रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Thursday, December 4, 2008

एक गीत उन सब के नाम जो आतंक के ख़िलाफ़ खड़े होने की हिम्मत रखते हैं...



दूसरे सत्र के २३ वें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज

पिछले ७-८ दिनों में हमने क्या क्या नही देखा. देश की व्यवसायिक राजधानी पर आतंकी हमला, बंधक बने देशी-विदेशी नागरिक, खौफ का नया चेहरा लेकर सर उठाता आतंकवाद, स्तब्ध और सहमा हुआ आम आदमी, एक तरफ़ बेसुराग अंधेरों में स्वार्थ की रोटियां सेकते हमारे कर्णधार तो दूसरी तरफ़ अपनी जान पर खेल कर आतंकियों से लोहा लेते हमारे जांबाज़ देशभक्तों की फौज. इन सब अव्यवस्थाओं के बीच भी कुछ ऐसा हुआ जिसने बुझती उम्मीदों को एक नई रोशनी दे दी. इस राष्ट्रीय आपदा में जैसे पूरा देश, जिसे चंद स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने टुकड़े टुकड़े करने में कोई कसर नही छोडी थी, फ़िर से एक जुट हो गया. जातवाद, प्रांतवाद, धरम और भाषा के नाम पर देश को बांटने वाले देश के अंदरूनी दुश्मनों को पार्श्व में धकेलते हुए पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, हिंदू मुस्लिम, अमीर गरीब, सब की संवेदनायें जैसे एक मत हो गई. एक बेहद अनचाही परिस्थिति से गुजरकर ही सही पर ये क्या कम है की एक सोये हुए देश की अवाम फ़िर से जागृत हो गई. ये हमला सिर्फ़ मुंबई या हिंदुस्तान पर नही है, समस्त इंसानियत के दामन पर है. मानवता के दुश्मन आतंकवाद को पैदा करने वाले और हवा देने वाले मुल्क भी अब इसकी चपेट में हैं और मुक्ति के लिए छटपटा रहे हैं. अब उपाय सिर्फ़ और सिर्फ़ यही है कि हम सब भेद भाव भूल कर, एक हो कर इस महादानव का मुकाबला करें.


दोस्तों, अब ये मशाल बुझने न पाये, हम प्रण करें कि अब हम किसी भी अंदरूनी या बाहरी ताक़त को अपनी एकता में खलल नही डालने देंगें. हम एक थे, एक हैं और एक होकर हर मुश्किल से मुश्किल हालत का सामना करेंगें. हम अपने शहीदों की कुर्बानियों को नही भूलेंगे और प्रेम और अमन की ताक़त से दुनिया को जीतेंगें. मित्रों आज जो गीत हम आपके लिए लेकर आए हैं, उसे किसने लिखा है, किसने स्वरबद्ध किया है और किसने गाया है ये महत्वपूर्ण नही है. महत्वपूर्ण है वो संदेश जो इस गीत के माध्यम से हम देश और दुनिया के तमाम लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं, वो संदेश जो हिंद युग्म परिवार का है, आप सब श्रोताओं से अनुरोध है कि इस गीत के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुचायें.

सुनिए ONE WORLD - हमारी एक सभ्यता.





The brutal Mumbai terrorist attacks sought to divide us...The attacks were aimed at our people, our prosperity and our peace. But their top target was something else : our unity. If this attacks cause us to turn on each other in hatred and conflict, the terrorists will have won. Let's deny them that victory. Let the massage will be laud and clear to the world, that these tactics aren't working, that we're more united than ever, united in our love and support to each other, and determined to work together to stop violent extremism. (Message from Soha Ali Khan, actress and Sr.advicer, awaaz)


This friday we podcast a brand new song dedicated to the real life heroes of our country. Please listen and share it with all your friends so that the massage of unity, love and peace may reach to all.
Lyrics - Sajeev Sarathie,
Music - Rishi S
Vocals - Biswajith Nanda, and Ramya.

