रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित
प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां
एक समय था जब हम महीने के नाम से मौसम का मिज़ाज बता सकते थे। उत्तर भारत में सावन का महीना झूलों का, छोटी-बड़ी नदियों में आई उफानों का, धान की रोपाई का महीना होता था- जैसे धरती हरे रंग का छाता लगा लेती थी। लेकिन मनुष्य के प्रकृति को जीतने की उत्कंठा और होड़ ने पूरी तस्वीर ही बदल दी। आलम यह कि जहाँ 20 मिलि॰ वर्षा होती थी वहाँ 500 मिलि॰ बारिश हो रही है और जहाँ बरसात न हो तो किसना खाना नहीं खाता, वहाँ सूखा पड़ा है। सूरत यह कि गुजरात के सौराष्ट्र में बाढ़ और जल-प्लावन का संकट है तो वहीं उत्तर प्रदेश के 20 जिलों को वहाँ की सरकार सूखा घोषित कर चुकी है। मौसम विज्ञानियों कि मानें तो मौसम के इस नये मिजाज़ को समझने की ज़रूरत है और यह मान लेने की ज़रूरत है कि जलवायु में 180 डिग्री का बदलाव आ चुका है। जितनी जल्दी समझेंगे, उतनी जल्दी शायद हम इस संकट से उबर पायेंगे।
इसीलिए हमने भी मौसम के जानकारों की मानने की सोची और इतनी विडम्बनाओं के बावज़ूद भी पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का बारिश अंक लेकर हम आपके सामने उपस्थित हैं, जिसमें बारिश, सूखा और इससे जुड़ीं संवेदनाओं की 22 फुहारें हैं। इस बार के कवि सम्मेलन को हमारी इंजीनियर और इस कार्यक्रम की डेवलपर खुश्बू ने इसमें वीडियो का रंग भरा है। पूरे कार्यक्रम का स्लाइड शो बनाया है ताकि इसे केवल सुना ही नहीं, देखा भी जा सके। दृश्य-श्रव्य के इस युग में आवाज़ बिना चेहरे के अधूरी है। यह एक प्रयोग है जिसमें सजीव वीडियो का सुख तो नहीं है, फिर भी शुरूआत हो जाने का सुख है, संतोष है।
जब संचालिका रश्मि प्रभा ने हमें वीडियो बनाने का प्रस्ताव दिया तब हमें यह बहुत मुश्किल लगा। वो शायद इसलिए कि भारत में अधिकतर इंटरनेट प्रयोक्ताओं की नेट स्पीड इतनी कम होती है कि 10 मिनट का ऑडियो सुनना भी मुश्किल होता है, ऐसे में 60 मिनिट का वीडियो देखना खासा मुश्किल है। लेकिन उन्होंने कहा कि जमाना तकनीक का है और खुश्बू नये तकनीकी औज़ारों से फाइल साइज़ को इतना छोटा रखेंगी कि श्रोताओं को कोई परेशानी नहीं होगी। अब तो यह आप ही बतायेंगे कि हमारे इस प्रयोग से आप कितने खुश हैं। अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें कि हम इसमें किस तरह का बदलाव लायें।
दिल्ली में बारिश तो नहीं हो रही है पर आप सब कवियों के मन के उदगार सुना आज दिल गा रहा है _भीग गया मेरा मन.....आनंद आया रश्मि जी के संचालन का जवाब नहीं...खुशबू जी विडियो का आईडिया अच्छा है पर इस प्लेयर में इसे देख पाना बहुत मुश्किल है...किसी अछे प्लेयर की तलाश करनी पड़ेगी...पर आपकी सोच और मेहनत को सलाम ...
बारिश का असली आनद आया आज..सब को सुन कर..बहोत अच्छा लगा..दिल भीग गया..सुन के शब्द बूंदों की सतरंगी बौछारों को..रश्मि दी की..खनकती ..मधुर..मीठी आवाज को....विडियो देख के और भी अच्छा लगा..सुनते हुए स्वरों को.तस्वीरो में देखना बड़ा अच्छा लगा..!!अम्माजी..मजुश्रीजी..रेनू सिन्हाजी की आवाज में इतनी समानता देख दिल सोचने लगा..और आखिर रश्मि दी ने..उसका राज भी बता दिया..!!श्यामदूत रश्मि दी को नमन..!!!
