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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Wednesday, July 22, 2009

सूरज रे जलते रहना... सम्पूर्ण सूर्य ग्रहण के एतिहासिक अवसर पर सूर्य देव को नमन



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 149

दोस्तों, आज सुबह सुबह आप ने बहुत दिनों के बाद सम्पूर्ण सूर्य ग्रहण का नज़ारा देखा होगा। आप में से बहुत से लोग अपनी आँखों से इस अत्यंत मनोरम खगोलीय घटना को देखा होगा, और बाक़ी टीवी के परदे पर इसे देख कर ही संतुष्ट हुए होंगे! यूं तो सूर्य ग्रहण साल में कई बार आता है, लेकिन सम्पूर्ण सूर्य ग्रहण की बारी यदा कदा ही आती है। सम्पूर्ण सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद महत्व रखता है क्युंकि सूर्य से संबधित कुछ ऐसे शोध करने के अवसर मिल जाते हैं जो सूर्य की तेज़ रोशनी की वजह से आम दिनों में संभव नहीं हो पाती। दोस्तों, संगीत के इस मंच पर विज्ञान का पाठ पढ़ा कर मैं आप को और ज़्यादा बोर नहीं करूँगा, अब मैं सीधे आ जाता हूँ आज के गीत पर। हमने यह सोचा कि इस सम्पूर्ण सूर्य ग्रहण को यादगार बनाते हुए क्यों न आज का 'ओल्ड इज़ गोल्ड' भी सूर्य देव के ही नाम कर दिया जाये। तब सूर्य देव के उपर बनने वाले तमाम गीतों को ज़हन में लाते हुए हमारी नज़र जिस गीत पर जा कर रुक गयी और हमें ऐसा लगा कि इस गीत से बेहतर आज के दिन के लिए दूसरा कोई गीत हो ही नहीं सकता, वह गीत है "जगत भर की रोशनी के लिए, करोड़ों की ज़िंदगी के लिए, सूरज रे जलते रहना, सूरज रे जलते रहना"। हेमन्त कुमार की गुरु-गम्भीर स्वर में यह गीत फ़िल्म 'हरीशचन्द्र तारामती' का है। हमें पूरा विश्वास है कि आज के दिन आप इस गीत को खुले दिल से स्वीकार करेंगे।

१९६३ में बनी थी फ़िल्म 'हरीशचन्द्र तारामती', जिसका निर्माण व निर्देशन किया था बी. के. आदर्श ने। फ़िल्म में राजा हरीशचन्द्र की भूमिका में थे पृथ्वीराज कपूर, और जयमाला थीं रानी तारामती की भूमिका में। फ़िल्म में संगीत दिया लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने और गानें लिखे कवि प्रदीप ने। प्रस्तुत गीत में कवि प्रदीप ने भले ही सूर्य की महानता का गुणगान किया है, लेकिन इसके पीछे छुपे जिस भाव को वो उजागर करना चाहते हैं वह यह है कि हर मनुष्य को अपने जीवन में ऐसे पथ पर चलना चाहिये जिससे जगत का कल्याण हो, मानवता का विकास हो, ठीक वैसे ही जैसे सूरज ख़ुद आग में जलकर पूरे संसार को रोशनी प्रदान करता है, जीवन प्रदान करता है। इस गीत को बड़े ध्यान से सुनिएगा दोस्तों, इसका एक एक शब्द एक एक अनमोल मोती के बराबर है। यह गीत एक सुंदर कविता है जो हमें थोड़े से ही शब्दों में ज़िंदगी जीने का सही और सर्वोत्तम तरीका सीखा जाती है। इसके बोल इतने सुंदर हैं कि मैं अपने आप को रोक नहीं सका, और इसके पूरे बोल नीचे लिख रहा हूँ।

जगत भर की रोशनी के लिए,
करोड़ों की ज़िंदगी के लिए,
सूरज रे जलते रहना, सूरज रे जलते रहना।

जगत कल्याण की ख़ातिर तू जन्मा है,
तू जग के वास्ते हर दुख उठा रे,
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाये,
तू जल जल के यहाँ किरणें लुटा रे,
लिखा है यही तेरे भाग में,
के तेरा जीवन रहे आग में,
सूरज रे जलते रहना, सूरज रे जलते रहना।

