रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


ComScore
प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Thursday, January 1, 2009

सरताज गीत 2008 - आवाज़ की वार्षिक गीतमाला में



वर्ष 2008 के श्रेष्ट 50 फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या 10 से 01 तक

पिछले अंक में हम आपको 20वें पायदान से 11वें पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ।

10वें पायदान - है गुजारिश - फ़िल्म गजिनी

अगर इस गीत को आप ध्यान से सुनें तो तो शुरू में और बीच बीच में एक गुनगुनाहट (हम्मिंग) सुनाई देती है, जो सोनू निगम की याद दिलाते हैं, जी हाँ ये हिस्सा सोनू ने ही गाया है, दरअसल इस धुन पर रहमान ने एक गीत बनाया था जिसे सोनू की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया था, पर अफ़सोस वो फ़िल्म नही बन पायी, जब फ़िल्म गजिनी के लिए इसी धुन पर जब प्रसून ने नए शब्द बिठाये, तब सोनू को फ़िर तलब किया गया, पर निगम उन दिनों विदेश में होने के कारण रिकॉर्डिंग के लिए उपलब्ध नही हो पाये तो रहमान ने जावेद अली से गीत को मुक्कमल करवाया पर हम्मिंग सोनू वाली (जो मूल गाने में थी) ही उन्होंने रहने दी. यकीं न हो गीत दुबारा सुनें.



9वें पायदान - इन लम्हों के दामन में - फ़िल्म -जोधा अकबर
एक बार रहमान का जादू है यहाँ, कितना खूबसूरत है ये गाना ये आप सुनकर ही जान पाएंगे. गीत में विविध भाव हैं, उतार चढाव हैं, जिसे मधु श्री और सोनू निगम ने अपनी आवाजों से बखूबी पेश किया है, शब्दों से कमाल किया है एक बार जावेद साहब ने. जावेद साहब ने एक तरफ़ इस पीरीअड फ़िल्म के लिए बोल लिखे वहीँ रॉक ऑन के लिए नए ज़माने के गीत लिखे. वाकई उनकी रैंज कमाल की है


8वें पायदान - डांस पे चांस- फ़िल्म- रब ने बना दी जोड़ी

अब अगर आपको नाचना नही आता तो फ़िक्र करने कि कोई जरुरत नही. बस ये मदमस्त गीत सुनिए और 5 मिनट में नाचना सीख जाईये, गीत की खासियत इसके अलहदा से सुनिए देते बोल ही हैं और सुनिधि की झूमा देने वाली आवाज़ भी, उस पर बीच बीच में देसी ठसका लिए आते हैं लाभ जंजुआ. सलीम सुलेमान ने इस फ़िल्म एक लम्बी छलांग लगायी है...आप भी सीखिए नाचने के गुर इस गीत को सुन.


7वें पायदान - तू मुस्कुरा - फ़िल्म - युवराज
शुक्र है सुनने को मिली हमारी अलका की भी आवाज़ टॉप १० में आकर, दरअसल नए कलाकारों की भीड़ में पुराने गायक गायिकाओं की आवाज़ कहीं सुनने को मिले अचानक तो बेहद सुखद लगता है, और इसी गीत के साथ पहली बार इस गीतमाला में शामिल हुए हैं हमारे गुलज़ार साहब भी. सुंदर बोल पर रहमान का मधुर संगीत और जावेद अली के साथ अलका याग्निक की मन को छूती ये आवाज़ यही है फ़िल्म युवराज के "तू मुस्कुरा" गीत की खूबियाँ.


6वें पायदान - मर जावां- फ़िल्म- फैशन

इरफान सिद्दीक का जिक्र हम पहले भी कर चुके हैं, उनके लिखे इस गीत में और सलीम सुलेमान के रचे इस संगीत में मिटटी की खुशबू है. स्क्रीन पर इसे एक फैशन शो का हिस्सा दिखाया गया है. जाहिर सी बात, दृश्य प्राथमिक थे और गीत को सिर्फ़ उसे सहयोग देना था पर श्रुति पाठक के गाये इस गीत ने संगीत प्रेमियों पर ऐसा जादू किया कि ये फ़िल्म का सबसे लोकप्रिय गीत बन कर उभर कर सामने आया. निश्चित ही इस गीत लंबे समय तक संगीत के चाहने वालों के दिल में अपनी जगह बनाये रखने की समर्थता है.....मर जावां ...


5वें पायदान - कहीं तो कहीं तो - फ़िल्म - जाने तू या जाने न

इस फ़िल्म की और इसके संगीत की हम पहले भी इस गीतमाला में खूब चर्चा कर चुके हैं, ये पांचवां गीत है इस फ़िल्म का जो हमारे टॉप 50 का हिस्सा है, और किसी फ़िल्म को ये सम्मान नही मिला जोधा अकबर के हालाँकि 4 गीत हैं. पर फ़िर भी जाने तू या जाने न के हर गीत युवा प्रेमियों के दिल की बात कहता प्रतीत होता है. पांचवीं पायदान पर इस फ़िल्म का सबसे मीठा और सबसे खूबसूरत गीत है. ज़रा सुनिए रशीद अली और वसुंधरा दास ने कितना डूब कर गाया है इसे. "कहीं तो कोई तो है नशा तेरी मेरी हर मुलाकात में...." जैसे बोल लिखकर अब्बास टायरवाला ने साबित किया है वो सिर्फ़ चालू किस्म के नही ज़ज्बाती गीत भी बखूबी लिख सकते हैं....सुनिए....और डूब जाईये ...


