रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित
प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां
आज सुबह-सुबह आपने भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित कथा-संग्रह 'डर' का विमोचन किया और इस संग्रह से एक कहानी भी सुनी। अब बारी है लोकप्रिय ब्लॉगर, ग़ज़ल प्रशिक्षक पंकज सुबीर के पहले कहानी-संग्रह 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' के विमोचन की। गौरतलब है कि इस पुस्तक के साथ-साथ १२ अन्य हिन्दी साहित्यिक कृतियों के विमोचन का कार्यक्रम आज ही हिन्दी भवन सभागार, आईटीओ, नई दिल्ली में चल रहा है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता २००६ के भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित कवि कुँवर नारायण कर रहे हैं। सभी पुस्तकों का विमोचन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों होना है।
लेकिन घबराइए नहीं। हम आपको ऑनलाइन और पॉडकास्ट विमोचन का नायाब अवसर दे रहे हैं, जिसके तहत आप इस कहानी-संग्रह का विमोचन अपने हाथों कर सकेंगे, वह भी शीला दीक्षित से पहले। साथ ही साथ हम इस कहानी संग्रह की शीर्षक कहानी भी सुनवायेंगे। तो कर दीजिए लोकार्पण
पंकज जी! वन्देमातरम. बहुत बहुत बधाई. युग्म ने अवसर दिया और मैं विमोचन करने के लिए सबसे पहले हाजिर हूँ. पहले फीता कात्दिया अब आराम से पढूंगा. पुनः बधाई.
आज इस कार्यक्रम के विमोचन के समय मैं हिन्दी भवन में उपस्थित था, लेकिन उस कार्यक्रम में मुझे उतना मज़ा नहीं आया, जितना कि इस ऑनलाइन विमोचन में भाग लेकर आ रहा है।
ईस्ट इंडिया कम्पनी अपने तरह तरह के रूपकों से ट्रैन के एक कम्पार्टमेंट की मदद से पूरी भारत की तस्वीर खींचने की कोशिश करती है। जब मैं कहानी को सुन रहा था तो मेरे दीमाग में बार-बार यह बात आ रही थी कि कहीं आवाज़ की टीम ने गलती से कोई और कहानी तो नहीं चढ़ा दी। लेकिन जब अंत आया तो समझ में आया कि कहानीकार ने कितनी चतुरता से पाठकों और श्रोताओं को अपने दर्शन से जोड़ा है।
मेरा मानना है कि कहानी वाचन में यह अनुराग शर्मा का उत्तम प्रदर्शन है। यह बहुत खुशी की बात है कि अनुराग जी अपनी कहानी वाचन शैली में निरंतर सुधार लाते जा रहे हैं।
आवाज़ का ये रंग मुझे बहुत अच्छा लगा . ऑन लाइन विमोचन कर कितनी खुशी हुई बयां नहीं कर पा रहा हूँ न जाने कहीं विमोचन करूँगा की नहीं .बरहाल अनुराग जी का धन्यवाद जो इतनी मधुर आवाज़ में 'ईस्ट इंडिया कंपनी, को पढाया -सुनाया .पंकज जी ने बीते दिनों को आज से जोड़ ट्रेन कम्परात्मेंट से हमें उम्दा तरीके से जोड़ा है .आवाज़ परिवार को बहुत-बहुत धन्याद.
अनुराग जी द्वारा किये गए कहानी पाठ को सुनकर एक बात तो पता चली कि लेखक और प्रसतुतकर्ता दोनों का अपना महत्व है । एक घटना याद आ गई जब कवि प्रदीप ने अपना गीत ऐ मेरे वतन के लोगों पंडित नेहरू को सुनाया था तो पंडित जी बहुत प्रभावित नहीं हुए थे । किन्तु उसी गीत को जब लता जी ने सुनाया तो पंडित जी रो पड़े थे । अनुराग जी और हिंद युग्म को आभार । देर से टिप्पणी इसलिये दे रहा हूं कि बस आज ही लौटा हूं । शैलेष जी और सजीव जी दोनों को दिल्ली के कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिये भी आभार ।
अनुराग जी , श्रव्यता, कहानी को इतना रोचक भी बना सकती है ,कमाल है ,आज आपकी बात सौ फीसदी सही लग रही है की इस व्यस्त दुनिया में पढने की जगह सुनने को ही आगे बढाया जा सकता है ,पंकज जी की पलाश ,और ईस्ट इंडिया कंपनी की इस कहानी के साथ पूरा पूरा न्याय किया है | pankaj ji bahut bahut badhai ,aapki ki is ist india ke vimochan ke liye .
१ जनवरी - आज के कलाकार - नाना पाटेकर, सोनाली बेन्द्रे और कविता कृष्णमूर्ति - जन्मदिन मुबारक
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.
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बोलती कहानियाँ
बोलती कहानियाँ - टार्च बेचने वाले - हरिशंकर परसाई--आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई की कहानी "टॉर्च बेचने वाले", जिसको स्वर दिया है अमित तिवारी ने।
जहाँ अंधकार है, वहीं प्रकाश है.प्रकाश बाहर नहीं है, उसे अंतर में खोजो.अंतर में बुझी उस ज्योति को जगाओ.
