गौरव सोलंकी की "बाँहों में मछलियाँ"
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको हिंदी कहानियाँ सुनवा रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द की कहानी "वैराग्य" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं उभरते हिंदी साहित्यकार गौरव सोलंकी की कहानी ""बाँहों में मछलियाँ"", जिसको स्वर दिया है पारुल पुखराज ने।
कहानी का कुल प्रसारण समय 6 मिनट 25 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। प्रस्तुत कहानी का टेक्स्ट "कहानी कलश" पर उपलब्ध है.
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
7 जुलाई, 1986 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के 'जिवाना गुलियान' गाँव में जन्मे गौरव सोलंकी ने कहानियाँ और उपन्यास भी लिखे हैं और कवितायें भी। हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी मैं कहता हूं कि मुझे फ़िल्म देखनी है। वह पूछती है, “कौन सी?” मुझे नाम बताने में शर्म आती है। वह नाम बोलती है तो मैं हाँ भर देता हूं। मेरे गाल लाल हो गए हैं। ("तुम्हारी बाँहों में मछलियाँ क्यों नहीं हैं" से एक अंश) |
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#Twenty-ninth Story, Hathon mein machhliyan: Gaurav Solanki/Hindi Audio Book/2009/23. Voice: Parul Pukhraj
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13 श्रोताओं का कहना है :
वाह ये कहानी मैंने गौरव के मुँह से सुनी थी, पर आज पारुल की आवाज़ में सुनकर और भी मज़ा आया. अनुराग जी आपके ये सभी प्रयोग कबीले तारीफ हैं.
अत्यंत सराहनीय प्रयास। एक फरमाइश है, निराला की कविता राम की शक्ति पूजा का आडियो बनवाएं।
अति सुन्दर ,अच्छा प्रयास है.
मै भी शामिल होन चाहती हूँ.
वाह!!
मैं बहुत ही प्रभावित हूं. कम उम्र में लिखे गये इस कहानी के लेखक का कायल हो गया हूं , और उससे भी अधिक उसके वाचन में पारुल जी की अदायगी का.
पारुल जी का कहानी पढ़ना पढा़ना मात्र नहीं मगर उसको मेहसूस कर के जीना है. यूं सहज और जीवंत वाचन कम सुनने को मिलता है जिसमें मोड्युलेशन का पूरा रेंज है. भावनाओं की कसक भी पूर्णता से अभिव्यक्त है.
उस पार मीठे अंधेरे का खयाल दिल छू गया.
यूं ही लिखते रहें और बांचते रहिये. दिली सुकून का पूरा सामां है.
इस कहानी ने दिल को छू लिय गौरव जी और पारुल जी को बहुत बहुत बधाई
gaurav ki ye kahani mujhey bhii behad pasand hai......
कहानी सुनना अच्छा लगा ।
बेहतरीन रहा!
गौरव जी सबसे पहले तो आपको जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद. उसके बाद कहना चाहूँगा कि आपकी कहानी हकीकत में लाजवाब रही. साथ ही पारुल जी की आवाज़ "आवाज़" पर पहली बार सुनी. बहुत अच्छी लगी. दोनों को मुबारकबाद.
गौरव की इस कहानी-अंश को बहुत से मँझे हुए कहानीकारों ने भी बहुत पसंद किया। मुझे तो 'डर के आगे' कहानी का सारा हिस्सा बहुत पसंद आया।
hey really good
hey reall good
you are good writer अति सुन्दर ,अच्छा प्रयास है.
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