ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 07
'ओल्ड इस गोल्ड' में आज गिरनेवाली है बिजली, यह बिजली आपके दिल पर गिरेगी और यह बिजली है किसी के शोख नज़र की. जी हाँ, "शोख नज़र की बिजलियाँ दिल पे मेरे गिराए जा". आशा भोसले की आवाज़ फिल्म "वो कौन थी" में. यूँ तो मदन मोहन की चेहेती रही हैं लता मंगेशकर, लेकिन समय समय पर उन्होने आशा भोसले से कुछ ऐसे गीत गवाए हैं जो केवल आशा भोंसले ही गा सकती थी, और यह गीत भी ऐसा ही एक गीत है. क्योंकि यह गीत फिल्म के 'हेरोईन' साधना पर नहीं, बल्कि 'वेंप' हेलेन पर फिल्माया जाना था, इसलिए आशा भोंसले की आवाज़ चुनी गयी जिसमें ज़रूरत थी एक मादकता की, एक नशीलेपन की, जो नायक को अपनी ओर सम्मोहित करे. और ऐसे गीतों में आशा-जी की आवाज़ किस क़दर निखरकर सामने आती है यह किसी को बताने की ज़रूरत नहीं. बस, फिर क्या था, आशा भोंसले ने इस गीत को इस खूबसूरती से गाया कि इस फिल्म के दूसरे 'हिट' गीतों के साथ साथ इस गीत ने भी सुन्नेवालों के दिलों में एक अलग ही जगह बना ली.
राज खोंसला निर्देशित फिल्म "वो कौन थी" बनी थी सन 1964 में. राजा महेंदी अली ख़ान के खूबसूरत बोल, मदन मोहन का सुरीला नशीला संगीत और आशा भोंसले की मनमोहक और मादकता से भारी आवाज़ है इस गीत में. गीत के शुरू में आशा-जी के आलाप की हरकतें इस गीत को और ज़्यादा खूबसूरत बनाती है. आज के दौर में इस तरह के 'सिचुयेशन' पर जिस तरह के अश्लील और सस्ते गीत बनाए जा रहे हैं, आज के फिल्मकारों और गीतकारों को ऐसे गीतों से सबक लेनी चाहिए कि ऐसे 'सेडक्टिव सिचुयेशन' पर भी कितने ऊँचे स्तर के गीत लिखे जा सकते हैं. आज भी जब हम इस गीत को सुनते हैं तो हमारी आँखों के सामने हेलेन बर्फ के मैदान पर 'आइस-स्केटिंग' करती हुई नज़र आती हैं. इस गीत के सन्दर्भ में एक और बात कहना चाहेंगे कि इस गीत के बनने के बरसों बाद संगीतकार श्यामल मित्रा ने फिल्म अमानुष में एक गीत स्वरबद्ध किया था जिसके मुखड़े की धुन इस गीत से बहुत मिलती जुलती है. याद आया कौन सा गीत? वो गीत था "गम की दवा तो प्यार है, गम की दावा शराब नहीं". क्यूँ सच कहा ना? तो लीजिए पेश-ए-खिदमत है "शोख नज़र की बिजलियाँ"-
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. तलत महमूद और लता की आवाजें.
२. भारत व्यास के बोल और वसंत देसाई का संगीत
३. गीत में "ट्विंकल ट्विंकल" के लिए इस्तेमाल होने वाले हिंदी शब्द गीत का पंच है.
कुछ याद आया...?
मनु जी का तो कायल होना पड़ेगा...हर बार सही जवाब के साथ उपस्थित हो जाते हैं...नीलम जी की पहली गलती है इसलिए माफ़ कर देते हैं :)
प्रस्तुति - सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.


नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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7 श्रोताओं का कहना है :
gayaa andheraa huaa ujaalaa,
chamkaa chamkaa subah kaa taaraa,,,???
टिम टिम टिम, तारों के दीप जले
नीले आकाश तले, हम दोनों की प्रीत पले
is baar manu ji galat honge shaayad ,hihiihihihihihihhi
kisi ne theek hi kaha hai ki ,
kar bura to ho bura ant bhale ka bhla.manu ji ab agar aap galat hue to ?????????????????????
अब सचिन कभी कभार तो शून्य पर आऊट हो सकता है न नीलम जी...
मनु जी बिल्कुल भी कॉन्फ़िडेंट नहीं हैं इस बार.. :)
अब सचिन कभी कभार तो शून्य पर आऊट हो सकता है न नीलम जी...
मनु जी बिल्कुल भी कॉन्फ़िडेंट नहीं हैं इस बार.. :)
आशाजी और मदनमोहन की जोडी के क्या कहने। " नींद हमारी ख्याब तुम्हारे" का एक एक नग्मा अनमोल है।
सेन्सुअल गीतों की बात करें तो "ये नयन डरे डरे" और "मेरी जां, मुझे जां न कहो" के आगे आज का कोई भी गीत नहीं टिकता।
तलत साहब के ज्यादातर मैने solo गीत ही सुने है,
टिपणिया पढने मे बहुत मजा आता है
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