रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Tuesday, September 8, 2009

रोको आत्महत्याएँ....जगाओ आत्मविश्वास... अभिजीत सावंत और पल्लव पाण्डया की संगीतमयी पहल



दोस्तों नए फनकारों को एक मंच देने आवाज़ का परम उद्देश्य है. इसी कोशिश में आज एक कड़ी और जुड़ रही है. मिलिए संगीतकार, गायक और परामर्शदाता पल्लव पाण्डया से. दुनिया भर में प्रतिवर्ष हजारों लोग जीवन से हताश होकर अपनी जीवन लीला स्वयं समाप्त कर देते हैं और इश्वर के दिए इस अनमोल तोहफे को यूंही जाया कर देते हैं. अधिकतर मामलों में आत्महत्या लम्बे समय से चल रहे घुटन का नतीजा होती है जिसे रोका जा सकता है यदि सही समय पर उस व्यक्ति की मनोदशा को समझने वाला या सिर्फ सुनने वाला ही कोई मिल जाए. हमारे आज के कलाकार पल्लव प्रतिदिन ५ से १० व्यक्तियों में अपनी "कौन्सिलिंग" से जीवन को वापस जीने का उत्साह भरते हैं. वो इस आंकडे को और बढ़ाना चाहते हैं ताकि आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों की तादाद घटे. अपनी इसी कोशिश को संगीत के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने का नेक इरादा लेकर पल्लव ने इस गीत को लिखा और संगीतबद्ध किया. इस नेक काम से जुड़े पहले इंडियन आइडल रहे अभिजीत सावंत भी जिन्होंने इस गीत को अपनी आवाज़ दी. पल्लव संगीत के असर को, उसके महत्त्व को बखूबी समझते हैं, इसीलिए आज आवाज़ के माध्यम से वो इस गीत को आप सब श्रोताओं के समक्ष रख रहे हैं.

दोस्तों जिस तरह स्वायिन फ्लू और एच आई वी जैसी महामारियों को रोकने के लिए सरकार के साथ साथ हम सब कटिबद्ध है, आत्महत्या प्रवर्ति भी जो आज के समाज में एक बड़े नासूर की तरह अपनी जड़ें फैला रही है उसे भी नियंत्रण में करने की जरुरत साफ़ नज़र आती है. पूरी दुनिया में हर ४० सेकंड में एक व्यक्ति अपने जीवन का अंत करने की कोशिश कर रहा है और उससे भी भयावह ये है कि इनमें से ६० प्रतिशत अभागे भारत चीन और जापान से हैं. हाल ही में दसवीं बोर्ड परीक्षाओं को हटा कर सरकार ने एक शानदार पहल की है. दोस्तों कल विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है इस अवसर पर आईये हम सब पल्लव के इस गीत को सुनते हुए ये प्रण करें कि अपने व्यस्त रोजमर्रा के जीवन में भी हम समय निकालें किसी के मन की बात सुनने के लिए....किसी से दो बोल मीठे कहने के लिए....किसी को देख कर मुस्कुराने के लिए....हो सकता है आपकी एक छोटी सी कोशिश किसी को जीने की उम्मीद दे दे.....

पल्लव के बारे में हम आपको बता दें कि वो पिछले ३० सालों से संगीत और मानव सेवा में लगे हैं. ७ वर्षों तक आशा भोंसले के साथ काम करने का बाद इन दिनों आप सोनू निगम के साथ बतौर group leader काम कर रहे हैं. इनके काम और संगीत के बारे में अधिक जानकारी आप उनके जाल स्थल से भी प्राप्त कर सकते हैं....फिलहाल देखते और सुनते हैं इस गीत को जिसका शीर्षक है यूं कैन डू इट....

SONG : YOU CAN DO IT
WRITTEN AND COMPOSED BY :PALLAV PANDAYA
SINGERS : ABHIJIT SAWANT AND PALLAV PANDAYA


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5 श्रोताओं का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

प्रण करें कि अपने व्यस्त रोजमर्रा के जीवन में भी हम समय निकालें किसी के मन की बात सुनने के लिए....किसी से दो बोल मीठे कहने के लिए....किसी को देख कर मुस्कुराने के लिए....हो सकता है आपकी एक छोटी सी कोशिश किसी को जीने की उम्मीद दे दे.....
" बेहद सराहनीय प्रयास और उर्जा से भरे ये शब्द .....हम भी इस प्रण में शामिल हैं.."
regards

विश्व दीपक का कहना है कि -

बढिया प्रयास।
मेरे हिसाब से इस प्रयास/इस गीत को और भी बल मिलता अगर किसानों की आत्महत्या की समस्या को भी ध्यान में रखा जाता। गीत का मोटो "जी लो जीवन जी भर के" में दम तो है, लेकिन कुछ और जोर की आवश्यकता है।

संगीत और गायकी से मुझे कोई शिकायत नहीं (दोनों उच्च स्तर की हैं) ,लेकिन मुझे लगता है कि बोलों में सुधार की गुंजाईश है।

-विश्व दीपक

Manju Gupta का कहना है कि -

उनका मानवीय काम सराहनीय है .आत्महत्या से रोकने के मोटो एक से बढ़कर एक है . .

Shamikh Faraz का कहना है कि -

पूरी दुनिया में हर ४० सेकंड में एक व्यक्ति अपने जीवन का अंत करने की कोशिश कर रहा है और उससे भी भयावह ये है कि इनमें से ६० प्रतिशत अभागे भारत चीन और जापान से हैं. यह बहुत ही दुःख की बात है. लेकिन आज के इस तनाव पूर्ण माहोल में किस तरह से खुद को खुश रखा जाए . इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
अभिजीत सावंत, पल्लव पंड्या और नीरज श्रीधर जी ने बहुत ही नेक काम किया है. हिंद्युम्ग इस खुबसूरत खबर का श्रोत बना. शुक्रगुजार हूँ.

pallav pandya का कहना है कि -

Namaste
mere mission aur gane ki sarahna ke liye mai aap ka bohot hi abahari hun..mane is gane ki bhasha ko lekar kafi vichar vimarsh
ke bad ye tay kiya ki kyouki ye gana sare vishva me suna jayega,iski bhasha "bolliwood hinglish"chuni jaye.Aaj indian logo ki samanya bhasha{including internal dilogues}hinglish ho gayi hai.maine is gane main NLP aur auto sugession jaisi taknik ka prayog kiya hai.yah gane ko jyada logo tak pohchane ke maqsad se maine yah bahsha chuni hai.i know it may hurt some people & i sincerly apologise but it was a required step.gana aam logo ki juban me na ho to log avoid karte hai mujhe south india ke NGO se ye massege aya ke gana effective hai par english mai ho to log samajh payange.yah gana vaise ek geet lagta hai par ye gana MNLP kaha jayega.[musical neuro lingustic programming}apart of i never expected this positive responce from this aeria of listners.tehdil se shukriya awaz team aur seema guptaji ka likhne ka andaz bhot hi creative hai. please aap ki koi rachna ji ashavad ya affermations par hai to mujhe please musicwithpallav@yahoo.co.in par bhej dijiye.mai apni priroty ke hisab se gana compose record kar ke relese kar sakta hun.gana positiviti pe hona chaiye.thanks shukriya..

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