मंटो की टोबा टेक सिंह
जहाँ तक मंटो को भारत और पाकिस्तान में मिलने वाले सम्मान का सवाल है तो पाकिस्तान का समाज तो ख़ैर एक बंद समाज था और वहाँ उनकी कहानियों पर प्रतिबंध लगा और उन पर मुक़दमे चले। लेकिन मैं समझता हूँ कि भारत में प्रेमचंद के बाद यदि किसी लेखक पर काम हुआ है तो वह मंटो है। हिंदी में भी, उर्दू में भी।
~ कमलेश्वर (प्रसिद्ध लेखक और उपन्यासकार)
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की कहानी 'समस्या' का पॉडकास्ट सुना था। 11 मई को सआदत हसन अली मंटो का जन्म दिन है। इस अवसर पर आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं मंटो की टोबा टेक सिंह, जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: १७ मिनट २६ सेकंड।
इस कहानी का टेक्स्ट बीबीसी हिन्दी पर उपलब्ध है।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
पागलख़ाने में एक पागल ऐसा भी था जो ख़ुद को ख़ुदा कहता था. ~ स'आदत हसन मंटो (१९१२-१९५५) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी चियौट के एक मोटे मुसलमान ने, जो मुस्लिम लीग का सरगर्म कारकुन रह चुका था और दिन में 15-16 मर्तबा नहाया करता था, यकलख़्त यह आदत तर्क कर दी उसका नाम मुहम्मद अली था (मंटो की "टोबा टेक सिंह" से एक अंश) |
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#Twenteeth Story, Toba Tek Singh: Sa'adat Hasan Manto/Hindi Audio Book/2009/15. Voice: Anurag Sharma
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8 श्रोताओं का कहना है :
ये मेरी सबसे पसंदीदा कहानियों में से एक है, मंटो ने इस कहानी के माध्यम से समाज को आईना दिखाया है कभी कभी लगता है कि पागल तो हम लोग हैं जो बांटते है वो नहीं जो पागलखानों में है...आज आप की जुबान से इस कहानी को सुनकर बहुत अच्छा लगा, बहुत बहुत धन्येवाद अनुराग जी....
कहानी क्या थी, बस दिल को हिला देने वाली थी। अनुरागजी की आवाज में जादू है, कभी-कभी उस आवाज में ही खो जाते हैं अत: बीच-बीच में हुंकारे की भी व्यवस्था होनी चाहिए। अनुराग जी को बधाई।
ैअनुरागजी की आवाज़ मे कहानी और भी प्रभावित करती है धन्यवाद्
bahut hi bhaav pravan kahaani ,poora nyaay kiya hai aap ne is kahaani ko apni aawaj dekar .
स'आदत मंटो को यह असली श्रद्धाँजलि है। बहुत ही प्रभावी कहानीपाठ है।
आप सभी को यह कहानी सुनने और उत्साह वर्धन करने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद. मंटो की यह कहानी मेरी सबसे पसंदीदा कहानियों में से एक है. काश समझदार लोग भी इन पागलों जैसे नासमझ हो पाते!
बहुत गंभीर कहानी. और अनुराग जी आपकी आवाज़ तो पहले से ही साफ़ और खूब सधी हुई थी लेकिन अब आपने आवश्यक्तानुसार जगह-जगह अपनी आवाज़ बदल कर एक और कला हासिल की है उससे तो कहानी सुनने का मज़ा बढ़ गया है. आप तो पंजाबी भी खूब बोल लेते हैं, ऐसा लगता है.
Sad story होने के वावजूद भी जहाँ-जहाँ आवाज़ बदल कर बोलते हैं तो मुंह से हंसी की फुटक निकल जाती है.
yaha ek esi kahani hai jo aaj bhi utani hi prasangik hai jatani 50 saal pahale thi.
yaha kahani sahitya ka milestone hai.hamesha rasta batayega.
diben
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