("रम्या" हिंद युग्म की नयी खोज है, इनका विस्तृत परिचय हम आपको देंगे अगले सप्ताह)

Song - One World - "hamaari ek sabhyata"





उपर्युक्त फ्लैश प्लेयर न चल रहा हो तो नीचे से मीडिया प्लेयर से सुनें-


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VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis


Lyrics - गीत के बोल

तोड़ दायरे तोड़ सब हदें,
आज न रहे कोई सरहदें,
दरमियाँ तेरे मेरे दिल के अब,
एक आसमाँ एक अपना रब,
एक रंग है जब लहू का तो,
रंग भेद ये जात पात क्यों,
एक से हैं सब आंसू और हँसी,
फर्क तुझमें और मुझमें कुछ नही,
सजदों में कहीं कोई सर झुके,
या दुआओं में हाथ हों उठे,
ओढ़ मजहबें क्यों फिरे बशर,
पाक दिल तेरा है खुदा का घर,
इन दीवारों को तोड़ दें चलो,
इन लकीरों को मोड़ दें चलो,
बांटना हो तो बाँट लें चलो,
एक दूजे के दर्दो-गम चलो..

एक दूजे के दर्दो-गम चलो....

भूख पेट की सब को नोचती,
जिस्म की तड़प भी है एक सी,
चाह भी वही, आह भी वही,
मंजिलें वही, राह भी वही,
लाख नामों में हम बंधे तो क्या,
लाख चेहरों में हम छुपें तो क्या,
गौर से अगर देखो तुम कभी,
फर्क तुझमें और मुझमें कुछ नही,
एक सी है हैं तन्हाईयाँ भी तो,
दोस्तों कभी तुम भी सोचो तो,
नफरतों में क्यों खोये जिंदगी,
फासलों में क्यों कम हो हर खुशी,
दूरियों को अब छोड़ दें चलो,
दुश्मनी से मुंह मोड़ लें चलो,
बांटना हो तो बाँट लें चलो,
एक दूजे के दर्दो-गम चलो...

एक दूजे के दर्दो-गम चलो....

हमने इस गीत का निर्माण दुनिया भर के उन सभी लोगों के लिए किया है जो लोग आतंकवाद को मानव सभ्यता के लिए खतरा मानते हैं। हमारी गुजारिश है कि आप इस संदेश को जन-जन तक पहुँचायें। अपने ब्लॉग/वेबसाइट/ऑरकुट स्क्रैपबुक/माईस्पैस/फेसबुक में 'One Earth-हमारी एक सभ्यता' का पोस्टर लगाने के लिए पसंदीदा पोस्टर का कोड कॉपी करें।



SONG # 23, SEASON # 02, ONE WORLD - HAMARI EK SABHYATA, OPENED ON AWAAZ, HIND YUGM.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.


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12 श्रोताओं का कहना है :

विश्व दीपक का कहना है कि -

बहुत हीं बढिया प्रस्तुति।
इस गीत से एक जोश मिलता है,जुनून मिलता है तो होश भी। रोष और आक्रोश के बीच होश का भी मुकम्मल स्थान होता है।

इस गीत के लिए पूरी टीम को बधाईयाँ।

-तन्हा

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

समयानुकूल और सार्थक गीत , टीम बधाई की पात्र है...

बहुत बहुत बधाई

anitakumar का कहना है कि -

very nice song

रंजना [रंजू भाटिया] का कहना है कि -

बहुत बढ़िया .

shivani का कहना है कि -

आतंक की इस घिनोनी हरकत से बहुत आहत हूँ !सजीव जी ने जो सन्देश दिया है वो हर भारतीय के मन की आवाज़ है !ऋषि जी का संगीत और बिस्वजीत जी व् रम्या जी ने मिल कर अपनी आवाज़ जन जन तक पहुँचाने की सार्थक कोशिश की है !इस गीत की एक एक पंक्ति इंसानियत का सन्देश देती नज़र आ रही है !रम्या जी का आवाज़ की दुनिया में स्वागत है !इस प्रेरणादायक सन्देश को गीत के रूप में प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत आभार !

Rama का कहना है कि -

डा.रमा द्विवेदी....

