रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, July 26, 2009

जुलाई का पॉडकास्ट कवि सम्मेलन और बारिश की फुहारें



सुनिए ऑनलाइन कवि सम्मेलन का बारिश अंक

Rashmi Prabha
रश्मि प्रभा
Khushboo
खुश्बू
एक समय था जब हम महीने के नाम से मौसम का मिज़ाज बता सकते थे। उत्तर भारत में सावन का महीना झूलों का, छोटी-बड़ी नदियों में आई उफानों का, धान की रोपाई का महीना होता था- जैसे धरती हरे रंग का छाता लगा लेती थी। लेकिन मनुष्य के प्रकृति को जीतने की उत्कंठा और होड़ ने पूरी तस्वीर ही बदल दी। आलम यह कि जहाँ 20 मिलि॰ वर्षा होती थी वहाँ 500 मिलि॰ बारिश हो रही है और जहाँ बरसात न हो तो किसना खाना नहीं खाता, वहाँ सूखा पड़ा है। सूरत यह कि गुजरात के सौराष्ट्र में बाढ़ और जल-प्लावन का संकट है तो वहीं उत्तर प्रदेश के 20 जिलों को वहाँ की सरकार सूखा घोषित कर चुकी है। मौसम विज्ञानियों कि मानें तो मौसम के इस नये मिजाज़ को समझने की ज़रूरत है और यह मान लेने की ज़रूरत है कि जलवायु में 180 डिग्री का बदलाव आ चुका है। जितनी जल्दी समझेंगे, उतनी जल्दी शायद हम इस संकट से उबर पायेंगे।

इसीलिए हमने भी मौसम के जानकारों की मानने की सोची और इतनी विडम्बनाओं के बावज़ूद भी पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का बारिश अंक लेकर हम आपके सामने उपस्थित हैं, जिसमें बारिश, सूखा और इससे जुड़ीं संवेदनाओं की 22 फुहारें हैं। इस बार के कवि सम्मेलन को हमारी इंजीनियर और इस कार्यक्रम की डेवलपर खुश्बू ने इसमें वीडियो का रंग भरा है। पूरे कार्यक्रम का स्लाइड शो बनाया है ताकि इसे केवल सुना ही नहीं, देखा भी जा सके। दृश्य-श्रव्य के इस युग में आवाज़ बिना चेहरे के अधूरी है। यह एक प्रयोग है जिसमें सजीव वीडियो का सुख तो नहीं है, फिर भी शुरूआत हो जाने का सुख है, संतोष है।

जब संचालिका रश्मि प्रभा ने हमें वीडियो बनाने का प्रस्ताव दिया तब हमें यह बहुत मुश्किल लगा। वो शायद इसलिए कि भारत में अधिकतर इंटरनेट प्रयोक्ताओं की नेट स्पीड इतनी कम होती है कि 10 मिनट का ऑडियो सुनना भी मुश्किल होता है, ऐसे में 60 मिनिट का वीडियो देखना खासा मुश्किल है। लेकिन उन्होंने कहा कि जमाना तकनीक का है और खुश्बू नये तकनीकी औज़ारों से फाइल साइज़ को इतना छोटा रखेंगी कि श्रोताओं को कोई परेशानी नहीं होगी। अब तो यह आप ही बतायेंगे कि हमारे इस प्रयोग से आप कितने खुश हैं। अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें कि हम इसमें किस तरह का बदलाव लायें।

वीडियो-


(कृपया इसे 10-15 मिनिट तक बफर हो जाने दें, फिर दुबारा प्ले करें)

यदि वीडियो देखने में परेशानी महसूस कर रहे हैं तो कृपया नीचे के प्लेयर से ऑडियो सुनें



प्रतिभागी कवि-सरस्वती प्रसाद, दीपाली पन्त तिवारी, रेणु सिन्हा, मंजुश्री, नीलम प्रभा, शेफाली पाण्डेय, कविता राठी, प्रीती मेहता, विनीता श्रीवास्तव, संगीता स्वरुप, कुसुम शर्मा, दिपाली 'आब' (कृति), कुलदीप अंजुम, संत शर्मा, शिखा वार्ष्णेय, ललित मोहन त्रिवेदी, रजिया अकबर मिर्जा, मुकेश कुमार पाण्डेय, शन्नो अग्रवाल, अम्बरीश श्रीवास्तव, महेंद्र भटनागर और नित्या शेफाली

