रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


ComScore
प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, June 21, 2009

चाँद आहें भरेगा, फूल दिल थाम लेंगें, हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगें



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 118

नायिका की सुंदरता का बयाँ करने वाले गीतों की कोई कमी नहीं है हमारे फ़िल्म संगीत के ख़ज़ाने में। हर दौर मे, हर युग मे, हमारे गीतकारों ने ऐसे ऐसे ख़ूबसूरत से ख़ूबसूरत गीत हमें दिये हैं जिन्होने नायिका की ख़ूबसूरती को चार चाँद लगा दिये हैं। फ़िल्म सगीत के समुंदर में डुबकी लगाकर आज हम ऐसा ही मोती बाहर निकाल लाये हैं इस महफ़िल को रोशन करने के लिए। १९६३ की फ़िल्म 'फूल बने अंगारे' में मुकेश ने एक ऐसा ही गीत गाया था जिसमें फ़िल्म की नायिका माला सिंहा की ख़ूबसूरती का ज़िक्र हो रहा है। गीतकार आनंद बक्शी के शब्दों ने चाँद को आहें भरने पर मजबूर कर दिया था इस गीत में दोस्तों। जी हाँ, "चाँद आहें भरेगा, फूल दिल थाम लेंगे, हुस्न की बात चली तो, सब तेरा नाम लेंगे"। इससे बेहतर और कैसे करे कोई अपनी महबूबा की सुंदरता की तारीफ़! आनंद बख्शी साहब को अगर फ़िल्मी गीतों का 'ऑल राउंडर' कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ती नहीं होगी। ज़िंदगी की ज़ुबान का इस्तेमाल करते हुए उन्होने अपने गीतों को सरल, सुंदर और कर्णप्रिय बनाया। उनके गीतों की अपार सफलता और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है। जहाँ एक तरफ़ बोलचाल की भाषा का बेहिसाब इस्तेमाल बख्शी साहब ने किया है, वहीं कई कई बार उन्होने प्रस्तुत गीत की तरह अपने शायराना अंदाज़ का प्रमाण भी दिया है। इसी गीत के एक अंतरे को ले लीजिये जिसमें वो लिखते हैं कि "आँख नाज़ुक सी कलियाँ, बात मिसरी की डलियाँ, होंठ गंगा के साहिल, ज़ुल्फ़ें जन्नत की गलियाँ, तेरी ख़ातिर फ़रिश्ते सर पे इल्ज़ाम लेंगे, हुस्न की बात चली तो, सब तेरा नाम लेंगे।"

जब दर्द भरे गीतों की बात आती है तो मुकेश के आवाज़ की कोई सानी दूर दूर तक दिखाई नहीं देती है। लेकिन अगर ग़ौर करें तो हम यह पाते हैं कि मुकेश ने रोमांटिक गानें भी बड़े ही पुर-असर तरीके से गाये हैं। जब उनकी आवाज़ महबूबा की ख़ूबसूरती का बयान कर रही होती है, तो उसमें से एक अजीब सी इमानदारी, एक सच्चाई, एक अनोखा अपनापन छलकती है, जिन्हे सिर्फ़ गीत को सुनते हुए ही महसूस किया जा सकता है। इस गीत को भी मुकेश ने वही अंजाम दिया है। संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी की यह रचना है और जैसा कि हमने 'सरस्वती चंद्र' फ़िल्म का गीत "चंदन सा बदन" के सिलसिले में यह कहा था कि कल्याणजी-आनंदजी हमेशा यह कोशिश करते थे कि मुकेश के गाये जानेवाले गीतों में ज़्यादा से ज़्यादा 'न' शब्द या 'न' ध्वनि का इस्तेमाल हो क्यूंकि मुकेश की नेसल आवाज़ में यह ध्वनि बहुत ही सुदर सुनाई देती है, तो साहब, प्रस्तुत गीत में भी यथा संभव इसका प्रयोग हुआ है। कहाँ कहाँ हुआ है ये तो आप ख़ुद ही गीत को सुनते हुए अनुभव कीजिये।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें २ अंक और २५ सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के ५ गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा पहला "गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

१. जॉय मुखर्जी और साधना पर फिल्माया गया गीत.
२. एस एच बिहारी का लिखा गीत.
३. मुखड़े में शब्द है - "हुज़ूर".

कुछ याद आया...?

