्म संगीत, दोनों में ही समान रूप से सक्रीय रहे हैं। और उनके गीतों की खासियत रही है कि जल्दी ही लोगों की ज़ुबाँ पर चढ़ जाया करते हैं। तुमने सच कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय ऒडियन्स के लिए बनाया गया ऐल्बम है। बल्कि इस तरह का उनका यह पहला ऐल्बम है। इसका पूरा नाम है यात्रा - नोमैडिक सोल्स, और इसका विमोचन हुआ है अभी हाल ही में १५ सितंबर के दिन।

सुजॉय - कैलाश खेर और उनके इस ऐल्बम की चर्चा हम जारी रखेंगे, लेकिन उससे पहले यहाँ पर हम एक गीत सुनेंगे।

गीत: कैसे मैं कहूँ...kaise main kahun (yatra)


सजीव - इस ऐल्बम में जिन पुराने गीतों को शामिल किया गया है, उन्हे इंटरनैशनल लुक्स देने के लिए रीमास्टर किया गया है। लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं कि कुछ निरर्थक बीट्स और ट्रैक्स डाल कर उन्हे दूषित किया गया है। बल्कि अगर आप ने ऒरिजिनल वर्ज़न अगर नहीं सुन रखा है तो आप यह समझ भी नहीं पाएँगे कि आख़िर ऐसा क्या किया गया है इन गीतों के साथ।

सुजॉय - अभी जो हमने गीत सुना, वैसे तो गाने का रीदम, संगीत सयोजन, सब कुछ थिरकता हुआ सा सुनाई देत है, लेकिन दरअसल इस गीत में प्यार हो जाने पर जो बेक़रारी होती है, जो बेताबी होती है, उसी का ज़िक्र है।

सजीव - हाँ, और कैलाश खेर की आवाज़ ही कुछ ऐसी है कि गाने में कुछ अलग ही निखार आ जाता है। अब दूसरे गीत को ले लो, "जोबण छलके", जिसका आधार है राजस्थानी लोक संगीत। कैलाश खेर की सूफ़ीयाना अंदाज़ और साथ में राजस्थानी मिट्टी की ख़ुशबू, क्या बात है! आओ इस गीत को सुना जाए!

गीत: जोबण छलके...joban chalke (yatra)


सुजॉय - एक और गीत जिसका इंटरनैशनल वर्ज़न इस ऐल्बम में शामिल किया गया है, वह है "झूमो रे"। यह एक भक्ति रचना है, ध्यान से सुनकर इसके बोलों के महत्व को समझा जा सकता है। "तेरी काया नगर में राम राम, तू जंगल जंगल क्या ढ़ूंढे, तेरे रोम रोम में राम राम, तू पत्थर पे सर क्यों मारे"। भगवान इंसान के मन में बसता है, न कि मंदिरों में या पत्थर की मूरतों में।

सजीव - इतना ही नहीं, यह भी कहा गया है कि "मंदिर तोड़ो, मस्जिद तोड़ो, इसमें नहीं कोई ख़ता है, लेकिन दिल मत तोड़ो किसी का बंदे ये घर ख़ुदा का है"। भाव वही है।

सुजॉय - बहुत अच्छी बातें कही गई है, मुझे तो फ़िल्म 'बॊबी' का वह गीत याद आ गया नरेन्द्र चंचल का गाया हुआ - "बेशक़ मंदिर मस्जिद तोड़ो, पर प्यार भरा दिल किसी का ना तोड़ो"।

सजीव - बाबा बुल्ले शाह को याद करते हुए चलो यह गीत सुनते हैं।

गीत: झूमो रे...jhoomo re (yatra)


सजीव - अरे सुजॉय, कहाँ खो गए?

सुजॉय - ओ हो, सजीव, मैं तो बिल्कुल किसी और ही जगत में चला गया था। ईश्वर की इबादत कुछ इस तरह से हो रहा था कि मैं तो सुनते सुनते जैसे बिल्कुल ट्रान्स में चला गया था।

सजीव - बिल्कुल ठीक कहा! इसे ही कहते हैं सूफ़ीयाना अंदाज़। इसी तरह का संगीत ही हमें भगवान से जोड़ती है। चलो, अब आगे बढ़ते हैं और अब सुनते हैं कैलाश खेर का बहुत ही जाना पहचाना, और उतना ही सुपरहिट गीत "तेरी दीवानी"। इस गीत को तो इस ऐल्बम में शामिल करना ही था।

सुजॉय - हाँ, और अब इस गीत के बारे में कुछ कहने की ज़रूरत नहीं। मुझे बस इतना कहना है कि हाल में टीवी पर जितने भी टैलेंट हंट शोज़ हुए हैं, हर सीज़न में किसी ना किसी प्रतिभागी ने एक बार इस गीत को ज़रूर गाया है।

सजीव - हाँ और एक बात ये एक वाध्य रहित यानी कि हार्मोनिकल संस्करण है गीत का, विदेशों में ये प्रक्रिया बहुत मशहूर है, यहाँ गायक को ट्रैक की मर्यादाओं से निकल कर आवाज़ को खुल कर गाने का मौका मिल जाता है, कैलाश की आवाज़ में मात्र इस संसकरण के लिए ही इस अल्बम को ख़रीदा जा सकता है.

