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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Friday, February 27, 2009

सुनो कहानी: कुर्रत-उल-ऐन हैदर की 'फोटोग्राफर'



उर्दू लेखिका कुर्रत-उल-ऐन हैदर की कहानी 'फोटोग्राफर'

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत आज हम आपको सुनवा रहे हैं कुर्रत-उल-ऐन हैदर की कहानी 'फोटोग्राफर'। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना ''पत्नी से पति'' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं कुर्रत-उल-ऐन हैदर की 'फोटोग्राफर', जिसको स्वर दिया है श्रीमती नीलम मिश्रा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 14 मिनट।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



कुर्रत-उल-ऐन हैदर (१९२६ - २००७)
कुर्रत-उल-ऐन हैदर का जन्म २० जनवरी १९२६ में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ नगर में हुआ था. विभाजन के समय वे पाकिस्तान चली गयी थीं परन्तु बाद में वापस भारत आ गयीं और मृत्युपर्यंत (२१ अगस्त २००७) यहीं रहीं. ऐनी आपा के नाम से प्रसिद्ध हैदर, इम्प्रिंट की प्रबंध-संपादिका रहीं और इलसट्रेटड वीकली के सम्पादन मंडल में भी रहीं. वे भारत में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अतिरिक्त अमेरिका के केलिफोर्निया, शिकागो, विस्कोंसिन, और एरिजोना विश्वविद्यालयों से जुडी रही हैं. उनकी कुछ कृतियाँ: पतझड़ की आवाज़, रोशनी का सफ़र, चाय के बाग़, मेरे भी सनम खाने, सफीना-ए-गम-ऐ-दिल, और गर्दिश-ऐ-रंग-ए-चमन.
हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी



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#Twenty Seventh Story, Photographer: Stories/Hindi Audio Book/2009/08. Voice: Neelam Mishra

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7 श्रोताओं का कहना है :

PN Subramanian का कहना है कि -

सचमुच ही अछि अछि कहानियो को पॉडकास्ट करने का आपका प्रयास सराहनीय है. आभार.

सजीव सारथी का कहना है कि -

वाह नीलम जी बहुत बढ़िया आज प्रेमचंद की मोनोटोनी टूटी है. कुर्रत-उल-ऐन हैदर की इस कहानी से गुजरते हुए बहुत से अनुभव हुए और नीलम जी बहुत सहजता से पूरी कहानी को अपनी आवाज़ दी है. अनुराग जी इस नए प्रयोग के लिए साधुवाद

शोभा का कहना है कि -

नीलम जी,
कथा बहुत अच्छी पढ़ी है। भविष्य में और भी कथा सुनने की प्रतीक्षा रहेगी।

shanno का कहना है कि -

नीलम जी,
सजीव जी से सहमत हूँ कि कहानी को आपने बहुत ही सहजता से पढ़ा है, और सच में आपकी आवाज़ बहुत प्यारी है. बधाई. आपकी आवाज़ में और भी कहानियाँ सुनने का मन है. आगे के लिए मेरी शुभकामनाएं.

neelam का कहना है कि -

बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का ,पहले प्रयास को सराहने के लिए आभार व्यक्त करती हूँ कुछ त्रुटियाँ हैं ,अगली बार उन्हें भी सही करने की कोशिश करूंगी ,बस ऐसे ही हौसला -आफजाई करते रहिये |

manu का कहना है कि -

शायद तकनिकी खराबी के कारण कहानी तो नही सुन पाया,,,,,
मगर लेखिका के चेहरे ने आकर्षित किया है,,,,,,सुन पाया तो एक कमेंट और दूंगा,,,,
पर लेखिका का फोटो नाम की तरह ही अलबेला है,,,,,यूनीक है,,,,

manu का कहना है कि -

बड़ी मेहनत मश्श्कात के बाद सुन पाया ये कहानी,,,,
लेखक का नाम और चेहरा तो बेहद पसंद आये ही थे,,,,,
वाचक का अंदाज ( और कहीं कहीं पर मीना कुमारी का अहसास कराती ) आवाज ने कहानी में और भी जान डाल दी,,,, ,
वाकई मजा आया नीलम जी, लगा ही नहीं के ये उन्ही नीलम जी की आवाज है.....जिनके कमेंट अक्सर ही मजाकिया हुआ करते हैं ...:::))))
बेहद संजीदगी से आपने कहानी अदा की.....

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