ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 47
अगर मैं आप से यह पूछूँ कि क्या आप ने "नन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ" गीत सुना है या नहीं, तो शायद ही आप में से किसी का जवाब नहीं में होगा. लेकिन अगर मैं आप से इस गीत की गायिका का नाम पूछूँ तो शायद आप में से कुछ लोग इनका नाम ना बता पाएँ. इस कालजयी देश भक्ति गीत को गाया था बाल गायिका शांति माथुर ने, और यह "सन ऑफ इंडिया" फिल्म का गाना है. ज़रा सोचिए कि केवल एक देशभक्ति गीत गाकर ही उन्होने अपनी ऐसी छाप छोडी है कि आज वो गीत ही उनकी पहचान बनकर रह गया है. आज हम 'ओल्ड इस गोल्ड' में यह गाना तो नहीं, लेकिन इसी फिल्म से शांति माथुर का ही गाया हुआ एक दूसरा गीत सुनवा रहे हैं. शांति माथुर का शुमार बेहद कमचर्चित गायिकाओं में होता है और उनके बारे में बहुत कम सुना और कहा गया है. दरअसल दो एक फिल्मों के अलावा इन्होने किसी फिल्म में नहीं गाया है और ना ही बडी होने के बाद फिल्मी गायन के क्षेत्र में वापस आईं हैं. अगर हम यह मानकर चलें कि 1962 की फिल्म सन ऑफ इंडिया के वक़्त उनकी उम्र 10 साल रही होगी, तो आज वो अपने 50 के दशक में होंगीं और हम उनकी सलामती की कामना करते हैं.
सन ऑफ इंडिया में शांति माथुर ने कई गीत गाए थे जिन्हे पर्दे पर गाया बाल कलाकार साजिद ख़ान ने. अगर आप यह सोच रहे हैं की यह साजिद ख़ान वही हैं जो आजकल फिल्म निर्माता और अभिनेता हैं, तो आप बिलकुल ग़लत सोच रहे हैं. सन ऑफ इंडिया के साजिद ख़ान फिल्मकार महबूब ख़ान के गोद लिए हुए बेटे हैं जिन्होने कुछ फिल्मों में अभिनय किया है. महबूब साहब की महत्वाकांक्षी फिल्म "मदर इंडिया" में भी मास्टर साजिद नज़र आए थे. 'हीट एंड डस्ट' नाम से एक फिल्म आई थी 1983 में जिसमें साजिद ने आखिरी बार अभिनय किया था. तो चलिए साजिद ख़ान और शांति माथुर को याद करते हुए फिल्म सन ऑफ इंडिया से एक गीत सुनते हैं "आज की ताज़ा खबर, आओ काकाजी इधर, सुनो दुनिया की खबर". इस गीत में समाज में चल रही बुराइयों और समस्याओं पर व्यंग-पूर्वक वार किया गया है जो हमें एक बार फिर से अपने सामाजिक दायित्वों की तरफ गौर करने पर मजबूर कर देता है. महबूब ख़ान की दूसरी फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी गीतकार शक़ील बदायूनीं और संगीतकार नौशाद का गीत संगीत रहा.
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. मजरूह के बोल और ओपी नय्यर का संगीत.
२. गीता दत्त की शोख भरी आवाज़.
३. मुखड़े में शब्द है -"झूम के".
कुछ याद आया...?
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.


नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 श्रोताओं का कहना है :
आप कैसे इतना सब संकलन कर लेते हैं?
ये गीत उन दिनों जब सुना गया , तो क्या खबर थी कि आज भी मौजूं रहेगा..
अगला गीत है, थंडी हवा काली घटा आ ही गयी झूम के .. (Mr & Mrs 55) क्या मदमाता गीत है?
सुमधुर गीतों को सुनते रहिये तो समय का पता ही नहीं चलता...नए गीतों में अब वो बात कहाँ?
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)