रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Wednesday, July 15, 2009

है अपना दिल तो आवारा, न जाने किस पे आएगा....हेमंत दा ने ऐसी मस्ती भरी है इस गीत कि क्या कहने



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 142

से बहुत से गानें हैं जिनमें किसी एक ख़ास साज़ का बहुत प्रौमिनेंट इस्तेमाल हुआ है, यानी कि पूरा का पूरा गीत एक विशेष साज़ पर आधारित है। 'माउथ ऒर्गन' की बात करें तो सब से पहले जो गीत ज़हन में आता है वह है हेमन्त कुमार का गाया 'सोलवां साल' फ़िल्म का "है अपना दिल तो आवारा, न जाने किस पे आयेगा"। अभी कुछ ही दिन पहले हम ने आप को फ़िल्म 'दोस्ती' के दो गीत सुनवाये थे, "गुड़िया हम से रूठी रहोगी" और "चाहूँगा मैं तुझे साँझ सवेरे"। फ़िल्म 'दोस्ती' में संगीतकार थे लक्ष्मीकांत प्यरेलाल और ख़ास बात यह थी कि इस फ़िल्म के कई गीतों व पार्श्व संगीत में राहुल देव बर्मन ने 'माउथ ओर्गन' बजाया था। इनमें से एक गीत है "राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है". 'दोस्ती' १९६४ की फ़िल्म थी। इस फ़िल्म से ६ साल पहले, यानी कि १९५८ में एक फ़िल्म आयी थी 'सोलवां साल', और इस फ़िल्म में भी राहुल देव बर्मन ने 'माउथ ओर्गन' के कुछ ऐसे जलवे दिखाये कि हेमन्त दा का गाया यह गाना तो मशहूर हुआ ही, साथ ही 'माउथ ओर्गन' के इस्तेमाल का सब से बड़ा और सार्थक मिसाल बन गया यह गीत। जी हाँ, पंचम ने ही बजाया था अपने पिता सचिन देव बर्मन के संगीत निर्देशन में और हेमन्त कुमार के गाये इस कालजयी गीत में 'माउथ ओर्गन' । आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में आ गयी है इसी कालजयी गीत की बारी।

'सोलवां साल' चन्द्रकांत देसाई की फ़िल्म थी। राज खोसला निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे देव आनंद और वहीदा रहमान। मजरूह साहब ने गानें लिखे और संगीतकार का नाम तो हम बता ही चुके हैं। आज इस फ़िल्म के बने ५० साल से उपर हो चुके हैं, और आज अगर यह फ़िल्म याद की जाती है तो केवल फ़िल्म के प्रस्तुत गीत की वजह से। माउथ ओर्गन सीखने वाले विद्यार्थियों के लिए यह गीत किसी बाइबल से कम नहीं। इस गीत का फ़िल्मांकन भी बहुत सुंदर हुआ है। ट्रेन में सफ़र करते हुए देव आनंद इस गीत को गा रहे हैं और 'माउथ ओर्गन' पर उन्हे संगत कर रहे हैं उनके दोस्त (दोस्त की भूमिका में थे हास्य अभिनेता सुंदर)। इस गीत का एक सेड वर्ज़न भी है जिसमें बाँसुरी और वायलिन की धुन प्राधान्य रखती है। यूं तो इस फ़िल्म के कई और भी गानें ख़ूबसूरत हैं जैसे कि आशा-रफ़ी-सुधा मल्होत्रा का गाया फ़िल्म का शीर्षक गीत "देखो मोहे लगा सोलवां साल" और आशा की एकल आवाज़ में "यह भी कोई रूठने का मौसम है"; लेकिन कुल मिलाकर यह कहने में कोई हर्ज़ नहीं है कि हेमन्त दा का गाया "है अपना दिल तो आवारा" दूसरे सभी गीतों पर बहुत ज़्यादा भारी पड़ा और आज इस फ़िल्म के साथ बस इसी गीत को यकायक जोड़ा जाता है। और सब से बड़ी बात यह कि इस गीत को उस साल के अमीन सायानी द्वारा प्रस्तुत 'बिनाका गीतमाला' के वार्षिक कार्यक्रम में सरताज गीत के रूप में चुना गया था, यानी कि सन् १९५८ का यह सब से लोकप्रिय गीत रहा। आज भी जब अंताक्षरी खेलते हैं तो जैसे ही 'ह' से शुरु होने वाले गीत की बारी आती है तो सब से पहले लोग इसी गीत को गाते हैं, यह मैने कई कई बार ग़ौर किया है। क्या आप को भी ऐसा महसूस हुआ है कभी?



