ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 59
फ़िल्म संगीत के जानकारों को पता होगा कि ऐसे ५ संगीतकार हैं जिन्हें फ़िल्म संगीत के क्रांतिकारी संगीतकार का ख़िताब दिया गया है। ये ५ संगीतकार हैं मास्टर ग़ुलाम हैदर, सी. रामचन्द्र, ओ. पी. नय्यर, आर. डी. बर्मन, और ए. आर. रहमान। इन्हें क्रांतिकारी संगीतकार इसलिए कहा गया है क्यूँकि इन्होंने अपने नये अंदाज़ से फ़िल्म संगीत की धारा को नई दिशा दी है। यानी कि इन्होंने फ़िल्म संगीत के चल रहे प्रवाह को ही मोड़ कर रख दिया था और अपने नये 'स्टाइल' को स्वीकारने पर दुनिया को मजबूर कर दिया। इनमें से जिस क्रांतिकारी की बात आज हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में कर रहे हैं वो हैं सी. रामचन्द्र। सी. रामचन्द्र ने फ़िल्म संगीत में पाश्चात्य संगीत की धारा को इस तरह से ले आए कि उसने फ़िल्मी गीतों के रूप रंग को एक निखार दी, और लोकप्रियता के माप-दंड पर भी खरी उतरी। और यह सिलसिला शुरू हुआ था सन १९४७ की फ़िल्म 'शहनाई' से। इस फ़िल्म में "आना मेरी जान मेरी जान सन्डे के सन्डे" एक 'ट्रेन्ड-सेटर' गीत साबीत हुआ। और यही मशहूर गीत आज आप सुन रहे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में।
'शहनाई' १५ अगस्त १९४७ को बम्बई के नोवेल्टी थिएटर में प्रदर्शित हुई थी जब पूरा देश स्वाधीनता की ख़ुशियां मना रहा था। शहनाई की वो पाक़ तरंगें और इस फ़िल्म का शीर्षक गीत "हमारे अंगना आज बजे शहनाई" चारों तरफ़ गूंज रहे थे। पी. एल. संतोषी निर्देशित एवं रेहाना और नासिर ख़ान अभिनित यह फ़िल्म फ़िल्मिस्तान के बैनर तले बनी थी। कहा जाता है कि फ़िल्मिस्तान के शशधर मुखर्जी को शुरू में यह गीत पसंद नहीं आया और इस गीत को फ़िल्म में रखने के वो ख़िलाफ़ थे। लेकिन संतोषी साहब ने गाने का फ़िल्मांकन किया और यह गीत पूरे फ़िल्म का सब से कामयाब गीत सिद्ध हुआ, और फ़िल्म की कामयाबी के पीछे भी इस गाने का बड़ा हाथ था। चितलकर यानी कि सी. रामचन्द्र और मीना कपूर का गाया यह गीत हास्य गीतों की श्रेणी में एक इज़्ज़तदार मुक़ाम रखता है। पश्चिमी ऑर्चेस्ट्रेशन और संगीत संयोजन के अलावा इस गीत की एक और ख़ास बात यह है कि इस गीत में फ़िल्म संगीत के इतिहास में पहली बार सीटी यानी कि व्हिस्लिंग (whistling) का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद कई गीतों में इस शैली का प्रयोग हुया जैसे कि "तुम पुकार लो (ख़ामोशी)", "ये हवा ये नदी का किनारा (घर संसार)", "हम हैं राही प्यार के हम से कुछ ना बोलिये (नौ दो ग्यारह)", "मैं खो गया यहीं कहीं (12 O'Clock)", "नख़रेवाली (न्यू डेल्ही)", "जीना इसी का नाम है (अनाड़ी)" वगेरह। अब शायद आपको अंदाज़ा हो गया होगा कि क्यूँ सी. रामचन्द्र को कांतिकारी संगीतकार का दर्जा दिया गया है। तो चलिये सी. रामचन्द्र की गायिकी और संगीत को नमन करते हुए फ़िल्म 'शहनाई' का यह सदाबहार गीत सुनते हैं।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. इस फिल्म का एक गीत पहले भी बजाया जा चूका है.
२. नौशाद का संगीत रफी साहब की आवाज़.
३. मुखड़े में शब्द है - "मिलन"
कुछ याद आया...?
पिछली पहेली का परिणाम -
नीरज जी लौटे सही जवाब के साथ और मनु ने मोहर लगायी...शाबाश भाई....
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
10 श्रोताओं का कहना है :
बिल्कुल सही कहा ओल्ड इज़ गोल्ड।
दो सितारों का जमीं पर है मिलन आज की रात....फिल्म ’कोहिनूर’ सन १९६०
वोट देने आये तो पता चला की वोट पद चुकी है. हम भी समीर लाल जी के साथ हैं. मुहर लगा दी.
हालांकि पिछले वाला गीत ही याद नहीं आ रहा,,,,,पर हो सकता है के उड़न तश्तरी जी के बजाय मैं सही हूँ,,,,,,,,,,,,
तू गंगा की मौज मैं जमना का धारा,,,,,,,,,(बैजू बावरा),,,,,,,,,,???????????????
are type karte karte hi ek vote aur pad gayee,,,,,
ab kyaa karoon,,,,???
khair yahi tukkaa chalne detaa hoon,,,,,,
humaara vote bhi udantashtri ke saath hi hai
हमारा मनुजी को बिना शर्त समर्थन...
सुंदर लगा यह गीत .. और पहेली का जवाब तो मिल ही गया है।
पर ये जवाब कहा हुआ,,,,,,,,,??
हम तो आप ही दुविधा में आन पड़े हैं,,,,
बस नीरज जी की ही वोट का आसरा है,,,,,,और शायद इतना ही काफी हो,,,,,
बहुमत के बजाय एक सही मत,,,,,,
:::))
ये क्या मैं तो चुनाव के जैसी बातें करने लगा,,,,ये क्या हुआ,,,,,
बस एक हिंट और दे दीजिये,,,,,,,,,
इससे पहले कोहिनूर का गाना बजा है या बैजू बावरा का,,
कोहीनूर में तो रफी जी के साथ लता जी भी हैं इसलिए बैजू बाबरा ही सही है ।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)