चौथे पायदान - आज वे हवाओं में - फ़िल्म - युवराज

आवाज़ का दरिया हूँ, बहता हूँ मैं नीली रातों में, मैं जागता रहता हूँ नींद भरी झील सी आँखों में....बताईये ज़रा ऐसे बोल किसकी निशानी है, जी हाँ गुलज़ार साहब के कलम की बूँद बूँद छाप है इस शानदार गीत में, शुरू का अलाप लिया है ख़ुद रहमान ने बाद का मोर्चा संभाला है बेन्नी दयाल और श्रेया घोषाल ने पर ये गुलज़ार साहब के शब्द ही हैं जो इस गीत को बरसों बाद भी हमें गुनगुनाने के लिए मजबूर करेगा. ये रहमान का अन्तिम गीत है इस गीतमाला में तो पेश हैं ये नग्मा उसी संगीत सम्राट के नाम... आजा वे हवाओं में...


तीसरे पायदान - तेरी और - फ़िल्म - सिंग इस किंग
राहत साहब की उडानों वाली आवाज़ को कहीं कहीं थाम कर रोकती श्रेया की मधुर पुकार..."एक हीर थी और एक राँझा...कहते हैं मेरे गाँव में...", गीत में प्रीतम ने बेहद भारतीय वाद्यों से कमाल का समां बांधा है, ये सच है चोरी के आरोपों ने प्रीतम की छवि ख़राब की है पर इस संगीतकार में गजब की प्रतिभा भी है ख़ास कर जब ये देसी अंदाज़ के गीत बनाते हैं तो ऐसा मौहौल रच देते हैं की सुनने वाला बस खो सा जाता है याद कीजिये फ़िल्म जब वी मेट का "नगाडा" गीत, ये गीत भी बेहद खूबसूरत है. मयूर पुरी ने लिखे हैं इसके बोल, और यकीनन बहुत कमाल के शब्द चुने हैं उन्होंने. ऑंखें बंद कर सुनें राहत फतह अली खान को गाते हुए...तेरी ओर...


दूसरे पायदान - रॉक ऑन - फ़िल्म -रॉक ऑन

कहते हैं मात्र 5 दिन साथ रह कर शंकर, एहसान, लोय, फरहान, और जावेद साहब ने मिलकर इस फ़िल्म 9 ट्रेक रच डाले. जिसमें से 8 ही एल्बम में शामिल हो पाये. 6 गीतों को स्वर दिया ख़ुद फरहान ने. दरअसल रॉक संगीत को भारत में स्थापित करने की कोशिश इससे पहले भी कई बार हुई है, पर ख़ुद के रचे गानों में दम न होने के जब रॉक बैंड नाकाम होकर कवर वर्जन गाने लगे तो कहा जाने लगा कि हिंदुस्तान में रॉक का कोई भविष्य नही. पर इस फ़िल्म के गीतों ने हिन्दी रॉक संगीत को एकदम से रोक्किंग बना दिया है. दरअसल रॉक संगीत में कविता का बहुत बढ़िया इस्तेमाल हो सकता है, जैसा कि इस फ़िल्म के कई गीतों में देखने को मिला है तो आगे भी इस तरह के प्रयोग होते रहें तो अच्छा है. ये गीत मन में एक नई आशा भरता है. अपने ख्वाबों को दबाना छोड़ दें और खुल कर पंख फैलाएं ऊंची उडानों के लिए.....शायद नए साल पर रॉक ऑन आपको यही संदेश देना चाहता है....आपके सपनें है आपके अपने..रॉक ऑन .



सरताज गीत २००८ - हौले हौले - फ़िल्म -रब ने बना दी जोड़ी

आम आदमी की जीवनचर्या और उसकी सोच को परिभाषित करता है ये हमारा नम्बर 1 गीत "हौले हौले सब कुछ होता है...तू सब्र तो कर सब्र का फल मीठा होता है". अब आप कहेंगे ये तो पुरानी सीख है, पर दोस्तों दरअसल इस गीत के माध्यम से ये गीत सही समय पर आया है, अंधी दौड़ में भागते हर मध्यम वर्गीय आदमी ने अचानक जल्द से जल्द अमीर बनने का सपना देखा. बाज़ार बदला बहुत से दिल बैठ गए....सेंसेक्स की मार से घायल आम आदमी जो अपने मेहनत की जमा पूँजी को डूबता देख रहा था उसके लिए राहत और सबक बन कर आया जयदीप सहानी का लिखा ये गीत. "चक दे" के बाद जयदीप का ये एक और बड़ा गीत है जो शीर्ष स्थान तक पहुँचा है. संगीत सलीम सुलेमान का और आवाज़ है सुखविंदर सिंह जिन्होंने इस गीत को गाकर अपने सभी आलोचकों के मुँह बंद कर दिए हैं....सरताज गीत 2008 ...हौले हौले से सुनिए ज़रा....






साल 2008 के 5 गैर फिल्मी गीत -

5. आसमान - के के
4. आवेगी या नही - रब्बी शेरगिल
3. दौलत शोहरत - कैलाश खेर
2. सोचता हूँ मैं - सोनू निगम
1. सांवरे - रूप कुमार राठोड


सुनिए इन गीतों को भी -



वर्ष २००९ भी इसी प्रकार संगीतमय गुजरे इसी कमाना के साथ हम विदा लेते हैं, नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ. यदि आपने आज की हमारी विशेष प्रस्तुति नही सुनी तो यहाँ सुनिए.



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राज भाटिय़ा का कहना है कि -

नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद

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