इस् बारिश में कवियों की कविता रूपी बोछारे मन् भिगो गई ... साथ में अम्मा का आर्शीवाद , रश्मि जी का संचालन और खुशबू की कलाकारी --- तो क्या कहने ... बधाई स्वीकारे ...!
अरे वाह..! रश्मि दी ने एक और राज बताया..!! बहोत खुशकिस्मत हों विनीता तुम.. अब तुम.. तुम्हारी दुनिया..और तुम्हारे साथ दुनिया..झूमेगी जायेगी...!! बहोत बहोत शुभकामनाएं..!!
Rashmi ji, Ati prabhavi evam suruchipurn sanchalan hetu badhai. Kavitayen samsamayik thin, par video nahi dikhai diya. Kaviyon ki awaz kabhi kabhi kam spasht thi, parantu aap ki awaz ne sab ki kshatipurti kar di. Kya batayengi ki video dekhne hetu kya karun aur is sandesh ko hindi lipi me kaise parivartit karun. Mahesh Chandra Dewedy, Lucknow
२२ कवियों की वर्षा की फुहारों ने तन -मन भिगो दिया शुरुवात सरस्वती की मनचली नम हवा ,शेफाली जी की व्यंग्य कविता आदि श्रावणी मंच की शोभा बढा रही थी .सभी की फोटो से मुलाकात हुयी . संचालन रश्मि जी का हमें मंत्रमुग्ध कर रहा था .हिंद युग्म और सभी कवियों को बधाई .वाशी ,नवी मुंबई के 'काव्य गुलदस्ता ' की कुछ दिन पहले बारिश पर काव्य गोष्टी हुयी थी .मैने यह पढ़ी थी -'मेघा आज न गरजो बरसों ,मिलन ऋतू आई .लगी मन में प्यास /आने की आस / छाई मन के पास'.
आज विडियो देखा बहुत बढ़िया लगा. लगता है सभी कवियों की गुहार प्रकर्ती तक भी पहुँच ही गयी, कल दिल्ली में जम कर झम झम हुई, मुझे तो लगता है और ये मजाक नहीं है रश्मि जी आपके प्रशसंक स्वयं इन्द्रदेव भी हैं, कहीं इन्द्र देव भी आवाज़ के नियमित श्रोता तो नहीं :)
बहुत ही बढ़िया रहा आपका कवी सम्मलेन. हिन्दयुग्म को मुबारकबाद. हिन्दयुग्म की हर नै पहल काबिले तारीफ होती है जैसे अभी आवाज़ पर एक नई पहल हुई अपनी पसंद का गाना बताना और वही गीत क्यों पसंद है ये बताना बहुत ही अच्छा लगा. और अब यह कविसम्मेलन.सभी की कवितायेँ अपनी जगह शानदार रही. किसी ने पुराणी बातों को याद किया तो किसी ने आने वाले ख्वाबो को संजोया. बहुत ही खूबसूरत. हिन्दयुग्म को सरह्निये काम के लिए बधाई.
