रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Tuesday, August 4, 2009

धीरे से जाना खटियन में...किशोर दा की जयंती पर एक बहुत ही विशेष गीत



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 161

वि नीरज ने लिखा था कि "खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को, मिलते हैं दिल यहाँ मिलके बिछड़ने को"। संसार के एक शाश्वत सत्य को उजागर किया था नीरज ने अपने इस गीत में। पर आत्मा कहती है कि इस संसार में कुछ चीज़ें ऐसी भी हैं जो शाश्वत हैं। विज्ञान कहती है कि आवाज़ शाश्वत होती है। आज से लेकर अगले दस दिनों तक 'आवाज़' के इस मंच पर ऐसी ही एक शाश्वत आवाज़ को नमन। ये वो आवाज़ है दोस्तों जिसने जब हमें हँसाया तो हम हँस हँस कर लोट पोट हो गये, दर्द भरा कोई अफ़साना सुनाया तो दिल को रुलाकर छोड़ दिया, ज़िंदगी की सच्चाई बयान कि तो लगा जैसे जीवन का सही अर्थ पता चल गया हो, मस्ती भरे नग़में गाये तो दिल झूम उठा, और दिल के तराने छेड़े तो जैसे किसी रिश्ते की डोर और मज़बूत हो गयी। ये आवाज़ सिर्फ़ एक आवाज़ ही नहीं है, इनके तो कई कई आयाम हैं। ये हरफ़नमौला कलाकार एक गायक भी हैं और संगीतकार भी, अभिनेता भी हैं और एक संवेदनशील लेखक भी, फ़िल्म निर्माता और निर्देशक भी रहे हैं ये शख्स। हर दिल पर राज करनेवाला ये फ़नकार हैं आभास कुमार गांगुली, यानी कि हमारे, आपके, हम सभी के प्यारे किशोर कुमार। आज, ४ अगस्त, किशोर दा की ८०-वीं जयंती के उपलक्ष पर हम आज से 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर शुरु कर रहे हैं किशोर दा को समर्पित विशेष लघु शृंखला 'दस रूप ज़िंदगी के और एक आवाज़'। इसके तहत किशोर दा आप का परिचय करवायेंगे जीवन के दस अलग अलग रूपों से, अलग अलग भावों से, अलग अलग सौग़ातों से। किशोर दा ने हर रंग के गानें गाये हैं, ज़िंदगी का कोई भी पहलू ऐसा नहीं जो किशोर दा की आवाज़ से बावस्ता न हो। लेकिन किशोर दा के जिस अंदाज़ की वजह से लोग सब से पहले उन्हे याद करते हैं, वह है उनका खिलंदरपन, उनका मज़ाकिया स्वभाव, उनके हास्य रस में डूबे नग़में। शायद इसीलिए, इस शृंखला का पहला गीत भी हमने कुछ इसी रंग का चुना है। सन् १९७३ में बनी फ़िल्म 'छुपा रुस्तम' का गीत "धीरे से जाना खटियन में ओ खटमल"।

'छुपा रुस्तम' फ़िल्म का निर्माण व निर्देशन किया था विजय आनंद ने, और फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे देव आनंद और हेमा मालिनी। सचिन देव बर्मन के संगीत में ढलकर इस फ़िल्म का सब से लोकप्रिय गीत किशोर कुमार ने गाया था। जी हाँ, हम प्रस्तुत गीत की ही बात कर रहे हैं। यह फ़िल्म संगीत के इतिहास का शायद एकमात्र गीत होगा जो खटमल पर बना है। बर्मन दादा की इस धुन में बंगाल के लोकसंगीत की झलक है, लेकिन किशोर दा ने अपनी निजी अंदाज़ से गीत को कुछ ऐसी शक्ल दे दी है कि गाना बस किशोर दा का ही बनकर रह गया है। अगर आप को याद हो तो १९५८ की फ़िल्म 'चलती का नाम गाड़ी' में एक गीत था "मैं सितारों का तराना.... पाँच रुपया बारह आना", जिसके हर अंतरे में किशोर दा कुछ अजीब-ओ-ग़रीब सी हरकत कर जाते हैं। ऐसे एक अंतरे में वो सचिन दा की आवाज़ को नकल कर गा उठते हैं "धीरे से जाना बगियन में रे भँवरा, धीरे से जाना बगियन में"। दरसल यह सचिन दा का बनाया और उन्ही का गाया हुआ एक ग़ैर फ़िल्मी लोक गीत है। सचिन दा की आवाज़ में इस औरिजिनल गीत को भी आज हम आपको सुन्वायेंगें, तभी आज पहली बार आप ओल्ड इस गोल्ड पर दो प्लेयर पायेंगें। अब वापस आते हैं किशोर दा पर। तो 'चलती का नाम गाड़ी' के उस गीत में बर्मन दा के इस ग़ैर फ़िल्मी गीत की एक छोटी सी झलक मिलती है, और उसके बाद, करीब करीब १५ साल बाद, जब फ़िल्म 'छुपा रुस्तम' के गीत संगीत की बात चली तो इसी धुन पर 'बगियन' को 'खटियन' बना दिया गया और 'भँवरे' को 'खटमल'। वैसे गीत के आख़िर में किशोर दा 'बगियन' और 'भँवरे' पर आ ही जाते हैं, और फिर से उसी सचिन दा वाले अंदाज़ में। गीतकार नीरज ने भी बड़ी दक्षता का परिचय देते हुए इस गीत को शीर्षक गीत बना दिया है यह लिख कर कि "क्यों छुप छुप के प्यार करे तू, बड़ा छुपा हुआ रुस्तम है तू, ले ले हमको भी शरण में ओ खटमल, धीरे से जाना खटियन में"। तो सुनिए इस गीत को और आनंद उठाइए किशोर दा के उस अंदाज़ का जो उन्हे दूसरे सभी गायकों से अलग करती है।