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा पहला "गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

1. संगीतकार चित्रगुप्त का एक बेहद मधुर गीत.
2. मजरूह साहब ने लिखा है इस गीत को.
3. मुखड़े की पहली पंक्ति में शब्द है -"तन्हाई".

पिछली पहेली का परिणाम-
शरद जी बस एक और सही जवाब और आप बन जायेंगें हमारे पहले को-होस्ट और आपकी पसंद के ५ गीत बजेंगें ओल्ड इस गोल्ड पर. वाकई लगता है बाकी सब ने पहले से ही हार मान ली है.:) मनु जी, रचना जी, शमिख फ़राज़ जी, और निर्मला कपिला जी आप सब का भी आभार.

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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19 श्रोताओं का कहना है :

Parag का कहना है कि -

Dil ka diya jala ke gaya yeh kaun meri tanhai mein..

'अदा' का कहना है कि -

bilkul sahi jawaab hai aapka parag ji

Parag का कहना है कि -

Mere khayal se yah Lata ji gaaya geet hai.

शरद तैलंग का कहना है कि -

पराग जी
”देर आए दुरुस्त आए’कहावत तो यहाँ लागू नहीं हो सकती पर कहना पडेगा ’जल्दी आए दुरुस्त आए’।
गीत यही होना चाहिए । फ़िल्म : आकाशदीप

'अदा' का कहना है कि -

hnm..
और हाँ, सुजोय साहब हम हार मानने वालों में से नहीं है, दरअसल मेरे जो 'वो' हैं न आज कल अस्पताल में रहने चले गए हैं, इसलिए रोज भागना पड़ रहा है, और जहाँ तक शरद जी के जीतने का सवाल है, तो कैसे जीतेंगे भला जो भी गाना वो सुनायेंगे पक्की बात है वो सब मेरी पसंद की होगी,
आप क्या सोचते हैं मैंने ये सब नहीं मिस किया अरे इतना मिस किया इतना मिस किया की बता ही नहीं पाउंगी...
अभी-अभी अस्पताल से ही लौटी हूँ..
शरद जी फर्स्ट आ गए क्योंकि वो अकेले दौड़ रहे थे हा हा हा हा
ये मजाक था शरद जी बुरा मत मानियेगा,
पराग जी, मनु जी, शैलेश जी, सजीव जी, सुजोय जी मैंने आप सबको बहुत मिस किया लेकिन मजबूरी थी, मेरे हसबंड बीमार है और आर्श्चय की बात यह है की जीवन में पहली बार बीमार हुए और ज़बरदस्त बीमार हुए इसलिए कुछ दिन आपलोगों से दूर रही माफ़ी चाहूंगी, जब-जब मौका मिलेगा ज़रूर हाज़िर हो जाउंगी...

Parag का कहना है कि -

स्वप्न मंजूषा जी और शरद जी
मेरा जवाब सही हैं इसकी मान्यता के लिए धन्यवाद. कल कुछ व्यस्तता के कारन आ नहीं सका.

सुजॉय जी, मेरे विचार से बात हार मानने की नहीं है. कई बार थोडासा भी देरी से आये तो जवाब पहले ही दिया हुआ रहता है. कभी कभार जल्द पन्हुचो तो बड़ा ही कठीन सवाल होता है. अब मेरे जैसे कम ज्ञान वाले संगीत प्रेमी करे तो क्या करे?
हा हा हा

आभारी
पराग

Parag का कहना है कि -

स्वप्न मंजूषा जी
आपके पतिदेव की सेहत के लिए हार्दिक शुभेछायें. उम्मीद हैं की वह जल्द ही ठीक हो जाए.


पराग

'अदा' का कहना है कि -

धन्यवाद पराग जी,
३ दिन से इमर्जेंसी में थे अभी अभी कमरे में शिफ्ट किया है,
ठीक तो होना ही होगा उनको और कोई दूसरा विकल्प मैंने उन्हें दिया ही नहीं है...

