रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Saturday, September 5, 2009

रे मन सुर में गा...फ़िल्मी गीतों में भी दिए हैं मन्ना डे और आशा ने उत्कृष्ट राग गायन की मिसाल



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 193

फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के पार्श्वगायकों में एक महत्वपूर्ण नाम मन्ना डे साहब का रहा है। भले ही उन्हे नायकों के पार्श्व गायन के लिए बहुत ज़्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन उनकी गायकी का लोहा हर संगीतकार मानता था। शास्त्रीय संगीत में उनकी मज़बूत पकड़ का ही नतीजा था कि जब भी किसी फ़िल्म में शास्त्रीय संगीत पर आधारित, या फिर दूसरे शब्दों में, मुश्किल गीतों की बारी आती थी तो फ़िल्मकारों और संगीतकारों को सब से पहले मन्ना दा की ही याद आ जाती थी। आज '१० गायक और एक आपकी आशा' की तीसरी कड़ी में आशा भोंसले का साथ निभाने के लिए हमने आमंत्रण दिया है इसी सुर गंधर्व मन्ना डे साहब को! युं तो मन्ना दा ने लता मंगेशकर के साथ ही अपने ज़्यादातर लोकप्रिय युगल गीत गाए हैं, लेकिन आशा जी के साथ भी उनके गाए बहुत सी सुमधुर रचनाएँ हैं। आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में छा रहा है शास्त्रीय संगीत का रंग मन्ना दा और आशा जी की आवाज़ों में। फ़िल्म 'लाल पत्थर' का यह गीत है "रे मन सुर में गा"। क्या गाया है इन दोनों ने इस गीत को! कोई किसी से कम नहीं। इस जैसे गीत को सुन कर कौन कह सकता है कि फ़िल्मी गायक गायिकाएँ पारंपरिक शास्त्रीय गायकों के मुक़ाबले कुछ कम है! शास्त्रीय गायन की इस पुर-असर जुगलबंदी ने फ़िल्म संगीत के मान सम्मान को कई गुणा बढ़ा दिया है। 'लाल पत्थर' एफ़. सी. मेहरा की एक मशहूर और चर्चित फ़िल्म रही है जिसमें राज कुमार, हेमा मालिनी, राखी और विनोद मेहरा जैसे बड़े सितारों ने जानदार भूमिकाएँ निभायी। निर्देशक थे सुशील मजुमदार। फ़िल्म की कहानी प्रशांत चौधरी की थी, संवाद लिखे ब्रजेन्द्र गौड़ ने, और स्कीनप्ले था नबेन्दु घोष का। १९७१ में जब यह फ़िल्म बनी थी तब जयकिशन इस दुनिया में नहीं थे। शंकर ने अकेले ही फ़िल्म का संगीत तैयार किया, लेकिन 'शंकर जयकिशन' के नाम से ही। जयकिशन के नाम को हटाना उन्होने गवारा नहीं किया। इस फ़िल्म के गानें लिखे हसरत जयपुरी, नीरज और नवोदित गीतकार देव कोहली ने। देव कोहली ने इस फ़िल्म में किशोर कुमार का गाया "गीत गाता हूँ मैं" लिख कर रातों रात शोहरत की बुलंदी को छू लिया था। वैसे आज का प्रस्तुत गीत नीरज जी का लिखा हुआ है। इस गीत के लिए आशा जी और मन्ना डे की तारीफ़ तो हम कर ही चुके हैं, शंकर जी की तारीफ़ भी हम कैसे भूल सकते हैं, शुरु से ही वो शास्त्रीय रंग वाले ऐसे गीतों को इसी तरह का सुखद सुरीला अंजाम देते आ रहे हैं।

'लाल पत्थर' १९७१ की फ़िल्म थी। इसके ठीक एक साल बाद १९७२ में बंबई के एक होटल के एक शानदार हौल में मनाया गया था आशा भोंसले के फ़िल्मी गायन के २५ वर्ष पूरे हो जाने पर एक जश्न। बड़े बड़े सितारे आए हुए थे उस 'सिल्वर जुबिली' की पार्टी में, और उस मौके के लिए देश के कई महान संगीतकारों ने बधाई संदेश रिकार्ड किए थे आशा जी के लिए। इनमें से कई ऐसे हैं जो ख़ुद अब ज़िंदा नहीं हैं, मगर उनका संगीत हमेशा हमेशा रहेगा। ऐसे ही एक संगीतकार थे शंकर जयकिशन की जोड़ी। तो उस आयोजन में शंकर जी ने क्या कहा था आशा जी के बारे में, ज़रा आगे पढ़िए - "आशा जी की आवाज़ में इतना रस है, इतना सेक्स है, कि कोई भी दिलवाला झूम जाए, कि जब आवाज़ में इतना सेक्स है तो आवाज़वाली तो बहुत ख़ूबसूरत होंगी! आशा जी ख़ुद भी ख़ूबसूरत हैं और इनका दिल भी इतना ख़ूबसूरत है जैसे भोले बच्चे का होता है। गाने का कमाल ऐसा कि दादरा, ठुमरी, ग़ज़ल, गीत, क्लासिकल और माडर्न, किस स्टाइल की तारीफ़ करें! बिल्कुल १००% सोना। मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि आशा जी की एक नहीं कई 'जुबिली' हों, हर 'जुबिली' पर मुझे बड़ी ख़ुशी होगी।" दोस्तों, शंकर जी की ये बातें हमें अमीन सायानी द्वारा प्रस्तुत 'संगीत के सितारों की महफ़िल' कार्यक्रम के सौजन्य से प्राप्त हुई। तो लीजिए शंकर जयकिशन, आशा भोंसले और मन्ना डे के नाम करते हैं आज का यह गीत जो कि आधारित है राग कल्याण पर। खो जाइए मधुरता के समुंदर में, और ज़रा सोचिए कि क्या इससे ज़्यादा मधुर कोई और चीज़ हो सकती है!