बारिश पे हुए मुशायरे को सुनकर मुझे भी कुछ बारिश पे कहे गए शे'र याद आ गए
बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गये मौसम के हाथ भीग के सफ़्फ़ाक हो गये बादल को क्या ख़बर कि बारिश की चाह में कितने बुलन्द-ओ-बाला शजर ख़ाक हो गये (परवीन शाकिर)
खिड़की से अचानक बारिश आई एक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगाया दरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजाया उसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गए वह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थी पुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतर पहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों को बिखराना चाहती थी वह मेरे बचपन में बरसना चाहती थी मुझे तरबतर करना चाहती थी स्कूल जानेवाले रास्ते पर
बारिश में घर लौटा कोई दर्पण देख रहा न्यूटन जैसे पृथ्वी का आकर्षण देख रहा। धान-पान सी आदमकद हरियाली लिपटी है, हाथों में हल्दी पैरों में लाली लिपटी है भीतर ही भीतर कितना परिवर्तन देख रहा।
गीत-हँसी-संकोच-शील सब मिले विरासत में जो कुछ है इस घर में सब कुछ प्रस्तुत स्वागत में कितना मीठा है मौसम का बंधन देख रहा।
नाच रही है दिन की छुवन अभी भी आँखों में, फूलझरी सी छूट रही है वही पटाखों में लगता जैसे मुड़-मुड़ कोई हर क्षण देख रहा।
सभी रचनाकारों का आभार बारिश पर एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनने को मिली, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति रही जिसके लिये हिन्द युग्म को धन्यवाद देना चाहूंगी जिनके माध्यम से यह अवसर प्राप्त हो सका ।
मनोरम विषय के अनुरूप कविताये और बेहतर सञ्चालन के साथ इस बार का कवि सम्मेलन बहुत बेहतर रहा | वीडियो का आइडिया भी अच्छा था | सम्मेलन से जुड़े हर व्यक्ति को हार्दिक बधाई |
जिस वक़्त ये कवि सम्मलेन सुन रही थी उस समय दिल्ली में बारिश हो रही थी .इन बारिश की फुहारों के साथ साथ प्रकृति भी भीग रही थी...हिन्दयुग्म के सभी संचालकों को मेरी हार्दिक बधाई..बहुत सुन्दर प्रयास रहा...ये पहली कोशिश थी विडियो बनाने की...उम्मीद है कि आगे और भी सुन्दर प्रयास देखने को मिलेगा .रश्मिजी का संचालन बेमिसाल है...सभी कविताएँ मन को मोहने में सफल रहीं हैं... सबको मेरी बधाई
रश्मि जी, जरा देर हो गयी है आने में और आपको वधाई देने में. हिन्दयुग्म के कवि-सम्मलेन की संचालिका यानी आपको मेरी तरफ से इतनी सुन्दर प्रस्तुति देने के लिये बहुत-बहुत बधाई व भविष्य के लिये तमाम शुभकामनाएँ. आपकी आवाज़ की तारीफ़ न केवल मैंने की वल्कि मेरे भाई-भावज, जो आजकल लन्दन आये हुए हैं, उन्होंने भी आपका यह प्रोग्राम सुनकर जी भर के प्रशंशा की. बारिश की तरह प्रशंशा की झड़ी लगा दी उन्होंने तो. सबकी रचनाओं से बारिश की फुहारें तो मिलीं ही साथ में पता नहीं क्या-क्या याद दिला दिया. झूला, हरियाली, मिट्टी की सोंधी खुशबू आदि-आदि. आपकी आवाज़ सुनने का फिर से इंतज़ार रहेगा. भारत वाले दोनों fan तब तक यहीं होंगे और आपके अगले प्रोग्राम का इंतज़ार कर रहे है फिर से. आपकी कोई ख़ास theme है इस बार कवितायों पर, रश्मि जी क्या?
१ जनवरी - आज के कलाकार - नाना पाटेकर, सोनाली बेन्द्रे और कविता कृष्णमूर्ति - जन्मदिन मुबारक
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.
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बोलती कहानियाँ
बोलती कहानियाँ - टार्च बेचने वाले - हरिशंकर परसाई--आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई की कहानी "टॉर्च बेचने वाले", जिसको स्वर दिया है अमित तिवारी ने।
जहाँ अंधकार है, वहीं प्रकाश है.प्रकाश बाहर नहीं है, उसे अंतर में खोजो.अंतर में बुझी उस ज्योति को जगाओ.