संचालन- रश्मि प्रभा

तकनीक- खुश्बू


यदि आप इसे सुविधानुसार देखना-सुनना चाहते हैं तो कृपया नीचे के लिंकों से डाउनलोड करें-
वीडियोOGG क्वालिटीwmv मूल क्वालिटीMPEG 512kbps
ऑडियोWMAMP3




आप भी इस कवि सम्मेलन का हिस्सा बनें

1॰ अपनी साफ आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके भेजें।
2॰ जिस कविता की रिकॉर्डिंग आप भेज रहे हैं, उसे लिखित रूप में भी भेजें।
3॰ अधिकतम 10 वाक्यों का अपना परिचय भेजें, जिसमें पेशा, स्थान, अभिरूचियाँ ज़रूर अंकित करें।
4॰ अपना फोन नं॰ भी भेजें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हम तुरंत संपर्क कर सकें।
5॰ कवितायें भेजते समय कृपया ध्यान रखें कि वे 128 kbps स्टीरेओ mp3 फॉर्मेट में हों और पृष्ठभूमि में कोई संगीत न हो।
6॰ उपर्युक्त सामग्री भेजने के लिए ईमेल पता- podcast.hindyugm@gmail.com
7.अगस्त अंक के लिए कविता की रिकॉर्डिंग भेजने की आखिरी तिथि- 20 अगस्त 2009
8. अगस्त अंक का पॉडकास्ट सम्मेलन रविवार, 30 अगस्त 2009 को प्रसारित होगा।


रिकॉर्डिंग करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। हमारे ऑनलाइन ट्यूटोरियल की मदद से आप सहज ही रिकॉर्डिंग कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।

# Podcast Kavi Sammelan. Part 13. Month: July 2009.
कॉपीराइट सूचना: हिंद-युग्म और उसके सभी सह-संस्थानों पर प्रकाशित और प्रसारित रचनाओं, सामग्रियों पर रचनाकार और हिन्द-युग्म का सर्वाधिकार सुरक्षित है।

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26 श्रोताओं का कहना है :

सजीव सारथी का कहना है कि -

दिल्ली में बारिश तो नहीं हो रही है पर आप सब कवियों के मन के उदगार सुना आज दिल गा रहा है _भीग गया मेरा मन.....आनंद आया रश्मि जी के संचालन का जवाब नहीं...खुशबू जी विडियो का आईडिया अच्छा है पर इस प्लेयर में इसे देख पाना बहुत मुश्किल है...किसी अछे प्लेयर की तलाश करनी पड़ेगी...पर आपकी सोच और मेहनत को सलाम ...

Disha का कहना है कि -

कविताओं की बारिश में तन-मन दोनों सराबोर हो गये.
सभी को बहुत-बहुत बधाई

kavita rathi का कहना है कि -

बारिश का असली आनद आया आज..सब को सुन कर..बहोत अच्छा लगा..दिल भीग गया..सुन के शब्द बूंदों की सतरंगी बौछारों को..रश्मि दी की..खनकती ..मधुर..मीठी आवाज को....विडियो देख के और भी अच्छा लगा..सुनते हुए स्वरों को.तस्वीरो में देखना बड़ा अच्छा लगा..!!अम्माजी..मजुश्रीजी..रेनू सिन्हाजी की आवाज में इतनी समानता देख दिल सोचने लगा..और आखिर रश्मि दी ने..उसका राज भी बता दिया..!!श्यामदूत रश्मि दी को नमन..!!!

ρяєєтii का कहना है कि -

इस् बारिश में कवियों की कविता रूपी बोछारे मन् भिगो गई ...
साथ में अम्मा का आर्शीवाद , रश्मि जी का संचालन और खुशबू की कलाकारी --- तो क्या कहने ... बधाई स्वीकारे ...!

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

खूबसूरत आवाजों की साहित्यिक दस्तकें आपको पसंद आ रही हैं, यह मेरे सञ्चालन का पुरस्कार है...

abhilasha का कहना है कि -

अरे वाह..!
रश्मि दी ने एक और राज बताया..!!
बहोत खुशकिस्मत हों विनीता तुम..
अब तुम.. तुम्हारी दुनिया..और तुम्हारे साथ दुनिया..झूमेगी जायेगी...!!
बहोत बहोत शुभकामनाएं..!!

