सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (12)
चमकते सितारों ने मनाया हिंदी फिल्मों का सबसे बड़ा उत्सव
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ऑस्कर और भारतीय
ऑस्कर के लेकर विवादों का सिलसिला जारी है. ऑस्कर में भारतीयों के अब तक के प्रदर्शन पर एक नज़र -
ए आर आर से पहले भानु अथैया (परिधान सज्जा) पहले भारतीय थे जिन्हें फिल्म "गाँधी" के लिए ऑस्कर मिला. गौरतलब है कि ये फिल्म भी "स्लम डोग" की ही तरह भारतीय परिवेश पर बनी विदेशी फिल्म थी.
फिल्म गाँधी के लिए ही पंडित रवि शंकर को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार श्रेणी में नामांकन मिला था.
सत्यजित राय ने अपनी उत्कृष्ट फिल्मों के योगदान के विशेष पुरस्कार जीता १९९२ में.
१९५८ में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में नामांकित हुई "मदर इंडिया", १९८९ में मीरा नायर की "सलाम बॉम्बे" और २००२ में आमिर खान की आशुतोष गोवरिकर निर्देशित "लगान" ने भी इस तरफ कदम बढाए, पर अंतिम सफलता हाथ नहीं लगी.
और अंत में हम तो इतना ही कहेंगे कि "जय हो" गीत के लिए रहमान- गुलज़ार को मिला सम्मान, सम्मान है हिंदी फिल्म संगीत का जिसे आज दुनिया भर में सुना जा रहा है. क्या ये काफी नहीं जश्न के लिए.
कुछ और सुर्खियाँ
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कैलाश खेर आखिरकार विवाह बंधन में बंध ही गए. उनकी धरमपत्नी का नाम शीतल है. जब पत्रकारों ने शीतल से पूछा कि कहीं ये प्रेम विवाह तो नहीं तो वो बोली कि क्या आपको लगता है कि कैलाश प्रेम विवाह जैसा कोई कदम उठाने वाले इंसान हैं. सीधे सरल और पारंपरिक चाल चलन वाले कैलाश और शीतल को वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं.
करण जोहर ने शाहरुख़ अभिनीत अपनी आने वाली फिल्म "माई नेम इस खान" के लिए जावेद साहब को शीर्षक गीत लिखने के लिए तैयार कर लिया है पहले जावेद साहब ये कहकर मुकर गए थे कि वो किसी अन्य गीतकार के साथ क्रेडिट शेयर नहीं करेंगे. इस फिल्म के लिए अन्य गीत एक नए गीतकार के होंगे.
मरम्मत मुक्कदर की कर दो मौला
इस सप्ताह का गीत है फिल्म "दिल्ली ६" से. दिल्ली ६ की मसकली से तो आपको पहले ही मिलवा चुके हैं, और गायिका रेखा भारद्वाज के बहाने हमने "गैन्दाफूल" का भी जिक्र किया था. तो आज पेश है इसी फिल्म का और मधुर गीत- "अर्जियाँ". फिल्म प्रर्दशित हो चुकी है और मिली जुली प्रतिक्रियां आई हैं जनता की. पर जहाँ तक फिल्म के संगीत की बात है, सब एकमत हैं कि फिल्म का संगीत फिल्म की जान है. प्रस्तुत गीत में आवाजें हैं कैलाश खेर और रहमान के प्रिय गायक जावेद अली की. प्रसून के लिखे और ए आर रहमान के संगीतबद्ध इस गीत की लम्बाई आम गीतों से कुछ ज्यादा है. ८-९ मिनट लम्बे इस सूफियाना गीत को फिल्म में अलग अलग सन्दर्भों में स्थान मिला है, और यही वो गीत है जो फिल्म के मूल सन्देश को हम तक पहुंचाता है. तो इस रविवार की सुबह को रोशन कीजिये इस गुजारिश से -
जो भी तेरे दर आया, झुकने जो सर आया,
मस्तियाँ पिये सबको झूमता नज़र आया,
प्यास लेके आया था. दरिया वो भर लाया,
नूर की बारिश में भीगता सा तर आया....
दरारें दारारें हैं माथे पे मौला...मरम्मत मुक्कदर की कर दो मौला...
मेरे मौला....




नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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श्रोता का कहना है :
कैटरीना ही क्या कोइ भी इन्सान ईमानदारी से हिदी सीखना चाहता हो तो सिखाना चाहूँगा. हमारे राजनेता तो कई दशकों तक जनप्रतिनिधि रहकर भी हिन्दी बोलने से बचते हैं. कैटरीना हिन्दी सीखना चाहती हैं तो वे सराहना की पात्र हैं.
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