(हरिशंकर परसाई की "टार्च बेचने वाले" से एक अंश)
भारतीय शास्त्रीय संगीत - मोहन वीणा
पं. विश्वमोहन भट्ट ने गिटार इस स्वरुप में परिवर्तन कर इसे भारतीय संगीत वादन के अनुकूल बनाया.उन्होंने एक सामान्य गिटार में 6 तारों के स्थान पर 19 तारों का प्रयोग किया.यह अतिरिक्त तार 'तरब' और 'चिकारी' के हैं जिनका उपयोग स्वरों में अनुगूँज के लिए किया जाता है.आप सुनिए अमेरिकी गिटार वादक रे कूडर और पं. विश्वमोहन भट्ट की गिटार और मोहन वीणा पर जुगलबंदी और फिल्म दुनिया न माने के गाने में इस्तेमाल हुआ हवाइयन गिटार, पियानो तथा वायलिन के प्रयोग वाला गाना.
Radio Playback Artist of the month
रेडियो प्लेबैक की टीम के साथ के निरन ने अपने गायन और संगीत निर्देशन का सफर शुरू किया था. हाल ही में प्रदर्शित डेम 999 उनकी आवाज़ महकी है. सुनते हैं उनका बॉलीवुड डेब्यू गीत
महफ़िल-ए-ग़ज़ल
ये महीना है अजीम शायर असद अली खां उर्फ मिर्ज़ा ग़ालिब को याद करने का. १० मुक्तलिफ़ फनकारों ने अपने अपने अंदाज़ में ढाला गालिब को अपनी मौसिकी में, आईये करें अदब के इस शहंशाह को सलाम इन नायाब ग़ज़लों को सुनकर.
भजन सम्राट अनूप जलोटा - दस भजन
हिन्दी भजनों का जिक्र हो और अनूप जलोटा का नाम न आये ऐसा संभव ही नहीं है. हम आपके लिए लाये हैं भजन सम्राट अनूप जलोटा के गाये १० बेहतरीन भजन.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
26 श्रोताओं का कहना है :
दिल्ली में बारिश तो नहीं हो रही है पर आप सब कवियों के मन के उदगार सुना आज दिल गा रहा है _भीग गया मेरा मन.....आनंद आया रश्मि जी के संचालन का जवाब नहीं...खुशबू जी विडियो का आईडिया अच्छा है पर इस प्लेयर में इसे देख पाना बहुत मुश्किल है...किसी अछे प्लेयर की तलाश करनी पड़ेगी...पर आपकी सोच और मेहनत को सलाम ...
कविताओं की बारिश में तन-मन दोनों सराबोर हो गये.
सभी को बहुत-बहुत बधाई
बारिश का असली आनद आया आज..सब को सुन कर..बहोत अच्छा लगा..दिल भीग गया..सुन के शब्द बूंदों की सतरंगी बौछारों को..रश्मि दी की..खनकती ..मधुर..मीठी आवाज को....विडियो देख के और भी अच्छा लगा..सुनते हुए स्वरों को.तस्वीरो में देखना बड़ा अच्छा लगा..!!अम्माजी..मजुश्रीजी..रेनू सिन्हाजी की आवाज में इतनी समानता देख दिल सोचने लगा..और आखिर रश्मि दी ने..उसका राज भी बता दिया..!!श्यामदूत रश्मि दी को नमन..!!!
इस् बारिश में कवियों की कविता रूपी बोछारे मन् भिगो गई ...
साथ में अम्मा का आर्शीवाद , रश्मि जी का संचालन और खुशबू की कलाकारी --- तो क्या कहने ... बधाई स्वीकारे ...!
खूबसूरत आवाजों की साहित्यिक दस्तकें आपको पसंद आ रही हैं, यह मेरे सञ्चालन का पुरस्कार है...
अरे वाह..!
रश्मि दी ने एक और राज बताया..!!
बहोत खुशकिस्मत हों विनीता तुम..
अब तुम.. तुम्हारी दुनिया..और तुम्हारे साथ दुनिया..झूमेगी जायेगी...!!
बहोत बहोत शुभकामनाएं..!!
