रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Wednesday, June 17, 2009

काला ना कोई हो गोरा...एक रंग सभी का रंग दे - सार्थक गीतों के पहरूवा पंकज अवस्थी



ताजा सुर ताल (५)

नए संगीत में आज हम आपको सुनवाने जा रहे हैं, एक ऐसा गीत जो ऑस्ट्रेलिया में घटी ताज़ी घटनाओं के चलते और भी सार्थक हो गया है. इस गीत को स्वरबद्ध और संगीतबद्ध किया है एक ऐसे फनकार ने जिन्हें मुद्दों से जुड़े गीतों को रचने में महारत है. उनके हर गीत का एक मकसद होता है, या कहें कि वो संगीत को एक माध्यम की तरह इस्तेमाल करते हैं अपनी बात को दुनिया तक पहुँचाने के लिए. जी हाँ हम बात कर रहे हैं उभरते हुए संगीतकार और गायक पंकज अवस्थी की. उनका संगीत सरल और शुद्ध होते हुए भी दिल को छूता है और सबसे बड़ी बात ये कि सुनने वालों को सोचने के लिए भी मजबूर करता है. हैरी बवेजा की फिल्म "करम" के शीर्षक गीत "तेरा ही करम..." से भारतीय श्रोताओं ने उन्हें परखा. "खुदा के वास्ते..." गीत और उसके विडियो से पंकज ने जाहिर कर दिया कि वो किस तरह के संगीत को अपना आधार मानते हैं. उनकी एल्बम "नाइन" में भी उनके सूफी अंदाज़ को बेहद सराहा गया. इस एल्बम ने उन्हें देश विदेश में ख्याति दी. हिट गीत "खुदा के वास्ते..." भी इस एल्बम का हिस्सा था, जिसे बाद में जर्मन संगीतकर्मी फ्रेडल लेनोनेक ने अपने एल्बम रिफ्लेक्शन भाग २ के पहले गीत का हिस्सा बनाया.

बॉलीवुड में उन्हें असल पहचान मिली फिल्म "अनवर" के संगीत निर्देशक के रूप में. पंकज एक अंतर्राष्ट्रीय संगीत गठबंधन "मिली भगत" के अहम् घटक भी हैं. प्रस्तुत गीत "ऐ साये मेरे" में भी पंकज अपने उसी चिर परिचित अंदाज़ में हैं. जुनैद वारसी ने बहुत बढ़िया लिखा है इस गीत को तो पंकज ने भी दिल से आवाज़ दी है उनके शब्दों में छुपी गंभीरता को. हिंद युग्म परिवार के वरिष्ठ सदस्य अवनीश गौतम, पंकज अवस्थी के बेहद करीबी मित्रों में हैं, जब अवनीश जी ने उन्हें इस गीत के लिए फ़ोन कर बधाई दी तो पंकज ने इस बात का खुलासा किया कि गीत का रिदम पक्ष मशहूर संगीतकार तौफीक कुरैशी ने संभाला है, यकीनन ये गीत की गुणवत्ता में चार चाँद लगा रहा है। चूँकि अवनीश जी की पंकज से घनिष्ठता रही है, इसलिए हमने उनसे पंकज से जुड़ी और भी बातें जाननी चाहीं। खुद अवनीश जी के शब्दों में:


"जब मैं पहली बार पंकज अवस्थी जी से मिला तो लगा ही नहीं कि हम पहली बार मिल रहे हैं. तब वो दिल्ली में रहते थे और "तेरा ही करम" तथा "खुदा का वास्ता" गा कर चर्चा में आ चुके थे उन दिनों पंकज कुछ प्रयोग धर्मी गाने बनाना चाहते थे और चाहते थे कि वो गाने मैं लिखूं. पंकज के भीतर जीवन और संगीत को ले कर एक गहरा अनुराग हैं और एक गहरी बेचैनी भी वो हमेशा कुछ अर्थपूर्ण करना चाहते हैं यह बात भी पंकज बहुत अच्छी तरह जानते है कि यह आसान नहीं है. उनका जूनून और उनका काम इस बात की गवाही देता है कि उनके काम में एक सच्ची आवाज़ बची हुई है जिस पर इस खतरनाक दौर में भी भरोसा किया जा सकता है."

चलिए अब "न्यू यार्क" पर वापस आते हैं। यश राज फिल्म के बैनर पर बनी फिल्म "न्यू यार्क" इस शहर में हुए ट्विन टावर हादसे को केंद्र में रख बुनी हुई कहानी है जिसमें जॉन अब्राहिम, नील नितिन मुकेश और कैटरिना कैफ ने अभिनय किया है. फिल्म के प्रोमोस देख कर आभास होता है कि फिल्म युवाओं को पसंद आ सकती है. यूं तो फिल्म के मुख्य संगीतकार प्रीतम हैं, पर पंकज का ये सोलो गीत ऐसा लगता है जैसे फिल्म के मूल थीम के साथ चलता हो, बहरहाल ये सब बातें फिल्म के प्रदर्शन के बाद ही पता लग पायेंगीं फिलहाल तो हमें सुनना है फिल्म "न्यू यार्क" का ये दमदार गीत, मगर उससे पहले डालिए जुनैद वारसी के बोलों पर एक नज़र-

आ आजा ऐ साये मेरे,
आ आजा कहीं और चलें,
हर सोच है एक बंद गली,
हर दिल में यहाँ ताले पड़े,

गर मुमकिन हो पाता मैं अपना नाम मिटा दूं,
बस बन जाऊं इंसान मैं हर पहचान मिटा दूं,
जब बरसे पहली बारिश, सब के घर बरसे,
बस पूछे ये इंसान कि अपना नाम घटा दूं...

माथे पे सभी के लिख दे
हाथों पे सभी के लिख दे
ज्यादा ना कोई कम हो,
एक नाम सभी का रख दे....

आ आजा साये मेरे....

इस एक ज़मीन के यार तू इतने टुकड़े ना कर,
जब हो सारे इंसान फर्क फिर उनमें ना कर,
जितना चाहे उन्स मोहब्बत अपनों से रख,
नफरत तो तू यार मगर यूं मुझसे ना कर..

शक्लों को सभी की रंग दे
जिस्मों को सभी के रंग दे,
काला ना हो कोई गोरा,
एक रंग सभी का रंग दे....

आ आजा ऐ साये मेरे...



क्या आप जानते हैं ?
आप नए संगीत को कितना समझते हैं चलिए इसे ज़रा यूं परखते हैं. उपर हमने फिल्म "अनवर" में पंकज अवस्थी के संगीत की बात की है, एक और नए संगीतकार ने इसी फिल्म से अपनी शुरुआत कर धूम मचाई थी, क्या आप जानते हैं उस संगीतकार का नाम ?



अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं.

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4 श्रोताओं का कहना है :

शरद तैलंग का कहना है कि -

doosare sangeetkar hai Mithoon

rachana का कहना है कि -

जी ठीक कहा मिथुन शर्मा जी हैं दूसरे संगीतकर
सादर
रचना

Shamikh Faraz का कहना है कि -

शरद तैलंग जी को सही जवाब के लिए बधाई.

विश्व दीपक का कहना है कि -

बहुत हीं खूबसूरत गीत है और यकीनन "है जुनूं" से कई गुना अच्छा भी। पंकज जी , इसी तरह दिन-दुनी रात चौगुनी तरक्की करें, यही कामना है।

-विश्व दीपक

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