ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 198
युं तो आशा भोंसले और मुकेश ने अलग अलग असंख्य गीत गाए हैं, लेकिन जब इन दोनों के गाए हुए युगल गीतों की बात आती है तो हम बहुत ज़्यादा लोकप्रिय गीतों की फ़ेहरिस्त बनाने में असफल हो जाते हैं। हक़ीकत यह है कि मुकेश ने ज़्यादातर लता जी के साथ ही अपने मशहूर युगल गीत गाए हैं। लेकिन फिर भी आशा-मुकेश के कई युगल गीत हैं जो यादगार हैं। ख़ास कर राज कपूर की उन फ़िल्मों में जिनमें लता जी की आवाज़ मौजूद नहीं हैं, उनमें हमें आशा जी के साथ मुकेश के गाए गानें सुनने को मिले हैं, जैसे कि 'फिर सुबह होगी', 'मेरा नाम जोकर', वगेरह। राज कपूर कैम्प से बाहर निकलें तो आशा-मुकेश के जिन गीतों की याद झट से आती है, वे हैं 'एक बार मुस्कुरा दो' फ़िल्म के गानें और फ़िल्म 'तुम्हारी क़सम' का "हम दोनो मिल के काग़ज़ पे दिल के चिट्ठी लिखेंगे जवाब आएगा"। आज हमने जिस युगल गीत को चुना है वह इन में से कोई भी नहीं है। बल्कि हम जा रहे हैं बहुत पीछे की ओर, ४० के दशक के आख़िर में। १९४८ में हंसराज बहल के संगीत निर्देशन में फ़िल्म 'चुनरिया' से शुरुआत करने के बाद १९४९ में आशा भोंसले ने फ़िल्म 'लेख' में मुकेश के साथ एक युगल गीत गाया था। आज आप को सुनवा रहे हैं वही भूला बिसरा गीत जो आज फ़िल्म संगीत के धरोहर का एक अनमोल और दुर्लभ नग़मा बन गया है। कृष्ण दयाल के संगीत में यह गीत है "ये काफ़िला है प्यार का चलता ही जाएगा, जी भर के हँस ले गा ले ये दिन फिर न आएगा"। युं तो आशा जी को हिट गानें देकर मशहूर ओ.पी. नय्यर ने ही किया था, लेकिन आशा जी ने एक बार कहा था कि वो नय्यर साहब से भी ज़्यादा शुक्रगुज़ार हैं उन छोटे और कमचर्चित संगीतकारों के, जिन्होने उनके कठिन समय में उन्हे अपनी फ़िल्मों में गाने के सुयोग दिए, जिससे कि उनके घर का चूल्हा जलता रहा। दोस्तों, उन दिनों आशा जी अपने परिवार के खिलाफ़ जा कर शादी कर लेने की वजह से मंगेशकर परिवार से अलग हो गईं थीं, लेकिन उनका विवाहित जीवन भी जल्द ही दुखद बन गया था। कोख में पल रहे बच्चे की ख़ातिर उन्हे काम करना पड़ा, और इन्ही दिनों इन छोटे संगीतकारों और कम बजट की फ़िल्मों में उन्होने गानें गाए। तो फिर कैसे भूल सकती हैं आशा जी उन संगीतकारों को! अगर नय्यर और पंचम ने आशा को शोहरत की बुलंदियों तक पहुँचाया है, तो इन कमचर्चित संगीतकारों ने उन्हे दिया है भूख और गरीबी के दिनों में दो वक़्त की रोटी। अब आप ही यह तय कीजिए कि किन संगीतकारों का योगदान आशा जी के जीवन में बड़ा है।
फ़िल्म 'लेख' बनी थी सन् १९४९ में लिबर्टी आर्ट प्रोडक्शन्स के बैनर तले, जिसे निर्देशित किया था जी. राकेश ने। मोतीलाल, सुरय्या, सितारा देवी, और कुक्कू ने फ़िल्म में अभिनय किया था। सितारा देवी फ़िल्म में सुरय्या की माँ बनीं थीं, जिसमें उन्होने एक नृत्यांगना की भूमिका निभाई थी, जो अपना असली परिचय छुपाती है ताकि उसकी बेटी का किसी इज़्ज़तदार घराने में शादी हो सके। लेकिन नियती और हालात उन्हे अपनी ही बेटी की शादी के जल्से में नृत्य करने के लिए खींच लायी। यही थी 'लेख' की कहानी, भाग्य का लेख, नियती का लेख, जिसे कोई नहीं बदल सकता। इस फ़िल्म के गानें लिखे थे अमर खन्ना और क़मर जलालाबादी ने। प्रस्तुत गीत क़मर साहब का लिखा हुआ है। 'काफ़िला' शब्द का फ़िल्मी गीतों में प्रयोग उस ज़माने में बहुत ज़्यादा नहीं हुआ था और ना ही आज होता है। इस शब्द का सुंदर प्रयोग क़मर साहब ने इस दार्शनिक गीत में किया था। भले ही यह गीत आशा और मुकेश की आवाज़ों में है, लेकिन यह उन दोनों के शुरूआती दौर का गीत था, जिसमें उस ज़माने के गायकों के अंदाज़ का प्रभाव साफ़ झलकता है। इस गीत को सुनते हुए मुझे, पता नहीं क्यों, अचानक याद आया १९९९ की फ़िल्म 'सिलसिला है प्यार का' का शीर्षक गीत "ये सिलसिला है प्यार का ये चलता रहेगा"। तो लीजिए दोस्तों, कृष्ण दयाल के साथ साथ उस ज़माने के सभी कमचर्चित संगीतकारों को सलाम करते हुए, जिन्होने आशाजी को निरंतर गाने के अवसर दिए थे कठिनाइयों के उन दिनों में, सुनते हैं फ़िल्म 'लेख' से आशा और मुकेश का गाया यह युगल गीत।
गीत के बोल:
मुकेश: ये क़ाफ़िला है प्यार का चलता ही जाएगा
जी भर के हँस ले गा ले ये दिन फिर न आएगा
आशा: ये क़ाफ़िला है प्यार ...