गीत: तेरी दीवानी...teri deewani (yatra)


सजीव - और अब आज का पाँचवाँ और अंतिम गीत, "जाणा जोगी दे नाल नी"।

सुजॉय - इस गीत की शुरुआत होती है एक बहुत ही उत्कृष्ट मीरा श्लोक से। "कागा सब तन खाइयो, चुन चुन खाइयो मांस, दो नैना मत खाइयो मोहे पिया मिलन की आस"। मीराबाई कहतीं हैं कि हे कागा (कौवा), तू मेरे मरने के बाद मेरे शरीर का हर अंग खा लेना, लेकिन मेरी दो आँखों को छोड़ देना क्यों कि मुझे मरने के बाद भी अपने कृष्ण से मिलने की आस बाक़ी रहेगी"। सजीव, इससे बेहतर प्रेम का उदाहरण और भला क्या हो सकता है, क्यों?

सजीव - सही बात है, मीराबाई इस धरती की सब से महान कवियत्री रहीं हैं और उनके भजनों के तो क्या कहने। इस गीत में कैलाश ने इस श्लोक को शामिल कर इस गीत का मान ही बढ़ दिया है। 'यात्रा' ऐल्बम, जैसा कि नाम है, इसमे जोगियों की बातें हैं, जोगी जो आत्मा से बंजारे हैं, दुनिया को अपने अमर उपदेश देते हुए यहाँ से वहाँ निरंतर भटकते रहते हैं। ऐसे ही नोमैडिक सोल्स को समर्पित है यह ऐल्बम। तो चलो, आज का आख़िरी गीत सुन लिया जाए। उम्मीद है सभी को ये गानें पसंद आये होंगे।

सुजॉय - एक बात और, इन गीतों को बस एक ही बार सुन कर छोड़ मत दीजिएगा, ये गानें ऐसे हैं जिन्हे बार बार सुन कर ही उनका मज़ा लिया जा सकता है।

गीत: जाणा जोगी दे नाल...jaana jogi de naal(kailash kher)


और अब समय है ट्रिविया का

TST ट्रिविया # 34. बालावस्था में कैलाश खेर एक गुरु की तलाश में अपने घर से भाग कर दिल्ली आ गए थे। बताइए कि उनका घर कहाँ पे था।

TST ट्रिविया # 35. कैलासा बैंड में कैलाश खेर के साथी रहे हैं दो भाई जो कैलाश के गीतों में पाश्चात्य संगीत का फ़्युज़न करते हैं। इन दो भाइयों के नाम बताइए।

TST ट्रिविया # 36. अगर आमिर ख़ान को कैलाश खेर के साथ आप "चाँद सिफ़ारिश" गीत से जोड़ सकते हैं तो किस गीत से आप उन्हे शाहरुख़ ख़ान से जोड़ेंगे?


"यात्रा" अल्बम को आवाज़ रेटिंग ***
चूँकि सभी गीत (एक आध को छोड़कर) पहले ही काफी सुने गुने जा चुके हैं, तो एल्बम कुछ नया लेकर नहीं आती, जिस कंपनी ने इसे प्रकाशित किया है उनके लिए कैषा के गाये गीत ही रखे गए हैं, जबकि उनके सबसे सफल एल्बम "कैलासा" जिसमें "सैयां" और "जाना जोगी दे नाल" जैसे गीत थे उनकी कमी खल रही है.

आवाज़ की टीम ने इस अल्बम को दी है अपनी रेटिंग. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसे लगे? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत अल्बम को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

शुभकामनाएँ....


अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

6 श्रोताओं का कहना है :

निर्मला कपिला का कहना है कि -

ांअपकी सौगात बहुत अच्छी है सुन रहे हैं धन्यवाद्

seema gupta का कहना है कि -

1) in stinky feet land, a small village 25 km from Meerut

regards

seema gupta का कहना है कि -

2) Paresh and Naresh Kamath
regards

seema gupta का कहना है कि -

3) kaal (2005)
regards

विश्व दीपक का कहना है कि -

३) "यूँ हीं चला चल राही"- स्वदेश

padmja sharma का कहना है कि -

अनुराग जी
कैलाश खेर को सुना .आनंद आ गया.आप बड़ा शानदार काम कर रहे हैं.
रचनात्मक सफ़र में आप मेरे साथ हुए हैं . धन्यवाद .

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