नियंत्रक । Admin का कहना है कि -

सजीव जी,

वीडियो को मेटाकैफे से सर्वर पर डाल दिया गया है। अब इसके चलने में कोई दिक्कत नहीं आयेगी। दुबारा प्ले करेण और आनंद लें।

निर्मला कपिला का कहना है कि -

शब्दों की ये बारिश बौत अछी लगी आवाज को कई दिन से पूरा सुन नहिण पायी थि सभी मैल सहेज कर रखी है आज उन्हें भी सुनूँगी बहुत बहुत धन्यवाद्

Anonymous का कहना है कि -

Rashmi ji,
Ati prabhavi evam suruchipurn sanchalan hetu badhai.
Kavitayen samsamayik thin, par video nahi dikhai diya. Kaviyon ki awaz kabhi kabhi kam spasht thi, parantu aap ki awaz ne sab ki kshatipurti kar di.
Kya batayengi ki video dekhne hetu kya karun aur is sandesh ko hindi lipi me kaise parivartit karun.
Mahesh Chandra Dewedy, Lucknow

shikha varshney का कहना है कि -

रश्मि जी के संचालन में फुहारे और भी ज्यादा शीतल लगीं..वीडियो दिखा तो..पर बहुत स्पष्ट नहीं था परन्तु अच्छा प्रयास रहा.

Manju Gupta का कहना है कि -

२२ कवियों की वर्षा की फुहारों ने तन -मन भिगो दिया शुरुवात सरस्वती की मनचली नम हवा ,शेफाली जी की व्यंग्य कविता आदि श्रावणी मंच की शोभा बढा रही थी .सभी की फोटो से मुलाकात हुयी . संचालन रश्मि जी का हमें मंत्रमुग्ध कर रहा था .हिंद युग्म और सभी कवियों को बधाई .वाशी ,नवी मुंबई के 'काव्य गुलदस्ता ' की कुछ दिन पहले
बारिश पर काव्य गोष्टी हुयी थी .मैने यह पढ़ी थी -'मेघा आज न गरजो बरसों ,मिलन ऋतू आई .लगी मन में प्यास /आने की आस / छाई मन के पास'.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) का कहना है कि -

संचालिका जी और प्रीति मेहता के खन-खनाते स्वर के साथ हिन्दु-युग्म की बेहतरीन प्रस्तुति रही।
आभार!

'अदा' का कहना है कि -

bahut hi badhiya rahi ye goshthi, ham to bas sawaan ka anand hi lete rah gaye...
Rashmi ji ek baar fir bahut umda raha sab kuch hriday se badhai...

सजीव सारथी का कहना है कि -

आज विडियो देखा बहुत बढ़िया लगा. लगता है सभी कवियों की गुहार प्रकर्ती तक भी पहुँच ही गयी, कल दिल्ली में जम कर झम झम हुई, मुझे तो लगता है और ये मजाक नहीं है रश्मि जी आपके प्रशसंक स्वयं इन्द्रदेव भी हैं, कहीं इन्द्र देव भी आवाज़ के नियमित श्रोता तो नहीं :)

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बहुत ही बढ़िया रहा आपका कवी सम्मलेन. हिन्दयुग्म को मुबारकबाद. हिन्दयुग्म की हर नै पहल काबिले तारीफ होती है जैसे अभी आवाज़ पर एक नई पहल हुई अपनी पसंद का गाना बताना और वही गीत क्यों पसंद है ये बताना बहुत ही अच्छा लगा. और अब यह कविसम्मेलन.सभी की कवितायेँ अपनी जगह शानदार रही. किसी ने पुराणी बातों को याद किया तो किसी ने आने वाले ख्वाबो को संजोया. बहुत ही खूबसूरत. हिन्दयुग्म को सरह्निये काम के लिए बधाई.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बारिश पे हुए मुशायरे को सुनकर मुझे भी कुछ बारिश पे कहे गए शे'र याद आ गए

बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गये
मौसम के हाथ भीग के सफ़्फ़ाक हो गये
बादल को क्या ख़बर कि बारिश की चाह में
कितने बुलन्द-ओ-बाला शजर ख़ाक हो गये (परवीन शाकिर)

Shamikh Faraz का कहना है कि -

खिड़की से अचानक बारिश आई
एक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगाया
दरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजाया
उसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गए
वह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थी
पुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतर
पहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों को
बिखराना चाहती थी वह मेरे बचपन में बरसना
चाहती थी मुझे तरबतर करना चाहती थी
स्कूल जानेवाले रास्ते पर