अब ये भी सुनिए वो मूल गीत बर्मन दा (सीनीयर) की आवाज़ में -



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

1. किशोर दा एक भावपूर्ण गीत.
2. कल के गीत का थीम है - रिश्ते.
3. मुखड़े में शब्द है -"उमर'.

कौन सा है आपकी पसंद का गीत -
अगले रविवार सुबह की कॉफी के लिए लिख भेजिए (कम से कम ५० शब्दों में ) अपनी पसंद को कोई देशभक्ति गीत और उस ख़ास गीत से जुडी अपनी कोई याद का ब्यौरा. हम आपकी पसंद के गीत आपके संस्मरण के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश करेंगें.

पिछली पहेली का परिणाम -
दिशा जी बधाई आप पराग जी के बराबर अंकों पर आ गयी हैं अब, पराग जी कहाँ हैं आप, जागिये ज़रा....मनु जी आप भी फुर्ती दिखाईये अब तनिक...:) स्वप्न जी और शरद यकीन मानिये हम भी आप दोनों की हाजिरजवाबी को बहुत "मिस" कर रहे हैं. दिलीप जी, पोस्ट तो शाम ६.३० भारतीय समयानुसार आ चुकी थी, पता नहीं आप क्यों नहीं देख पाए....

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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14 श्रोताओं का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

KYUNKI KAL RAKHI HAI...

phoolon ka taron ka sab ka kehna hai... sari umar hame sang rehna hai.

ROHIT RAJPUT

'अदा' का कहना है कि -

sahi kaha rohit ji..
vaise to umar se aur bhi ek gaana mujhe yaad aa raha hai lekin aapka jawaab sahi hai.. kal rakhi jo hai..
sab ko rakhi ki shubh kaamnayein..
bahut bahut badahi ...

'अदा' का कहना है कि -

Rohit ji ka khata to khul hi gaya, gana unhone pehchaan bhi liya jo theme 'rishte' ke tahat aata hain ...
Phoolon Ka Taaron Ka Sabka Kehna Hai
Ek Hazaron Mein Meri Behna Hai
Sari Umar Hame Sang Rehna Hai

Ye Na Jaana Duniya Ne Tu Hai Kyon Udaas
Teri Pyaari Aankhon Mein Pyar Ki Hai Pyaas
Aa Mere Paas Aa Keh Jo Kehna Hai
Ek Hazaron Mein ...

Jabse Meri Aankhon Se Ho Gayi Tu Door
Tabse Sare Jeevan Ke Sapne Hain Choor
Aankhon Mein Neend Na Dil Mein Chaina Hai
Ek Hazaron Mein ...

Dekho Hum Tum Dono Hain Ek Dali Ke Phool
Maein Na Bhoola Tu Kaise Mujhko Gai Bhool
Aa Mere Paas Aa Keh Jo Kehna Hai
Ek Hazaron Mein ...
film : hare raama hare krishna

Disha का कहना है कि -

yahi gaanaa hai

manu का कहना है कि -

hnm..
bilkul yahi...

शरद तैलंग का कहना है कि -

मैनें भी इसी गाने पर मुहर लगा दी थी पर अभी देखा तो मेरा पोस्ट प्रकाशित ही नहीं हुआ । अब राखी का अवसर है तो यही गीत होगा ’ मेरी उमर के नौजवानों दिल न लगाना ओ दीवानों ’ तो हो नहीं सकता । आज दिशा जी कैसे चूक गईं ।

शरद तैलंग का कहना है कि -

hmn.. नहीं hnm...

शरद तैलंग का कहना है कि -

मनु जी
ये hmn... क्या है ?

Parag का कहना है कि -

सुजॉय जी, मेरे हाथ में चोट आने के कारन मैं अंतर्जाल से थोडा दूर हूँ कुछ दिन के लिए.

पराग

'अदा' का कहना है कि -

Sharad ji,
hnm..
manu ji ka likhne waala 'takia kalam' hai..
ha ha ha ha ha

शरद तैलंग का कहना है कि -

मुझे लग रहा है वे पहले हनुमान जी को याद करते है उसी का short है hnm..

Manju Gupta का कहना है कि -

फूलों का तारों का सब का कहना है .........जवाब है .

manu का कहना है कि -

h--- HAMEIN
n--- NAHIN
m--- MAALOOM



hame nahi pataa hotaa jawaab aksar...
par hajiri lagaani hoti hai na...?

:)
::))

Shamikh Faraz का कहना है कि -

फूलों का तारों का सब का कहना
एक हजारों में मेरी बहना है,

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