करोड़ों लोग पृथ्वी के भटकते हैं,
करोड़ों आंगनों में है अंधेरा,
अरे जब तक न हो घर घर में उजियाला,
समझ ले है अधूरा काम तेरा,
जगत उद्धार में अभी देर है,
अभी तो दुनिया में अंधेर है,
सूरज रे जलते रहना, सूरज रे जलते रहना।


कवि प्रदीप, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, और हेमन्त कुमार के इस असाधारण गीत को आज हम समर्पित कर रहे हैं सूर्य देव के नाम, और साथ ही सभी से विनम्र निवेदन है कि इस गीत से ज़रूर शिक्षा ग्रहण करें, और मानव कल्याण के पथ पर ही अपने जीवन को आगे बढ़ायें।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा दूसरा (पहले गेस्ट होस्ट हमें मिल चुके हैं शरद तैलंग जी के रूप में)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

1. संगीतकार सज्जाद हुसैन को समर्पित है ओल्ड इस गोल्ड का १५० वां एपिसोड.
2. राजेंद्र कृष्ण ने लिखा है इस गीत को.
3. मुखड़े में शब्द है -"चांदनी".

पिछली पहेली का परिणाम -
अदा जी एक बार फिर सही जवाब, शरद जी के बाद तो लगता है आपका मैदान साफ़ हो गया, कोई भी आपको चुनौती ही नहीं दे पा रहा (38 अंक). दिशा जी कल फिर चूक गयी, और अनु गुप्ता जी भी. मंजू जी का जवाब सही है पर आने में देर कर दी. पराग जी, शरद जी, दिलीप जी, सुमित जी और निर्मला जी ने गीत का आनंद लिया, आज मुकेश जी की जयंती भी है, तो सूर्य देव के साथ उन्हें भी याद कर लिया जाए...

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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11 श्रोताओं का कहना है :

'ada' का कहना है कि -

Yeh Hawa Yeh Raat Yeh Chandni

'ada' का कहना है कि -

mera computer kaam nahi kar raha hai

film: sangdil
awaaz: Talat

ye hawaa, ye raat ye chaandanee, teree yek adaa pe nisaar hain muze kyo naa ho teree aarajoo,

शरद तैलंग का कहना है कि -

कम्प्यूटर काम कर तो रहा है तभी तो सबसे पहले जवाब दे दिया ।

'ada' का कहना है कि -

aapne sahi kaha, mera google account kaam nahi kar raha hai..
hi hi hi hi....

दिलीप कवठेकर का कहना है कि -

हेमंत दा के गाये हुए कई गीतों मे से इस गीत का जलवा कुछ अलग ही है.पृथ्वीराज कपूर के महान व्यक्तित्व से मेल खाती धीर गंभीर आवाज़...

मुकेश जी की जन्मदिन पर उन्हे तहे दिल से याद कर रहा हूं, उनके कई गीत है जो आज सुबह से लेपटोप पर बज रहे हैं..

शरद तैलंग का कहना है कि -

जगत भर की रोशनी के लिए - गीत का एक अन्तरा और प्रस्तुत है :-
ये संकट तू खुशी के साथ सह लेना
सदा हँसते हुए तपना अगन में,
किसी आदर्श की रक्षा के हित प्रभु ने
तुझे भेज है ज्वाला के भवन में,
तू जल रे परवा न कर प्राण की
ये भी इक लीला है भगवान की,
सूरज रे ...

दिलीप कवठेकर का कहना है कि -

मुकेश, हेमंत और अब तलत..(ये हवा ये रात ये चांदनी).

हमारी धरा पर तो एक ही सूरज चमकता है, मगर फ़िल्मी संगीत के आसमान पर इतने सारे सूरज दमक रहे हैं, जिनके सामने आज के गायक गायिका जैसे चिराग.(क्षमा करें, सच बोल रहा हूं)

manu का कहना है कि -

hnm..
yehi geet..

Parag का कहना है कि -

स्वप्न मंजूषा जी का जवाब (रोज़ की तरह ) आज भी सही है. बहुत बधाईयाँ आप को.
तलत साहब का गया हुआ यह गीत मेरे ख़ास पसंदीदा गीतों में से हैं. आगे चलकर मदनमोहन साहब ने इसी धुन पर गीत बनाया था "तुझे क्या सुनाऊं मैं दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल हैं "

आभारी
पराग

Shamikh Faraz का कहना है कि -

यह हवा यह रात यह चांदनी. अगर अदा जी ने जवाब दिया है तो बेशक सही ही होगा.

Manju Gupta का कहना है कि -

यह हवा यह रात यह चांदनी -जवाब है .

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