(मंगलेश डबराल)

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बारिश में घर लौटा कोई
दर्पण देख रहा
न्यूटन जैसे पृथ्वी का
आकर्षण देख रहा।
धान-पान सी आदमकद
हरियाली लिपटी है,
हाथों में हल्दी पैरों में
लाली लिपटी है
भीतर ही भीतर कितना
परिवर्तन देख रहा।


गीत-हँसी-संकोच-शील सब
मिले विरासत में
जो कुछ है इस घर में सब कुछ
प्रस्तुत स्वागत में
कितना मीठा है मौसम का
बंधन देख रहा।



नाच रही है दिन की छुवन
अभी भी आँखों में,
फूलझरी सी छूट रही है
वही पटाखों में
लगता जैसे मुड़-मुड़ कोई
हर क्षण देख रहा।

(कैलाश गौतम)

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बादलों को ढक लेगी अब
अब फुहारोंवाली बारिश होगी
बड़ी-बड़ी बूँदें तो यह
शायद कल बरसेंगे...
शायद परसों...
शायद हफ़्ता बाद... (नागार्जुन.)

Shamikh Faraz का कहना है कि -

दीपाली "आब" की तारीफ़ फिर एक बार करना चाहूँगा कि इनकी कविताओं में एक गज़ब कि फिलोसफी होती है वही चीज़ मुझे यहाँ भी मिली. मुबारकबाद.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

सभी प्रतिभागीओं को बधाई. एक बात कहना चाहुंगा कि कुछ लोगो ने बहुत हलकी आवाज़ में अपनी रचनाये पढ़ी जिससे सुनने कुछ दिक्क़त हुई.

सदा का कहना है कि -

सभी रचनाकारों का आभार बारिश पर एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनने को मिली, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति रही जिसके लिये हिन्‍द युग्‍म को धन्‍यवाद देना चाहूंगी जिनके माध्‍यम से यह अवसर प्राप्‍त हो सका ।

संत शर्मा का कहना है कि -

मनोरम विषय के अनुरूप कविताये और बेहतर सञ्चालन के साथ इस बार का कवि सम्मेलन बहुत बेहतर रहा | वीडियो का आइडिया भी अच्छा था | सम्मेलन से जुड़े हर व्यक्ति को हार्दिक बधाई |

शेफाली पाण्डे का कहना है कि -

vah rashmi ji....bahut maza aaya...aapko bahut dhanyavaad.

संगीता स्वरुप ( गीत ) का कहना है कि -

जिस वक़्त ये कवि सम्मलेन सुन रही थी उस समय दिल्ली में बारिश हो रही थी .इन बारिश की फुहारों के साथ साथ प्रकृति भी भीग रही थी...हिन्दयुग्म के सभी संचालकों को मेरी हार्दिक बधाई..बहुत सुन्दर प्रयास रहा...ये पहली कोशिश थी विडियो बनाने की...उम्मीद है कि आगे और भी सुन्दर प्रयास देखने को मिलेगा .रश्मिजी का संचालन बेमिसाल है...सभी कविताएँ मन को मोहने में सफल रहीं हैं... सबको मेरी बधाई

shanno का कहना है कि -

रश्मि जी,
जरा देर हो गयी है आने में और आपको वधाई देने में. हिन्दयुग्म के कवि-सम्मलेन की संचालिका यानी आपको मेरी तरफ से इतनी सुन्दर प्रस्तुति देने के लिये बहुत-बहुत बधाई व भविष्य के लिये तमाम शुभकामनाएँ. आपकी आवाज़ की तारीफ़ न केवल मैंने की वल्कि मेरे भाई-भावज, जो आजकल लन्दन आये हुए हैं, उन्होंने भी आपका यह प्रोग्राम सुनकर जी भर के प्रशंशा की. बारिश की तरह प्रशंशा की झड़ी लगा दी उन्होंने तो. सबकी रचनाओं से बारिश की फुहारें तो मिलीं ही साथ में पता नहीं क्या-क्या याद दिला दिया. झूला, हरियाली, मिट्टी की सोंधी खुशबू आदि-आदि. आपकी आवाज़ सुनने का फिर से इंतज़ार रहेगा. भारत वाले दोनों fan तब तक यहीं होंगे और आपके अगले प्रोग्राम का इंतज़ार कर रहे है फिर से. आपकी कोई ख़ास theme है इस बार कवितायों पर, रश्मि जी क्या?

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