पिछली पहेली का परिणाम -
धीरे धीरे कदम बढाती स्वप्न मंजूषा जी शरद जी के करीब पहुँचने को है, १२ अंकों तक पहुँचने की बधाई, शरद जी जाने क्यों आये और बिना कुछ कहे चले गए. स्वप्न जी और पराग जी, हौंसला अफजाई के लिए धन्येवाद. आप सब का प्यार ही हमारी प्रेरणा है. स्वप्न मंजूषा जी आप जवाब के साथ फिल्म के प्रदर्शन का वर्ष भी लिखती हैं, कहीं आप जवाब गूगल सर्च का इस्तेमाल कर तो नहीं दे रहीं है न ? शरद जी ने ये बात स्वीकारी है. वैसे तो हम आपको नहीं रोक सकते. पर कोशिश करें कि जवाब अपनी याददाश्त से ही दें ताकि रोचकता बनी रहे, तो ये निर्णय कि जवाब कैसे देना है हम आप पर ही छोड़ते हैं :)

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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16 श्रोताओं का कहना है :

शरद तैलंग का कहना है कि -

bahut shukriya badi meharbaani meri zindagi mein huzoor aap aae

Swapna Manjusha का कहना है कि -

bilkul theek kahan Telang Sahab
film : ek musafir ek haseena

badhai hi badhai

mera computer hi kaam nahi kar raha hai, isliye dooste tareeke se jawab de rahi hun

Swapna Manjusha का कहना है कि -

सुजाय साहब,
मैंने भी, आकाशवाणी, और televison के लिए बहुत कार्यक्रम किये हैं, कनाडा में रेडियो प्रोग्राम , सोमवार से शनिवार तक हर दिन २ घंटे देने की आदत रह चुकी है, इसलिए कुछ जानकारी मुझे है और उन्हें ही बता देती हूँ, जहाँ तक गूगल का प्रश्न है उसका इस्तेमाल करने का वक्त तैलंग साहब कहाँ देते हैं, गूगल का इस्तेमाल मैंने बहुत किया है जब मैंने दो-दो घंटे लगातार रेडियो प्रोग्राम्स दिए है सप्ताह में ६ दिन, उसके बिना गुजरा कैसे होता आप ही बताइए

निर्मला कपिला का कहना है कि -

मै तो केवल गीत सुनने वालों मे हूँ पहेली वहीली अपने बस की बात नहीं है ये गीत बहुत सुन्दर है आभार्

Disha का कहना है कि -

बहुत शुक्रिया बडी़ मेहरबानी, मेरी जिन्दगी में हुजूर आप आये
कदम चूम लूँ, या के सजदा करूँ
करूँ क्या ये मुझको समझ में ना आये
"फिल्म--एक मुसाफिर एक हसीना"
दीपली पन्त तिवारी"दिशा"

Parag का कहना है कि -

संगीतकार ओ पी नय्यर और गीतकार शमशुल हुदा बिहारी ने इस गीत को संवारा है. शुरू के कुछ साल मजरूह साहब और साहिर साहब के साथ काम करने के बाद ओ पी जी ने कमर जलालाबादी, शेवन रिज़वी, नूर देवासी, एस एच बिहारी, जान निसार अख्तर जैसे उर्दू शायरोंके साथ ज्यादा काम किया था.

शरद जी और स्वप्न मंजूषा जी को बहुत बधाईयाँ.

आभारी
पराग

शरद तैलंग का कहना है कि -

मैं स्वप्न जी की बात से सहमत हूँ कि गूगल का इस्तेमाल करने के लिए भी वक्त चाहिए तब तक तो उत्तर कोई न कोई दे ही देता है । वैसे पहेलियों के क्लू से इतनी आसानी हो जाती है कि गूगल से पहले ही गीत समझ में आ जाता है । मुझे अभी तक सिर्फ़ एक दो गीतों मे ही उसका सहारा लेना पडा़ वो भी कन्फ़र्म करने के लिए.

