बात एक एल्बम की # 04
फीचर्ड आर्टिस्ट ऑफ़ दा मंथ - भूपेन हजारिका.
फीचर्ड एल्बम ऑफ़ दा मंथ - मैं और मेरा साया, - भूपेन हजारिका (गीत अनुवादन - गुलज़ार)

बतौर संगीतकार अपनी पहली हिन्दी फ़िल्म 'आरोप' (1974) साईन में उन्होंने लता से 'नैनों में दर्पण है' गवाया. इस गाने के बारे में भूपेन दा बताते है "एक दिन जब मैं रास्ते से गुजर रहा था तब एक पहाड़ी लडके को गाय चराते हुए इस धुन को गाते सुना इस गाने से मै इतना प्रभावित हुआ कि मैंने उसी समय इस गाने की टियून को लिख लिया. हालांकि मैंने उसकी हू -बहू नक़ल नही किया मगर उसका प्लाट वही रखा ताकि उसकी आत्मा जिन्दा रहे.
और एक लम्बे अंतराल के बाद हिंदी में आई उनकी फिल्म "रुदाली" में एक बार फिर लता ने स्वर दिया उस अमर गीत को. 'दिल हूँ हूँ करे..." इस फिल्म में आशा ने अपनी आवाज़ से एक सजाया था बोल थे ...."समय धीरे चलो...". १९९२ में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वापस आते हैं हमारे फीचर्ड एल्बम की तरफ. "मैं और मेरा साया" में मूल असामी बोलों को हिंदी में तर्जुमा किया गुलज़ार साहब ने. गुलज़ार साहब ने इन सुंदर गीतों को हिंदी भाषी श्रोताओं को पेश कर बहुत उपकार किया है. इस एल्बम से गुजरना यानी भूपेन दा के मधुर स्वरों और शब्दों के असीम आकाश में विचरना. सच में एक अनूठा अनुभव है ये. आज इस अंतिम कड़ी में सुनिए ये तीन गीत -
ये किसकी सदा है ....
आलसी सावन बदरी उडाये....
और अंत में ये शीर्षक गीत - मैं और मेरा साया....
एल्बम "मैं और मेरा साया" के अन्य गीत यहाँ सुनें -
डोला रे डोला...
एक कली दो पत्तियां...
उस दिन की बात है रमैया...
हाँ आवारा हूँ...
कितने ही सागर....
भूपेन दा हिंदी फिल्म "एक पल" के सभी गीतों को सुनने के लिए यहाँ जाएँ -
दुर्लभ गीत फिल्म "एक पल" के
साप्ताहिक आलेख - उज्जवल कुमार
"बात एक एल्बम की" एक साप्ताहिक श्रृंखला है जहाँ हम पूरे महीने बात करेंगे किसी एक ख़ास एल्बम की, एक एक कर सुनेंगे उस एल्बम के सभी गीत और जिक्र करेंगे उस एल्बम से जुड़े फनकार/फनकारों की. इस स्तम्भ को आप तक ला रहे हैं युवा स्तंभकार उज्जवल कुमार. यदि आप भी किसी ख़ास एल्बम या कलाकार को यहाँ देखना सुनना चाहते हैं तो हमें लिखिए.


नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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3 श्रोताओं का कहना है :
सुरुचिपूर्ण...सरस...श्रवणीय.
how con i download these songs of bhupen da
plese send me mp3 of mera saya,
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