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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Friday, May 1, 2009

सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'समस्या'



उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'समस्या'

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शोभा महेन्द्रू और अनुराग शर्मा की आवाज़ में मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'आत्म-संगीत' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की अमर कहानी समस्या, जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 12 मिनट और 37 सेकंड।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी

गरीब का रंग उड़ गया। थर-थर काँपने लगा। मुँह से एक शब्द भी न निकला। मेरी ओर अपराधी नेत्रों से ताकने लगा।
(प्रेमचंद की 'समस्या' से एक अंश)


नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)

यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis

आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं, तो यहाँ देखें।
#Nineteenth Story, Samasya: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2009/14. Voice: Anurag Sharma

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7 श्रोताओं का कहना है :

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' का कहना है कि -

अच्छी कहानी...अच्छी प्रस्तुति...सराहनीय.

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

इस बार जो आपने संवाद को आवाज़ बदलकर बोला है, वो प्रयोग भी पसंद आया। यह कहानी मैंने नहीं पढ‍़ी थी।

ajit gupta का कहना है कि -

इससे बेहतर कहानी हो नहीं सकती। अनुरागजी आपकी आवाज में जादू है। मुझे अपनी बुद्धि पर तरस आ रहा है, मैंने पहले वाली क‍हानियां क्‍यूँ नहीं सुनी? अब सभी को सूनूंगी। देर आए दुरस्‍त आए।

सजीव सारथी का कहना है कि -

वाह बेहतरीन कहानी का बेहतरीन प्रस्तुतीकरण

shanno का कहना है कि -

कहानी बड़ी मजेदार लगी: गरीब दास जी के जैसे ही पर निकल आये ऑफिस में सबका पांसा ही पलट गया. वाह! और एक नयी समस्या ही खड़ी हो गयी.
और, अनुराग जी, आपने इस बार हर किरदार की बोली में बोल कर अपनी छुपी हुई कला का जो परिचय दिया है वह बहुत बढ़िया रहा. आशा है कि आगे भी हम सब इसी तरह आपकी पढ़ी कहानियों का आनंद उठाते रहेंगें.

wanderer का कहना है कि -

Excellent! Nice story and voice..

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन का कहना है कि -

सभी श्रोताओं को हार्दिक धन्यवाद!

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