(हरिशंकर परसाई की "टार्च बेचने वाले" से एक अंश)
भारतीय शास्त्रीय संगीत - मोहन वीणा
पं. विश्वमोहन भट्ट ने गिटार इस स्वरुप में परिवर्तन कर इसे भारतीय संगीत वादन के अनुकूल बनाया.उन्होंने एक सामान्य गिटार में 6 तारों के स्थान पर 19 तारों का प्रयोग किया.यह अतिरिक्त तार 'तरब' और 'चिकारी' के हैं जिनका उपयोग स्वरों में अनुगूँज के लिए किया जाता है.आप सुनिए अमेरिकी गिटार वादक रे कूडर और पं. विश्वमोहन भट्ट की गिटार और मोहन वीणा पर जुगलबंदी और फिल्म दुनिया न माने के गाने में इस्तेमाल हुआ हवाइयन गिटार, पियानो तथा वायलिन के प्रयोग वाला गाना.
Radio Playback Artist of the month
रेडियो प्लेबैक की टीम के साथ के निरन ने अपने गायन और संगीत निर्देशन का सफर शुरू किया था. हाल ही में प्रदर्शित डेम 999 उनकी आवाज़ महकी है. सुनते हैं उनका बॉलीवुड डेब्यू गीत
महफ़िल-ए-ग़ज़ल
ये महीना है अजीम शायर असद अली खां उर्फ मिर्ज़ा ग़ालिब को याद करने का. १० मुक्तलिफ़ फनकारों ने अपने अपने अंदाज़ में ढाला गालिब को अपनी मौसिकी में, आईये करें अदब के इस शहंशाह को सलाम इन नायाब ग़ज़लों को सुनकर.
भजन सम्राट अनूप जलोटा - दस भजन
हिन्दी भजनों का जिक्र हो और अनूप जलोटा का नाम न आये ऐसा संभव ही नहीं है. हम आपके लिए लाये हैं भजन सम्राट अनूप जलोटा के गाये १० बेहतरीन भजन.
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9 श्रोताओं का कहना है :
पंकज जी!
वन्देमातरम.
बहुत बहुत बधाई.
युग्म ने अवसर दिया और मैं विमोचन करने के लिए सबसे पहले हाजिर हूँ. पहले फीता कात्दिया अब आराम से पढूंगा. पुनः बधाई.
आज इस कार्यक्रम के विमोचन के समय मैं हिन्दी भवन में उपस्थित था, लेकिन उस कार्यक्रम में मुझे उतना मज़ा नहीं आया, जितना कि इस ऑनलाइन विमोचन में भाग लेकर आ रहा है।
ईस्ट इंडिया कम्पनी अपने तरह तरह के रूपकों से ट्रैन के एक कम्पार्टमेंट की मदद से पूरी भारत की तस्वीर खींचने की कोशिश करती है। जब मैं कहानी को सुन रहा था तो मेरे दीमाग में बार-बार यह बात आ रही थी कि कहीं आवाज़ की टीम ने गलती से कोई और कहानी तो नहीं चढ़ा दी। लेकिन जब अंत आया तो समझ में आया कि कहानीकार ने कितनी चतुरता से पाठकों और श्रोताओं को अपने दर्शन से जोड़ा है।
मेरा मानना है कि कहानी वाचन में यह अनुराग शर्मा का उत्तम प्रदर्शन है। यह बहुत खुशी की बात है कि अनुराग जी अपनी कहानी वाचन शैली में निरंतर सुधार लाते जा रहे हैं।
आवाज़ का ये रंग मुझे बहुत अच्छा लगा . ऑन लाइन विमोचन कर कितनी खुशी हुई बयां नहीं कर पा रहा हूँ न जाने कहीं विमोचन करूँगा की नहीं .बरहाल अनुराग जी का धन्यवाद जो इतनी मधुर आवाज़ में 'ईस्ट इंडिया कंपनी, को पढाया -सुनाया .पंकज जी ने बीते दिनों को आज से जोड़ ट्रेन कम्परात्मेंट से हमें उम्दा तरीके से जोड़ा है .आवाज़ परिवार को बहुत-बहुत धन्याद.
कहानी तो मैंने पहले ही पढ़ ली थी पर सुनने का आनंद कुछ और ही रहा...अनुराग जी बहतरीन काम किया आपने....और पंकज जी आप को तो बधाई पहले ही दी जा चुकी है :)
पंकज जी को मेरी और से भी बहुत बधाई. उनकी कहानियों को पढ़ना मेरे लिए एक बहुत अच्छा अनुभव रहा है. विदेशों में इस पुस्तक को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
अनुराग जी का कथा वाचन बडा ही सुश्राव्य है, सहज है.
पंकज सुबीर जी को बधाईयां
अनुराग जी द्वारा किये गए कहानी पाठ को सुनकर एक बात तो पता चली कि लेखक और प्रसतुतकर्ता दोनों का अपना महत्व है । एक घटना याद आ गई जब कवि प्रदीप ने अपना गीत ऐ मेरे वतन के लोगों पंडित नेहरू को सुनाया था तो पंडित जी बहुत प्रभावित नहीं हुए थे । किन्तु उसी गीत को जब लता जी ने सुनाया तो पंडित जी रो पड़े थे । अनुराग जी और हिंद युग्म को आभार । देर से टिप्पणी इसलिये दे रहा हूं कि बस आज ही लौटा हूं । शैलेष जी और सजीव जी दोनों को दिल्ली के कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिये भी आभार ।
अनुराग जी ,
श्रव्यता, कहानी को इतना रोचक भी बना सकती है ,कमाल है ,आज आपकी बात सौ फीसदी सही लग रही है की इस व्यस्त दुनिया में पढने की जगह सुनने को ही आगे बढाया जा सकता है ,पंकज जी की पलाश ,और ईस्ट इंडिया कंपनी की इस कहानी के साथ पूरा पूरा न्याय किया है |
pankaj ji bahut bahut badhai ,aapki ki is ist india ke vimochan ke liye .
downloading option is not coming...
plzz arrange it..!!
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