रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, December 21, 2008

कहाँ है जरुरत रीमिक्स गीतों की...



सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (7)

ऐ आर आर ने फ़िर किया करिश्मा

ऐ आर रहमान ने फ़िर ये कर दिखाया. ब्रिटिश निर्देशक डैनी बोयले की फ़िल्म "स्लम डोग मिलेनियर" के लिए उनके संगीत को अंतर्राष्ट्रीय प्रेस एकेडमी का सेटालाइट पुरस्कार प्राप्त हुआ है. फ़िल्म पूरी तरह से मुंबई में शूट हुई है और एक साधारण सी बस्ती में रहने वाले १८ साल के अनाथ लड़के की एक "गेम शो" में भाग लेकर करोड़पति बनने की बेहद दिलचस्प कहानी कहती है. सर्वश्रेष्ठ संगीत के आलावा फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार भी जीता है. गौरतलब है कि रहमान का ये संगीत गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए भी नामांकित हुआ है. वहां भी अपने रहमान बाज़ी मारे हम तो यही कामना करेंगें.


कुछ ख़ास है नेहा में


एक संगीत चैनल की विजेता रही और पूर्व "वीवा" बैंड की गायिका नेहा इन दिनों बेहद खुश है. फ़िल्म "फैशन" के लिए उनका गाया गीत "कुछ ख़ास है..." बेहद चर्चा में जो है आजकल. और इसी के साथ दिल्ली की कुडी नेहा भासिन का संगीत कैरियर अब उठान पकड़ चुका है. ओनिर कि अगली फ़िल्म "किल छाबरा" के लिए भी वो गा रही हैं संगीतकार गौरव दयाल के निर्देशन में. पर नेहा अभी भी तलाश में है उस जबरदस्त गीत की जो उन्हें शिखर तक ले जाए. वो दिन भी दूर नही हैं ....नेहा..


रीमिक्स गुरु अकबर सामी की वापसी

रीमिक्स गीतों की हमें क्यों जरुरत पड़ती है. जब कोई संगीतकार किसी फ़िल्म या एल्बम के लिए गीत बनाते हैं तो वो वाध्य यंत्रों का पार्श्व में केवल उसी मात्रा में इस्तेमाल करते हैं जिससे कि बोलों की सरलता, धुन की तरलता और आवाज़ की मधुरता बनी रही और वाध्यों के शोर में कहीं गीत की आत्मा खो न जाए. पर बदलते समय में सोशल पार्टियाँ लोगों के व्यस्त जीवन से एक राहत का काम कर रही हैं. अब इन पार्टियों में लोगों को झूमने और नाचने के लिए भी संगीत चाहिए. इसी उद्देश्य से रीमिक्स और DJ परम्परा की शुरुआत हुई. जहाँ गीत वही लिए जाते हैं जो लोगों ने सुने हुए होते हैं ताकि नाचने वालों को कुछ भाव मिल सके और संगीत में कुछ अतिरिक्त पर्कशन और जोड़ तोड़ का तड़का लगा कर लोगों को नचाने का प्रबंध किया जाता है. अब ये कितना सही है कितना नही इसका फैसला हम आप पर छोड़ते हैं वैसे झूमने और नाचने के लिए कुछ ऐसे देसी गीत भी होते हैं जिनको हम शायद भूल से गए हैं...खैर तो बात रीमिक्स गीतों की हो रही थी, यहाँ ये भी बहुत ज़रूरी है कि किन गीतों को रीमिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाए...पर फिलहाल यहाँ इस प्रकार की कोई चुनाव प्रक्रिया मौजूद नही दिखती है तभी तो कुछ बेहद दर्द भरे संवेदनशील गीतों का बेहद फूहड़ तरीके से रीमिक्स कर मार्किट में उतरा जाता है. भारत में इस परम्परा के गुरु रहे डी जे अकबर सामी ने बरसों पहले जब अपना रीमिक्स एल्बम "जलवा" प्रस्तुत किया था तब इस बात की जरुरत की तरफ़ इशारा किया था. एक लंबे अंतराल ९लग्भग ५ साल) के बाद सामी लौटे है अपने नए रीमिक्स एल्बम "जलवा रिटर्न्स" के साथ. एक बार फ़िर आर डी के हिट गीतों को इस एल्बम में शामिल किया गया है. रीमिक्स के शौकीन अपनी पार्टियों के लिए इसे खरीद सकते हैं. बाकी संगीत प्रेमियों के लिए मूल गीत तो है ही....


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राज भाटिय़ा का कहना है कि -

कही भी जरुरत नही इन रीमिक्स गीतों की,
धन्यवाद

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