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

१. कल के गीत में आशा के सहगायक हैं "जगमोहन बख्शी".
२. इस फिल्म में आशा जी ने पहली बार बर्मन दा सीनियर के लिए गाया था.
३. मुखड़े में शब्द है - "हसीना".

पिछली पहेली का परिणाम -
रोहित जी बिलकुल सही जवाब देकर आपने कमाए दो अंक और और आपका कुल स्कोर हुआ २०. बधाई...मनु जी सर मोहर ही न लगते रहिये...कभी समय से भी आ जाया कीजिये.

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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9 श्रोताओं का कहना है :

'अदा' का कहना है कि -

Very simple......
aur abhi tak koi jawab nahi....
poor 1 ghnta 4 minute ho gaye hain.

Raman का कहना है कि -

O Dekho Maane Nahi Ruthi Hasina, Taxi Driver, Asha Bhosle, Jagmohan Bakshi

manu का कहना है कि -

hnm.....
:)

raman ji ...
chaahe jo bhi jawaab likhiye...

hnm
to hnm.....

kal shaayad sun ke yaad aa jaaye ...

Shamikh Faraz का कहना है कि -

मेरे लिए गाना पहचानना मुश्किल है. कल ही सही जवाब पता चलेगा.

Manju Gupta का कहना है कि -

जवाब है -ओ हसीना जुल्फों वाली जाने जहां . ..

दिलीप कवठेकर का कहना है कि -

रे मन सुर में गा....

शास्त्रीय संगीत से सजे गीतों में अग्रणी गीत है ये, इतना सुरीला मग्र उतना ही गानें में कठिन.

आशा जी की तानों को सुनना भी एक अलग अनुभव है. खिलखिलाती हुए सुरों की नदी है उनकी नमकीन आवाज़, जिसमें गाने के हर आयाम का दर्शन होता है. मन्ना दा तो सुर गंधर्व है ही.

टेक्सी ड्राईवर के इस गीत में भी एक छोटी सी तान है, जिसे आप कल तो सुनेंगे ही.

दुख यही है, कि मैने हिमाकत कर उनकी नाराज़गी मोल ली थी, जो अभी भी खलती है.

शरद तैलंग का कहना है कि -

चलिए किसी ने तो सही बताया । सोचा नहीं था कि आशा जी के सहगायकों में जग मोहन का नाम भी शामिल है । आज तो सब को पसीना आ गया

'अदा' का कहना है कि -

Raman ji,
badhai..

Raman का कहना है कि -

a : o dekho maane nahi
( dekho maane nahi roothi haseena
na jaane kya baat hai
a : aaye saajan ke munh pe paseena
na jaane kya baat hai ) -2

ja : dir dir dir
a : dar dar da da

ja : poochho kis kaaran hui ye ladaai
a : iska baalam hoga harajaai
ja : o ho zara ruk jaayen sun le safaai
a : kehti hai guri main baaj aayi
maane nahi
ja : o dekho maane nahi roothi haseena
na jaane kya baat hai
a : ho o o
aaye saajan ke munh pe paseena
na jaane kya baat hai

ja : kaahe koi utara hai dil se kisi ke
a : aaya hoga raat ko pi ke
ja : kya kaha pi ke
a : haan
aaya hoga raat ko pi ke
ja : aaise kaise beetenge din zindagi ke
a : aahen bhar kar aansu pi ke
maane nahi
ja : o dekho maane nahi roothi haseena
na jaane kya baat hai
a : aaye saajan ke munh pe paseena
na jaane kya baat hai

ja : dekho bechaara sajan rota hai
a : ab pachhataaye kya hota hai
ja : milen dil-dil se to pyaar khota hai
a : dil milna mushakil hota hai
maane nahi
ja : o dekho maane nahi roothi haseena
na jaane kya baat hai
a : aaye saajan ke munh pe paseena
na jaane kya baat hai
ja : dekho maane nahi roothi haseena
na jaane kya baat hai

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