राज भाटिय़ा का कहना है कि -

बहुत सुंदर सुंदर गीत आप सुनाते है, ओर सभी मेरी पसंद के, मेरे पास भी पुराने गीत का खजाना है , लेकिन जब अचानक यु सुनने को मिल जाये तो अच्छा लगता है.
धन्यवाद

मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे

Swapna Manjusha का कहना है कि -

सुजॉय साहब,

तैलंग साहब ने बिलकुल पते की बात कही है, आपकी पहेली में ही पहेली का जवाब होता है और हम लोग पहचान लेते हैं, ( जो क्लू हम आपको नहीं बताएँगे, वर्ना हम अपने ही पाँव पर कुल्हाडी मार लेंगे ) बस जो देर होती है वो या तो, टाइप करने में या फिर कंप्यूटर ने धोखा दे दिया जैसे आज मेरे साथ हुआ, जब तक मैं री-स्टार्ट करके वहां तक पहुचूँ, तेलंग साहब ने बाज़ी मार ली, लेकिन हम तो बस यही सोचते हैं घी कहाँ गिरा तो दाल में, तेलंग साहब जीतें या पराग साहब या मैं मतलब तो है, इस मंच पर शब्दों का एक सुरीला रिश्ता जोड़ना, कुछ अपनी कहना, कुछ सबकी सुनना और आप जो सुनायेंगे उसे तो जरूर ही सुनना

नियंत्रक । Admin का कहना है कि -

जी, मंजूषा जी,

यही सोचकर हमने अभी तक पहेली के जवाब को कमेंट रूप ही माँगा है और उसे मॉडरेट भी नहीं किया है, क्योंकि हमारा मानना है कि यदि हम समय-सीमा जैसी बात नहीं रखते तो सभी श्रोता गूगल बाबा की मदद से सही जवाब भेज सकते हैं। लेकिन एक मिनट में ही या तुरंत वही श्रोता जवाब दे सकता है जो बहुत अधिक जानकारी रखता है। और हमे लगता है कि श्रोता जल्दी जवाब देने की यह प्रक्रिया एनज्वाय भी कर रहे हैं।

Swapna Manjusha का कहना है कि -

बिलकुल ठीक कह रहे हैं आप, अब आप कल की ही बात लीजिये, मैंने पहेली पढ़ी और सबसे पहले जवाब मैंने लिख कर भेजा, जिसमें सिर्फ गाने ली लाइन थी उसमें मैंने कोई वर्ष, या अन्य जानकारियां नहीं डाली थी , फिर तैलंग साहब ने पहेली पढ़ी और जवाब दिया उन्होंने ने भी सिर्फ लाइन ही लिखा लेकिन वो गलत था, जिसे उन्होंने डिलीट कर दिया, जब उन्होंने डिलीट किया तब मैंने अन्य जानकारियों के साथ दो-बारा भेजा और अपनी पहले एंट्री डिलीट कर दिया जिसे पढ़ कर 'शायद' आपको लगा की मैंने गूगल में जाकर सर्च करके भेजा है. आप सारी एंट्री देख सकते हैं

शरद तैलंग का कहना है कि -

आपकी इस पहेली ने तो हमारी ऐसी हालत कर दी है कि छ: बजते ही सारे काम धाम छॊड़ कर कम्प्यूटर के सामने आ धमकते हैं और कोशिश करते हैं कि जवाब जल्दी से जल्दी दे दिया जाए नहीं तो स्वप्न मंजूषा जी की पोस्ट आ जाएगी इसीलिए जल्दी के चक्कर में इंगलिश में ही सिर्फ़ गाने की पंक्तियां लिख कर इतिश्री कर लेते है अब तो हम इसके नशे के आदी होते जा रहे हैं ।

कौतुक रमण का कहना है कि -

धन्यवाद, बहुत दिन हो गये थे इसे सुने हुए.

Swapna Manjusha का कहना है कि -

नहीं तेलंग साहब, अब कल से मैं थोड़ी लेट ही होने वाली हूँ,

सुजॉय साहब,
चाँद आहें भरेगा फूल दिल थाम लेंगे, इस गाने को सुनने में जितने ख़ुशी आज हुई है शायद उतनी पहले कभी नहीं हुई, यह गीत मेरे पसंदीदा गीतों में से एक है, आपका बहुत बहुत धन्यवाद,

तेलंग साहब,
जब आपके २५ अंक हो जायेंगे तो ये गाना एक बार फिर ज़रूर सुनवा दीजियेगा .

शरद तैलंग का कहना है कि -

मन्जूषा जी
आप चाहें तो www.youtube.com पर इस गीत को रोज़ ही सुन सकतीं हैं

Shamikh Faraz का कहना है कि -

मैं भी निर्मला जी की तरह गीत सुनने वालों में से हूँ. पहेली मेरे बस की नहीं.

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