साथियो,
किशोर कुमार के जीवन के आख़िरी दशक (१९८०-१९८७)की कुछ झलकियों के साथ इस बार का किशोर नामा प्रस्तुत है |
उस दशक में किशोर कुमार गायकों में एक अनुभवी और सबसे मशहूर नाम था| लगभग हर गीतकार और संगीतकार के साथ उन्होंने काम किया| उनकी इस विभिन्नता (diversity)के कुछ नमूने -
१९८० - गीत - ओम शान्ति ओम - फ़िल्म - क़र्ज़, संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गीतकार - आनंद बख्शी
१९८२ - गीत - पग घुँघरू बाँध - फ़िल्म - नमक हलाल, संगीत - बप्पी लाहिरी, गीतकार - अनजान
१९८३ - गीत - हमें और जीने की अगर तुम न होते, संगीत - राहुल देव बर्मन, गीतकार - गुलशन बावरा
१९८५ - गीत - सागर किनारे सागर, संगीत - राहुल देव बर्मन, गीतकार - जावेद अख्तर
अभिनेता के रूप में जिन मुख्य फिल्मों में काम किया वे कुछ ऐसे हैं -
चलती का नाम ज़िंदगी(१९८१)
दूर वादियों में कहीं (१९८२)
अपमान (१९८२)
सुन सजना (१९८२)
कौन जीता कौन हारा (१९८७)
संगीतकार के रूप में इन फिल्मों में छाप छोड़ी -
चलती का नाम ज़िंदगी (१९८१)
ममता की छाँव में (१९९०)
हरफनमौला की आख़िरी कोशिश-
१९९० में आयी फ़िल्म -"ममता की छाँव में" दादा की आख़िरी कोशिश साबित हुयी |यह फ़िल्म इस बात को मजबूत करती है कि एक कामियाब कलाकार हमेशा अपने हुनर को जिंदा और जवां रखता है | हरफनमौला किशोर ने इस फ़िल्म में निर्देशन किया,गीत लिखा और गाया भी | उनके रहते यह फ़िल्म पूरी नहीं हो पायी और बाद में उनके बेटे अमित कुमार ने बड़े मेहनत से इसे पूरा किया और इसे यादगार बनाया |इस फ़िल्म में लीना जी और अमित कुमार ने अभिनय भी किया था | दादा के चहिते राजेश खन्ना ने भी इसमे अपनी दादा के साथ अन्तिम छाप छोड़ी |
किशोर की आख़री सौगात-
८० के दशक में किशोर कुमार और संगीतकार बप्पी लहरी की जोड़ी अपने जड़ें ज़मा रही थीं | अफ़सोस, यह सफ़र लंबे समय का नही था | अक्टूबर १२,१९८७ के दिन किशोर ने बप्पी का एक गीत गाया |यह गीत फ़िल्म "वक्त की आवाज़" के लिए आशा भोसले के साथ एक युगल गीत था | गीत था "ये गुरु आ जाओ" |बप्पी लहरी जो दादा को अपना गुरु भी मानते थे, गुरु के लिए आख़िरी गीत दे रहे थे | १३ अक्टूबर १९८७ के दिन, किशोर कुमार एक बड़े ह्रदय अपघात(Heart Attack)से हमेशा के लिए चल दिए | उस समय उनकी उम्र ५८ की थी |अपने अन्तिम दिनों में दादा का मन शहरी जीवन से भर गया सा जान पड़ता था |शहरों के बनावटीपन से दूर रहने वाले किशोर अपने घर "खंडवा" लौटना चाह रहे थे |
उनका मन था कि वे अपनी आवाज़ में अपने रोल मॉडल "कुंदन लाल सहगल" के गीतों की रिकॉर्डिंग कर पेश करें | लेकिन यह सब अधूरा रह गया |
पुरस्कार और सम्मान-
किशोर कुमार को ८० के दशक में इन फिल्मों के लिए फ़िल्म फेअर पुरस्कार मिला |
१. १९८२ - गीत - "पग घुंगरू बाँध", फ़िल्म - नमक हलाल
२. १९८३ - गीत - "हमें और जीने की", फ़िल्म - अगर तुम ना होते
३. १९८4 - गीत - "मंजिले अपनी जगह है", फ़िल्म - शराबी
४. १९८५ - गीत - "सागर किनारे", फ़िल्म - सागर |
इसके अलावा 15 से अधिक बरस उनके नाम पुरस्कार के लिए आते रहें |
यह बात उस वक्त की है जब हिन्दी फ़िल्म जगत काफी जवां हो गया था और कई गायक,कलाकार पैर जमा चुके थे,फ़िर भी दादा अपने आप में एक मिसाल बने रहे |
भारत सरकार ने किशोर कुमार के नाम से डाक टिकट जारी करके उन्हें सम्मान दिया है |
आज भी अमित कुमार स्टेज शो और साक्षात्कार के ज़रिये अपने पिता की बातों को लोगों से बाँटते रहते हैं |
किशोर कुमार के दीवानों की कमी नही हैं,उनके नाम पर आज भी क्लब चलते हैं, संगीत प्रतियोगिता होती रहती है | कलाकारों का एक हुजूम उन्हें अपना प्रेरक मान कर याद करता रहता है |
कुमार सानु, अभिजित और बाबुल सुप्रियो जैसे हिन्दी फिल्मों के पार्श्व गायक दादा के गीतों से सीख ले आगे बढ़ते रहें हैं | किशोर के दुसरे बेटे "सुमित कुमार" ने भी गायकी में कदम बढ़ा दिया है |
इस तरह से किशोर कुमार आज भी हमारे बीच किसी ना किसी सूरत में गाता रहता है, आता रहता है |
कभी गीत -संगीत में सुनायी देता है,
कभी ऐक्टर - डेरक्टर बन दिखाई देता है,
कहीं नहीं गया किशोर कुमार अपना ,
वो तो हमारे दिलों में यहीं - कहीं रहता है |
सुनते हैं किशोर दा के ये दस रोमांटिक गीत -
१. सागर जैसी आँखों वाली...
२. रात कली एक ख्वाब में आई...
३. तेरे चेहरे में...
४. सिमटी सी शरमाई सी...
५. ये नैना ये काजल...
६. पल भर के लिए...
७ हमें तुमसे प्यार कितना...
८. पल पल दिल के पास...
९. छूकर मेरे मन को...
१०.प्यार दीवाना होता है...
-- अवनीश तिवारी
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5 श्रोताओं का कहना है :
बहुत अच्छा प्रयास है, बधाई!
इंटरमीडिएट में मेरा एक दोस्त बना था 'रवि यादव'। उसको किशोर कुमार का एक गीत बेहद पसंद था 'मेरे दिल में आज क्या है, तू कहे तो मैं बता दूँ'। इसे वो हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ प्रेम-गीत मानता था। मेरे हिसाब से भी इसे कम से कम किशोर कुमार श्रेष्ठ १० प्रेमगीतों में होना चाहिए था।
यह लेख किशोर कुमार के ४ दशकों के परिचय को पूर्ण तो करता है लेकिन बहुत कुछ है बताने के लिए शेष है |
उसपर काम शुरू है |
हिंद युग्म और पाठकों का आभार |
गीतों का आनंद लें .....
-- अवनीश तिवारी
बहुत मीठे गीत सुनवाए हैं। आनन्द आगया। अवनीश जी बधाई।
आये तुम याद मुझे, गाने लगी हर धड़कन....
किसका रस्ता देखे, ऐ दिल ऐ...
....
लिस्ट बहुत लंबी है....कितने गाने डालेंगे...
अच्छा संयोजन
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