गीत के बोल व संदेश बहुत बढ़िया हैं...काश सबकी सोच ऐसी हो जाए और सब मिलजुल कर रहें । पूरी टीम को बधाई और शुभकामनाएं।

Janmejay का कहना है कि -

ho nafrat agar to.. hai dojakh yahin pe..
hao muhabbat dilon me.. to jannat yahin pe!!

aji,ye atankwadi chuhe hain..aur bhrasht rajnaitigya deemak.ek ghar ko kutarta nazar me aa jata hai..dusra bheetar hi bheetar ghar ki neev khokhla karta rahta hai.lekin chuhe aur deemkon ki lakh koshishon ke bawjood bhi kahan kisi ke ghar gire hain! bas thori saaf-safai karni hogi..chuhe aur deemak marne ki dawai ghar me dalni hogi,fir dekhiye ghar me fir se aman-chain aa jayega.aur, ye geet to bhai wakai safai karmchariyon ko hausla doguna kar degi!

bahut khoobsurat aur sarthak rachna hai,sanyojan bhi jabardast hua hai..."badhe chalo" geet ki yaad aa gayi.bahut achha laga yugm ka yah prayas..aur is theme par wapsi!

geet ki har pahlu sundar ban para hai.haan,aisa jaroor laga,ki agar in samwadatmak type anuchhedon ke beech me agar do panktiyan agar aisi rakhin jatin,jo thori aur melodies si hoti,aut repeat ki jatin..like "बांटना हो तो बाँट लें चलो,
एक दूजे के दर्दो-गम चलो." ko repeat kiya gaya hai,to agar inhi lines ki sur me agar thora aur thahrav diya jata to sambhavtah geet aur prabhavkari lagta,lekin yah matr ek alternate option hai,rishi ji ne jaise compose kiya hai,wah bhi lajawaab hai.

haan,ek aur anurodh hai,geet type karte samay tanik aur sawdhani baraten,anuswaar,chandr bindu wa kuchh anya sthanon par bhi aksar trutiyan rahti hain,yah sirf is post ke sandarbh me nahi kah raha...atah is kshetr me bhi dhyan denge,aisa anurodh hai.

badhai hum sabon ko ki is mushkil ki ghari me bhi hum ek sakaratmak soch le kar aage badh rahe hain! aaiye,mil kar prayas karen, is bhaichare ke sandesh ko jan-jan tak pahunchayen!

vande mataram!


-Janmejay

Biswajit का कहना है कि -

Janmejay jise hamesha kuch sikhne ko milta hai. Mujhe garv hai ki Main aise ek project mein kaam kiya hoon jismein pure vishwa ke liye sandesh hai. Bahut khushi hui aap sabhi ko ye sandesh pasand aaya. Bas ek hi vinati hai ye sandesh ko aap sabhi ko pahuchaiye.

arjun का कहना है कि -

biswajit bhai badhia... rishi ji ka composition to bahut hi badhia hai.. keep rocking...

shanno का कहना है कि -

क्या सुंदर संदेश दिया है आपने अपनी टीम के साथ मिलकर! काश मानवता का यह संदेश सब के दिल दिमाग तक पहुँच पाए तो कितना अच्छा हो. और क्या बोल लिखे हैं आपने तारीफ़ के काबिल, सजीव जी. अति धन्यबाद.
शन्नो

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' का कहना है कि -

आचार्य संजीव 'सलिल', सम्पादक दिव्य नर्मदा
सलिल.संजीव.@जीमेल.कॉम / संजिव्सलिल.ब्लागस्पाट.कॉम

आओ! हम सब एक हों, गूंजा एकता गीत.
ले हाथों में हाथ हों, हर निर्बल के मीत.

दैत्य सबल आतंक का, देगा कुछ को मार.
जीतेंगे हम अंत में सत्य करें स्वीकार.

सौ वर्षों कोशिश करे, पर न सकेगा जीत.
यदि अपना संकल्प दृढ़, अजय रहेगी प्रीत.

भारत की संतान हम, माँ है सबकी एक.
मिली विरासत एक ही, जीवन जीना नेक.

साहस-धीरज चाहिए, रखें मिलाये हाथ.
उन्नत होगा देश का, तब ही जग में माथ.

पाक नहीं नापाक है, दहशत का यह दौर.
तोड़ न सकता देश को, नहीं जियेगा और.

शान्ति उपासक कर रहे, अब जमकर प्रतिकार.
जान बचाने डालो डॉ, क़दमों में हथियार.

भूले बंगला देश में, खाई कितनी मार.
पाक पिटेगा गर नहीं, सुधरा तो सौ बार.

'सलिल' सिंह सी गर्जना, करता है यह देश.
दहशतगर्दों नाम भी नहें रहेगा शेष.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` का कहना है कि -

बहुत सुँदर और गँभीर प्रयास है नई पीढी इसी तरह आगे आये यही शुभकामना है
- लावण्या

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