ओल्ड इस गोल्ड शृंखला (०१)
आवाज़ की दुनिया के मेरे दोस्तों, आज से आवाज़ पर हम शुरू कर रहे हैं एक नया स्तंभ -"ओल्ड इस गोल्ड".यह एक ऐसा स्तंभ है जो सलाम करती है फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के उन बेशकीमती गीतों को जिनसे फ़िल्म संगीत संसार आज तक महका हुआ है. इस स्तंभ के अंतर्गत हम न केवल आपको उस गुज़रे दौर के लोकप्रिय गाने सुनवायेंगे, बल्कि उन गीतों की थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे. आज इस नए स्तंभ की पहली कड़ी में हमने जिस गीत को चुना है आपले साथ बाँटने के लिए, वो फ़िल्म "नीला आकाश" का है. ये फ़िल्म बनी थी १९६५ में. राजेंदर भाटिया द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्या कलाकार थे धर्मेन्द्र और माला सिन्हा.जहाँ तक इसके गीत संगीत का सवाल है, इस फ़िल्म के गाने लिखे रजा मेहंदी अली खान ने, और संगीतकार थे मदन मोहन. दोस्तों, आपको शायद ये बताने की जरुरत नही कि राजा मेहंदी अली खान और मदन मोहन की जोड़ी ने बहुत सारे खूबसूरत गीत हमें दिए हैं. बल्कि यूँ कहें कि राजेंदर कृष्ण के बाद मदन मोहन जिस गीतकार के सबसे ज्यादा गीत संगीतबद्ध किए, वो थे राजा मेहंदी अली खान.
नीला आकाश के ज्यादातर गाने आशा भोंसले और मोहम्मद रफी ने गाये सिवाय एक गीत के जिसे लता मंगेशकर ने गाया था. रफी और आशा की आवाजों में "तेरे पास आके मेरा वक्त गुजर जाता है...", इस फ़िल्म का सबसे हिट गीत रहा. लेकिन आज हम यहाँ जिस गीत का जिक्र कर रहे हैं वो है तो आशा और रफी की ही आवाजों में, लेकिन वो गीत है "आपको प्यार छुपाने की बुरी आदत है.." रूमानियत से भरे इस खूबसूरत युगल गीत में है मीठी छेड़ छाड़, कुछ शिकवे शिकायतें और हल्की फुल्की नोंक झोंक, जो हमें ले जाती है उस ज़माने में जहाँ प्यार बहुत मासूम हुआ करता था. "किसलिए आपने शरमा के झुका ली ऑंखें.." के जवाब में में नायिका का कहना -"इसलिए आपसे शरमा के झुका ली ऑंखें, आपको तीर चलाने की बुरी आदत है..", इसी मासूमियत की एक मिसाल है. इस गीत से जुड़ी एक और ख़ास बात यह है कि इस गीत का फिल्मांकन दिल्ली के लोधी गार्डन में किया गया था. तो अब सुनिए ये गीत और याद सजायिये अपने अपने प्रेमी/प्रेमिका के साथ गुजरे उन मीठी तकरारों वाले दिनों की -
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. किशोर कुमार और नूतन पर फिल्माए गए इस गीत में नूतन की अदाकारी को आवाज़ दी है आशा भोंसले ने.
२. १९५८ में आई इस फ़िल्म के इस जबरदस्त हास्य गीत ने बिनाका संगीत परेड में, टॉप ३ में अपनी जगह बनाई थी.
३. गीत में अंग्रेजी शब्दों का सुंदर इस्तेमाल हुआ है.
कुछ याद आया...?
प्रस्तुति - सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सदर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
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8 श्रोताओं का कहना है :
सब से पहले तो मदन मोहन के संगीत से सजे इस गीत के लिए लाख लाख शुक्रिया. दफ्तर से आते ही दिल खुश कर दिया.
फिर .... शायद पहली बार कोई पहेली जैसी चीज़ बूझने की कोशिश कर रहा हूँ ... सो भूल चूक आप की ..
C A T CAT, CAT माने बिल्ली .......
हम भी खुश हुए दफ्टर से आते ही,,,इस नयी श्रंखला की बधाई....
मुझे भी यही लगा.......""दिल तेरे पंजे में है तो क्या हुआ,,,,,,,,,,????""
आज का गीत ( आप को प्यार छुपाने की बुरी आदत है )बेमिसाल है, आज कल के तेज रफतार के गीत सुनने के बाद इतने ठहरे हुये गीत सुनना वाकई अच्छा लगता है, आवाज टीम को बधाई।
गीत सुना..आपको प्यार जताने..आनन्द आया.
nij rastra ke shringaar ke liye tum kalpana karo naveen kalpana karo,kuch aisa hi prayaas aawaj ki team bhi kar rahi hai ,is naye aur behtareen prayaas ke liye subhkaamnaayen sweekaaren .
स्वागत है, इस नये हसीन प्रयास का, जो दिल के करीब है.
गीत है C A T cat माने बिल्ली.. मीत जी सही है-
फ़िल्म है दिल्ली का ठग (१९५८)- रवि का संगीत
मेरा मनपसन्द गीत सुनवाने के लिए आभार।
aap ka pryas kamal ka hai,puraney geeto mai meri ghahery dilchaspey hai. sudha chandera ka gaya geet tum mujhey bhool bhi jao haq hai tumakao-------- sunwa dey to dil khush ho jaegha.
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