रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Saturday, April 4, 2009

कर ले प्यार कर ले के दिन हैं यही...आशा का जबरदस्त वोईस कंट्रोल



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 42

हेलेन का अंदाज़ और आशा भोंसले की आवाज़. ऐसा लगता है जैसे आशाजी की आवाज़ हेलेन के अंदाज़ों की ही ज़ुबान है. इसमें कोई शक़ नहीं कि अपनी आवाज़ से अभिनय करनेवाली आशा भोंसले ने हेलेन के जलवों को पर्दे पर और भी ज़्यादा प्रभावशाली बनाया है. चाहे ओ पी नय्यर हो या एस डी बर्मन, या फिर कल्याणजी आनांदजी, हर संगीतकार ने समय समय पर इस आशा और हेलेन की जोडी को अपने दिलकश धुनों से बार बार सजीव किया है हमारे सामने. आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में आशा भोंसले, हेलेन और एस डी बर्मन मचा रहे हैं धूम फिल्म "तलाश" के एक 'क्लब सॉंग' के ज़रिए. ऐसे गीतों के लिए उस ज़माने में आशा भोंसले के अलावा किसी और गायिका की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. लेकिन आशाजी के लिए बर्मन दादा का यह गीत इस अंदाज़ का पहला गीत नहीं है. क्या आप को पता है कि आशाजी ने बर्मन दादा के लिए ही पहली बार एक 'कैबरे सॉंग' गाया था फिल्म टॅक्सी ड्राइवर (1953) में? इतना ही नहीं, आशाजी का गाया हुआ बर्मन दादा के लिए यह पहला गाना भी था. याद है ना आपको वो गीत? चलिए हम याद दिला देते हैं, वो गीत था टॅक्सी ड्राइवर फिल्म का जिसके बोल थे "जीने दो और जियो...मारना तो सब को है जीके भी देख ले, चाहत का एक जाम पी के भी देख ले". इसके बाद जुवेल थीफ में "रात अकेली है" गीत बेहद मशहूर हुआ था. और फिर उसके बाद फिल्म तलाश का यह मचलता नग्मा.

दोस्तों, फिल्म तलाश के बारे में हमने कुछ दिन पहले भी ज़िक्र किया था जब हमने आपको बर्मन दादा का गाया "मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में" सुनवाया था. इसलिए आज हम इस फिल्म की बात यहाँ नहीं करेंगे. बल्कि आज आपको हम यह बताएँगे की बर्मन दादा ने आशा भोंसले के बारे में अमीन सयानी के कार्यक्रम संगीत के सितारों की महफ़िल में क्या कहा था. साल था 1972, मौका आशा भोंसले के फिल्मी गायन के 25 साल पूरा हो जाने का जश्न. उस जश्न में एस डी बर्मन ने कहा था: "मैने जब भी कोई धुन बनाकर आशा को सुनाया, उन्हे बहुत जल्दी याद हो गया. 'सिंगर' में यह बहुत बडा गुण है. आशा बहुत महान कलाकार है, हर तरह का गीत गाने की योग्यता है उनमें, 'दर्द भरे सॉंग, हैप्पी सॉंग, कैबरे सॉंग, रोमांटिक सॉंग', सब कुछ गा सकना आशा के 'वर्सटाइल' होने का 'प्रूफ' है. 'वोईस कंट्रोल' ऐसा है कि गीत के एक ही 'लाइन' में 'हस्की वोईस' में गा सकती है और उसी में ज़ोर से चिल्ला भी सकती है. मेरा एक गाना है जिसमें यह ज़बरदस्त 'वौइस् कंट्रोल' का 'उदाहरण' मैं आपको सुनाता हूँ...". जी हाँ दोस्तों, और ये कहकर बर्मन दा ने यही गीत सबको सुनवाया था. आप भी सुनिए...



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -

१. संगीतकार रोशन की बेहद यादगार सदाबहार कव्वाली.
२. फिल्म का नाम "दिल" शब्द से शुरू होता है.
३. इसी फिल्म में मन्ना डे साहब ने एक गीत गाया था जिसके नाम पर रानी मुखर्जी की एक फिल्म भी बनी थी.

कुछ याद आया...?

पिछली पहेली का परिणाम -
जब इतने मशहूर गानों पर हमारे धुरंधर चूक जाते हैं तब दुःख होता है. अभिषेक जी जब भी समस्या आये पृष्ठ को रिफ्रेश कर दिया कीजिये. राज सिंह जी आपने बहुत अच्छा याद दिलाया. फिल्म की नायिका तरला के बारे में अधिक कुछ जानकारी उपलब्ध नहीं है. राज भाटिया जी हमें यकीन था ये गीत आपको अवश्य अच्छा लगेगा. मनु जी क्लब सोंग्स की फेहरिस्त बहुत लम्बी है. सुनने शुरू कर दीजिये. इनमें बहुत विविधतता है. अब आज का ही गीत लें. आज भी कोई इस गीत में आशा को टक्कर नहीं दे सकेगा.

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.




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4 श्रोताओं का कहना है :

पारुल "पुखराज" का कहना है कि -

निगाहें मिलाने को जी चाहता है -फिल्म -दिल ही तो है --

manu का कहना है कि -

गीत तो सुन ही नहीं पा रहा,,,,कमाल के पढ़ कर भी ध्यान में नहीं आ रहा,,,

पर ये वाला आसान है ,,,,अभी हाल ही में आई थी "लागा चुनरी में दाग "
आशा भोसले की आवाज में शानदार कवाल्ली,,,

Neeraj Rohilla का कहना है कि -

iska jawaab hame pata tha, kasam se...
Roshan saaheb ka qawwaliyon mein koi saani nahin hai. Woh hindi film music ke "qawwali king" hein.

Parulji ko ek baar phir badhaai...

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' का कहना है कि -

आशा जी के स्वर नियंत्रण का अच्छा उदाहरण...सुनाने के लिए धन्यवाद

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