रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Monday, April 20, 2009

ख्यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते...रोशन साहब का एक नायाब गीत



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 57

न १९४९ में एक नौजवान अपनी पत्नी का प्रोत्साहन और ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करने का ख्याल लेकर मायानगरी मुंबई पहुँचे थे। एक दिन ख़ुशकिस्मती से दादर स्टेशन पर उनकी मुलाक़ात हो गई फ़िल्मकार केदार शर्मा से। केदार शर्मा उन दिनो मशहूर थे नये नये प्रतिभाओं को अपनी फ़िल्मों में मौका देने के लिए। बस फिर क्या था, उन्होने इस नौजवान को भी अपना पहला 'ब्रेक' दिया बतौर संगीतकार, फ़िल्म थी 'नेकी और बदी'। और वह नौजवान जिसकी हम बात कर रहे हैं, वो और कोई नहीं बल्कि संगीतकार रोशन थे। दुर्भाग्यवश 'नेकी और बदी' में रोशन अपनी संगीत का कमाल नहीं दिखा सके और ना ही यह फ़िल्म दर्शकों के दिलों को छू सकी। इस असफलता से रोशन इतने निराश हो गए थे कि उनकी जीने की चाहत ही ख़त्म हो गई थी। केदार शर्माजी का बड़प्पन देखिये कि उन्होने रोशन की यह हालत देख कर उन्हे अपनी अगली फ़िल्म 'बावरे नैन' में भी संगीत देने का एक और मौका दे दिया। और इस बार इस मौके को रोशन ने इस क़दर अंजाम दिया कि उन्हे फिर कभी पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी। बावरे नैन कामयाब रही और इसके संगीत ने भी काफ़ी धूम मचाया। आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में प्रस्तुत है इसी फ़िल्म का एक सदाबहार युगल गीत।

बावरे नैन १९५० की फ़िल्म थी जिसका निर्माण केदार शर्मा ने अपनी बैनर ऐम्बिशियस पिक्चर्स के तले बनाई। राज कपूर और गीता बाली परदे पर नज़र आए। यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि १९४७ में शर्माजी ने ही राज कपूर को अपनी फ़िल्म नीलकमल में पहली बार बतौर नायक मौका दिया था और १९४८ में गीता बाली को फ़िल्म सुहाग रात में। सुहाग रात में ही उन्होने संगीतकार स्नेहल भाटकर को भी अपना पहला ब्रेक दिया था। ख़ैर, 'बावरे नैन' में रोशन का संगीत लोकप्रिय हुआ, जिसमें गीता रॉय, मुकेश, राजकुमारी, आशा भोंसले और मोहम्मद.रफ़ी ने गाने गाये। आज इस फ़िल्म का जो गीत हम आप के लिये चुन कर लाये हैं, वह गीत है मुकेश और गीता रॉय का गाया हुआ। यह गीत इस गायक-गायिका जोड़ी की सबसे लोकप्रिय युगल गीतों में से एक है। केदार शर्मा के ही बोल हैं। ४० के दशक के आख़िर के सालों से फ़िल्म संगीत में और्केस्ट्रेशन का प्रभाव बढ़ने लगा था। इस वजह से गीतों की अवधी भी बढ़ने लगी थी। प्रस्तुत गीत ने एक साधारण युगल गीत होते हुए और केवल ३ अंतरे के होते हुए भी ५ मिनट की सीमा को छू लिया। तो सुनिये यह गीत और याद कीजिये उसे जिसे आपने अपने ख्यालों में बसा रखा है।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -

१. एक भोजपुरी फिल्म जो मुग़ले आज़म की टक्कर दे गयी, उसका शीर्षक गीत है ये.
२. लता -तलत की आवाजें, चित्रगुप्त का संगीत.
३. मुखड़े में एक प्यारा शब्द है - "सुगना".

कुछ याद आया...?

पिछली पहेली का परिणाम -
मनु जी क्या बात है...एक बार फिर वही जोश नज़र आ रहा है. नीलम जी आपकी फरमाईश वाला गीत "मेरी जान तुम पे सदके" पहले ही ओल्ड इस गोल्ड का हिस्सा बन चूका है...ज़रा अतीत में झांकिए. बबली जी आपका स्वागत है...

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.



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6 श्रोताओं का कहना है :

PN Subramanian का कहना है कि -

"खयालों में किसी की इस तरह आया नहीं करते" हमारी निगाहों में यह एक सूपर गीत है. आपने जो फाइल डाली है उसकी आवाज में कुछ अंतर सा है. क्या बहुत लो बिट रेट में रेकॉर्डेड है या कहीं से लिया है.

manu का कहना है कि -

कोई हिंट काम नहीं आ रहा है,,,
पच्चीस एक साल पहले एक गीत सूना था अगर यही हो तो,,,,,बोल शायद गलत हो,,,,,,
पर धुन जरूर दिल में बैठे है अभी तक,,,,

जा रे सुगना जा जा रे पीया जी से कहियो जा,
लागी नाही छूटे रामा ,,,,
चाहे जिया जाय......
हाँ ,यही होना चाहिए,,,,बाकी आपके जवाब का इन्तेजार है,,,,

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

पी एन सुब्रमनियन जी,

मैंने तो जब भी रेडियो से इस गीत को सुना है, यही सुना है। आप किस रिकॉर्डिंग की बात कर रहे हैं? यदि आपके पास इसके अलावा कोई और संस्करण है तो उस फाइल को hindyugm@gmail.com पर ईमेल करें

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' का कहना है कि -

One of my favourate songs.

neelam का कहना है कि -

humne aise kisi gaane ki farmaaish nahi ki thi ,humne suna bhi nahi hai ye gana ,

BHARAT PANDYA. का कहना है कि -

a beautiful song.
esp. Lyrics.
"Hansi fulo ki do din chandanibhi char dinki hai"
"Mahobat karnewale gamse gabharaya nahi karate"
kya baat hai

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