सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (६)
टेलंट शो कितने कारगर
कलाकार की कोई पार्टी नही होती - दलेर मेहंदी
वार्षिक गीतमाला आवाज़ पर
| प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां |
कृष्णमोहन मिश्र | function newPopup(url) { popupWindow = window.open(url,'popUpWindow','height=700,width=1300,left=10,top=10,resizable=yes,scrollbars=yes,toolbar=yes,menubar=no,location=no,directories=no,status=yes') } |
अनुराग शर्मा | function newPopup(url) { popupWindow = window.open(url,'popUpWindow','height=700,width=1300,left=10,top=10,resizable=yes,scrollbars=yes,toolbar=yes,menubar=no,location=no,directories=no,status=yes') } |
सुजॉय चटर्जी | function newPopup(url) { popupWindow = window.open(url,'popUpWindow','height=700,width=1300,left=10,top=10,resizable=yes,scrollbars=yes,toolbar=yes,menubar=no,location=no,directories=no,status=yes') } |
विश्व दीपक | function newPopup(url) { popupWindow = window.open(url,'popUpWindow','height=700,width=1300,left=10,top=10,resizable=yes,scrollbars=yes,toolbar=yes,menubar=no,location=no,directories=no,status=yes') } |
सजीव सारथी | function newPopup(url) { popupWindow = window.open(url,'popUpWindow','height=700,width=1300,left=10,top=10,resizable=yes,scrollbars=yes,toolbar=yes,menubar=no,location=no,directories=no,status=yes') } |
अमित तिवारी | function newPopup(url) { popupWindow = window.open(url,'popUpWindow','height=700,width=1300,left=10,top=10,resizable=yes,scrollbars=yes,toolbar=yes,menubar=no,location=no,directories=no,status=yes') } |
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श्रोता का कहना है :
द्लेर साहब अब कबुतर वाजी छोड कर इस माया के चरण छु रहे है, भाई सब माया की माया है, अब हम क्या बोले माया सब को प्यारी जो है, कम्बख्त पेट भी तो भरना है, कबुतर ना सही ......
बांबी फ़िल्म का एक गीत शायद इन साहब ने नही सुना , झुठ बोले कोव्वा काटे....अब दिलेर जी सोचेगे इस कोव्वे को केसे पता कोन झुठ बोल रहा है???
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