सजीव जी,
वीडियो को मेटाकैफे से सर्वर पर डाल दिया गया है। अब इसके चलने में कोई दिक्कत नहीं आयेगी। दुबारा प्ले करेण और आनंद लें।
शब्दों की ये बारिश बौत अछी लगी आवाज को कई दिन से पूरा सुन नहिण पायी थि सभी मैल सहेज कर रखी है आज उन्हें भी सुनूँगी बहुत बहुत धन्यवाद्
Rashmi ji,
Ati prabhavi evam suruchipurn sanchalan hetu badhai.
Kavitayen samsamayik thin, par video nahi dikhai diya. Kaviyon ki awaz kabhi kabhi kam spasht thi, parantu aap ki awaz ne sab ki kshatipurti kar di.
Kya batayengi ki video dekhne hetu kya karun aur is sandesh ko hindi lipi me kaise parivartit karun.
Mahesh Chandra Dewedy, Lucknow
रश्मि जी के संचालन में फुहारे और भी ज्यादा शीतल लगीं..वीडियो दिखा तो..पर बहुत स्पष्ट नहीं था परन्तु अच्छा प्रयास रहा.
२२ कवियों की वर्षा की फुहारों ने तन -मन भिगो दिया शुरुवात सरस्वती की मनचली नम हवा ,शेफाली जी की व्यंग्य कविता आदि श्रावणी मंच की शोभा बढा रही थी .सभी की फोटो से मुलाकात हुयी . संचालन रश्मि जी का हमें मंत्रमुग्ध कर रहा था .हिंद युग्म और सभी कवियों को बधाई .वाशी ,नवी मुंबई के 'काव्य गुलदस्ता ' की कुछ दिन पहले
बारिश पर काव्य गोष्टी हुयी थी .मैने यह पढ़ी थी -'मेघा आज न गरजो बरसों ,मिलन ऋतू आई .लगी मन में प्यास /आने की आस / छाई मन के पास'.
संचालिका जी और प्रीति मेहता के खन-खनाते स्वर के साथ हिन्दु-युग्म की बेहतरीन प्रस्तुति रही।
आभार!
bahut hi badhiya rahi ye goshthi, ham to bas sawaan ka anand hi lete rah gaye...
Rashmi ji ek baar fir bahut umda raha sab kuch hriday se badhai...
आज विडियो देखा बहुत बढ़िया लगा. लगता है सभी कवियों की गुहार प्रकर्ती तक भी पहुँच ही गयी, कल दिल्ली में जम कर झम झम हुई, मुझे तो लगता है और ये मजाक नहीं है रश्मि जी आपके प्रशसंक स्वयं इन्द्रदेव भी हैं, कहीं इन्द्र देव भी आवाज़ के नियमित श्रोता तो नहीं :)
बहुत ही बढ़िया रहा आपका कवी सम्मलेन. हिन्दयुग्म को मुबारकबाद. हिन्दयुग्म की हर नै पहल काबिले तारीफ होती है जैसे अभी आवाज़ पर एक नई पहल हुई अपनी पसंद का गाना बताना और वही गीत क्यों पसंद है ये बताना बहुत ही अच्छा लगा. और अब यह कविसम्मेलन.सभी की कवितायेँ अपनी जगह शानदार रही. किसी ने पुराणी बातों को याद किया तो किसी ने आने वाले ख्वाबो को संजोया. बहुत ही खूबसूरत. हिन्दयुग्म को सरह्निये काम के लिए बधाई.