मुकेश: इस क़ाफ़िले के साथ हँसी भी है अश्क़ भी
गाएगा कोई और कोई आँसू बहाएगा
आशा: इस क़ाफ़िले के साथ ...
ये क़ाफ़िला है प्यार ...
मुकेश: राही गुज़र न जाएं मुहब्बत के दिन कहीं
आँखें तरस रही हैं कब आँखें मिलाएगा
आशा: राही गुज़र न जाएं ...
ये क़ाफ़िला है प्यार ...
मुकेश: ( इस क़ाफ़िले में ) \-२ वस्ल भी है और जुदाई भी
तू जो भी माँग लेगा तेरे पास आएगा
आशा: ( इस क़ाफ़िले में ) \-२ ...
ये क़ाफ़िला है प्यार ...
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. अगले गीत में आशा के साथ निभायेंगें सी रामचंद्र.
२. गीतकार हैं कमर जलालाबादी.इसी फिल्म में आशा ने "ईना मीना डीका" की तर्ज पर एक मस्त गाना गाया था.
३. मुखड़े में शब्द है -"जॉनी".
पिछली पहेली का परिणाम -
पूर्वी जी २४ अंकों के साथ अब आप सबसे आगे निकल आई हैं, बधाई...हमें यकीं है पराग जी समय से जागेंगें अब :)
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
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18 श्रोताओं का कहना है :
हाज़िरी लगे माई बाप :-)
पाबला जी,
पहले गाना सुनाइये, तो अभी हाजिरी लग जायेगी :) :)
Hum to jaani pyar karega..film Baarish
पराग जी इस गीत के गीतकार राजेंद्र कृष्ण हैं, जबकि पहेली में कमर जलालाबादी का गीत पूछा गया है....!!!!
poorvi ji, mere khayal se film Baarish ke poore geet Qamar sahab ke hee likhe hue hai.
isi film mein doosra gaana Asha ji ne gaaya tha "Mr john baaba khan"
हमें नेट पर इसके गीतकार राजेंद्र कृष्ण जी मिले, इस लिए सूचित किया, आप वैसे भी हमसे अधिक जानकारी रखते हैं....
Poorvi ji
Meri jaankaari jyada toh Geeta ji ke gaanon tak hee simeet hai. Waise mere khayal se geetkaar ke naam ke alawaa dono sootr mere jawab ke hisaab se sahee maaloom hote hai.
Aap ne jo kaha wah bilkul sahee hai. Geetkar Rajinder Krishan sahab hi hai.
Parag
दौड़ते भागते पूर्वी-पराग की बातें देखीं
वहीं तो हम भी अटके थे
बाकी लौट कर
बी एस पाबला
पराग जी,
बाकी दोनों सूत्र तो बिलकुल इस गाने के लिए ही लिखे गए लगते हैं, शायद सुजोय जी ने आज फिर कुछ गड़बड़ कर दी है :) :)
doston ek baar fir maafi chahunga, galti se pichli paheli ka clue replace karna bhool gaya :) parag ji ne geet sahi pahchana hai
मुझे ये समझ में नहीं आ रहा कि जिस गीत को बताया जा रहा, वह तो चितलकर के साथ आशा जी ने गाया था, बेशक गीतकार का सूत्र देने में गड़बड़ हो गई हो!
यहाँ आशा जी के साथी गायकों की बात हो रही है ना?
यह गीत कैसे सही हो सकता है? जिसके मुखड़े में जॉनी शब्द नहीं है!!
मुखड़े में जॉनी शब्द वाला गीत, जिसे कमर जलालाबादी ने लिखा था, वह फिल्म माई बाप का था, जिसका हिंट मैंने अपनी हाज़िरी लगाते हुए सबसे पहली टिप्पणी में किया था, वह गीत रफी का गाया हुया है।
ये क्या हो रहा है!!??
बी एस पाबला
क्षमा करें- पाबला जी
पबला जी, चितलकर ही सी.रामचन्द्र हैं.
रामचन्द्र चितलकर, गाते थे चितलकर के नामसे, और संगीत देते थे सी रामचंद्र के नाम से.
jodi hamaari banegaa kaise johny....
ham to hain ...
baat maano sainyaan..
ban jaao hindustaani..
hnm...
hnm......
par tukkaa hai...
:(
मनु जी
तुक्का ही है । जोड़ी हमारी जमेगा .. इस गीत को मन्ना दा ने गाया था । पराग जी ने जवाब दे ही दिया है
पराग जी को मुबारकबाद.
आज का प्रश्न ज्यादा कठिन लग रहा है .
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