शरद तैलंग का कहना है कि -

अदा जी
किसने कहा कि मैं फ़र्स्ट आ गया अभी तो मंज़िल दूर है । कई बार ऐसा भी होता है कि ’साहिल पे आए और सफ़ीने डुबो दिए’ या ’मंज़िल को पास देख कर इतनी खुशी हुई, आगे न बढ़ सके कदम वहीं ठहर गए’। आपके ’वो’ की बीमारी की सुनकर चिन्ता हुई हमारी प्रार्थना है कि वो जल्दी स्वास्थ्य लाभ करें ।

शरद तैलंग का कहना है कि -

दिल का दिया .. गीत का दृश्य मेरी आँखॊं के सामने अभी भी आ रहा है जिसमें निम्मी जो शायद गूंगी होती है इस गीत की रिकॊर्ड बजा कर उसके साथ अपने होठ चलाती है ।

'अदा' का कहना है कि -

शरद जी,
आप सब की प्रार्थनाओं की मुझे बहुत ज़रुरत है..
अजी शुभ शुभ बोलिए आपकी नैया अब किनारे लगी ही लगी,
आपकी मंजिल दूर है
मेरी मंजिल दू..........................................................र हैं .....
बस इतना सा ही तो फर्क है,

rachana का कहना है कि -

मंजूषा जी आप के पति जल्दी से ठीक हो के घर आजायें यही कामना है आप ने सब को याद किया मुझे नही मैने तो आप को बहुत याद किया .
आप का उत्तर सही है .क्या है की में कभी भी टाइम पर आ ही नहीं पाती एक तो समय का अन्तर ऊपर से बच्चों का काम छुट्टियाँ है तो बस ..........
हाँ ये बात सही है की कोई भी जीते सुंदर गाने तो सुनने को मिलेंगे ही .हमें और क्या चाहिए .
सादर
रचना

'अदा' का कहना है कि -

रचना जी, फ़राज़ जी, निर्मला जी, दिशा जी आप सबको मैंने जी भर के याद किया है, हर दिन पहेली मिस करती थी और यूँ लगता था जैसे मेरे २ अंक शरद जी के खाते में जाते जा रहे हैं हा हा हा हा
नहीं ये भी मजाक है शरद जी को हराना आसान काम नहीं है,
He is too good...

manu का कहना है कि -

hnm

जवाब सही लगता है..


आशा करते है के आपके पतिदेव जल्द ही सही होकर वापस आयें...
शुभ्कामाओं सहित...
मनु...

Disha का कहना है कि -

जल्द आयेगे घर आपके पिया स्वस्थ होकर
प्रार्थनाएं पहुँच रही हैं हमारी प्रभु के दर पर
हम मंगल कामनाय़ें करते हैं

शरद तैलंग का कहना है कि -

यह सच है कि इस पहेली के माध्यम से न केवल हमें कुछ अच्छे गीतों की जानकारी मिली इसके साथ ही आप सब लोगों जैसे गुणी जनों से परिचय भी हुआ और आपस में प्रतिस्पर्धा होते हुए भी एक मित्रता का सम्बन्ध भी बना । अदा जी की इसमें विशेष भूमिका रही । एक राय आप सब से लेना चाहता हूँ । क्या यह ठीक नहीं रहेगा कि मैं अब अपने २ अंकों के लिए कुछ दिनों तक प्रयास ही न करूं इस बहाने कुछ और गीतों की महत्वपूर्ण जानकारी हमें मिलती रहेगी और हम उन मधुर गीतों का आनन्द उठाते रहेंगे तथा आप सब से बतियाते रहेंगे । उसमें भी बहुत आनन्द आ रहा है । सुजॊय जी इस पोस्ट को न पढें यह उनके लिए नहीं है। यह हमारा आन्तरिक मामला है । हा..हा..हा......

ritu का कहना है कि -

ek bahut hi shandar geet ki jaankari di aapne ...

Manju Gupta का कहना है कि -

शरद जी तो शरद पूर्णिमा की तरह जीतने की चांदनी बिखर रहे हैं बधाई. शरद जी का जबाव ही मेरा जबाव है.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

आपके पति के बारे में सुनकर दुःख हुआ. मैं ईश्वर से निजी तौर पर प्राथना करूँगा कि आपके माथे की बिंदिया कि झिलमिल आपके कजरे की मंजिल, आपके देवता (आपके पति) जल्द ठीक हो जाएँ.

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