बारिश पे हुए मुशायरे को सुनकर मुझे भी कुछ बारिश पे कहे गए शे'र याद आ गए
बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गये
मौसम के हाथ भीग के सफ़्फ़ाक हो गये
बादल को क्या ख़बर कि बारिश की चाह में
कितने बुलन्द-ओ-बाला शजर ख़ाक हो गये (परवीन शाकिर)
खिड़की से अचानक बारिश आई
एक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगाया
दरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजाया
उसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गए
वह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थी
पुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतर
पहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों को
बिखराना चाहती थी वह मेरे बचपन में बरसना
चाहती थी मुझे तरबतर करना चाहती थी
स्कूल जानेवाले रास्ते पर
(मंगलेश डबराल)
बारिश में घर लौटा कोई
दर्पण देख रहा
न्यूटन जैसे पृथ्वी का
आकर्षण देख रहा।
धान-पान सी आदमकद
हरियाली लिपटी है,
हाथों में हल्दी पैरों में
लाली लिपटी है
भीतर ही भीतर कितना
परिवर्तन देख रहा।
गीत-हँसी-संकोच-शील सब
मिले विरासत में
जो कुछ है इस घर में सब कुछ
प्रस्तुत स्वागत में
कितना मीठा है मौसम का
बंधन देख रहा।
नाच रही है दिन की छुवन
अभी भी आँखों में,
फूलझरी सी छूट रही है
वही पटाखों में
लगता जैसे मुड़-मुड़ कोई
हर क्षण देख रहा।
(कैलाश गौतम)
बादलों को ढक लेगी अब
अब फुहारोंवाली बारिश होगी
बड़ी-बड़ी बूँदें तो यह
शायद कल बरसेंगे...
शायद परसों...
शायद हफ़्ता बाद... (नागार्जुन.)
दीपाली "आब" की तारीफ़ फिर एक बार करना चाहूँगा कि इनकी कविताओं में एक गज़ब कि फिलोसफी होती है वही चीज़ मुझे यहाँ भी मिली. मुबारकबाद.
सभी प्रतिभागीओं को बधाई. एक बात कहना चाहुंगा कि कुछ लोगो ने बहुत हलकी आवाज़ में अपनी रचनाये पढ़ी जिससे सुनने कुछ दिक्क़त हुई.
सभी रचनाकारों का आभार बारिश पर एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनने को मिली, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति रही जिसके लिये हिन्द युग्म को धन्यवाद देना चाहूंगी जिनके माध्यम से यह अवसर प्राप्त हो सका ।
मनोरम विषय के अनुरूप कविताये और बेहतर सञ्चालन के साथ इस बार का कवि सम्मेलन बहुत बेहतर रहा | वीडियो का आइडिया भी अच्छा था | सम्मेलन से जुड़े हर व्यक्ति को हार्दिक बधाई |
vah rashmi ji....bahut maza aaya...aapko bahut dhanyavaad.
जिस वक़्त ये कवि सम्मलेन सुन रही थी उस समय दिल्ली में बारिश हो रही थी .इन बारिश की फुहारों के साथ साथ प्रकृति भी भीग रही थी...हिन्दयुग्म के सभी संचालकों को मेरी हार्दिक बधाई..बहुत सुन्दर प्रयास रहा...ये पहली कोशिश थी विडियो बनाने की...उम्मीद है कि आगे और भी सुन्दर प्रयास देखने को मिलेगा .रश्मिजी का संचालन बेमिसाल है...सभी कविताएँ मन को मोहने में सफल रहीं हैं... सबको मेरी बधाई
रश्मि जी,
जरा देर हो गयी है आने में और आपको वधाई देने में. हिन्दयुग्म के कवि-सम्मलेन की संचालिका यानी आपको मेरी तरफ से इतनी सुन्दर प्रस्तुति देने के लिये बहुत-बहुत बधाई व भविष्य के लिये तमाम शुभकामनाएँ. आपकी आवाज़ की तारीफ़ न केवल मैंने की वल्कि मेरे भाई-भावज, जो आजकल लन्दन आये हुए हैं, उन्होंने भी आपका यह प्रोग्राम सुनकर जी भर के प्रशंशा की. बारिश की तरह प्रशंशा की झड़ी लगा दी उन्होंने तो. सबकी रचनाओं से बारिश की फुहारें तो मिलीं ही साथ में पता नहीं क्या-क्या याद दिला दिया. झूला, हरियाली, मिट्टी की सोंधी खुशबू आदि-आदि. आपकी आवाज़ सुनने का फिर से इंतज़ार रहेगा. भारत वाले दोनों fan तब तक यहीं होंगे और आपके अगले प्रोग्राम का इंतज़ार कर रहे है फिर से. आपकी कोई ख़ास theme है इस बार कवितायों पर, रश्मि जी क्या?
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)